Jaunpur News: विदेश में थे पिता, मौसी के घर रहकर 22 वर्ष की उम्र में बेटी बन गई IPS, मिल गया यूपी कैडर | Naya Sabera Network
नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। आईएएस, आईपीएस के लिए जौनपुर पूरे विश्व में यूं ही नहीं मशहूर है, यहां के पुलिस कप्तान डॉ. कौस्तुभ भी कह चुके हैं कि जौनपुर के पानी और मिट्टी में टैलेंट है और अब एक बार फिर जौनपुर की बेटी ने यह साबित कर दिया है कि जौनपुर का मान दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही रहेगा। पिता के विदेश में रहने के बावजूद उन्होंने अपनी मौसी के यहां रहकर न सिर्फ 8 से 10 घंटे पढ़ाई की बल्कि यूपीएससी 2023 की परीक्षा में 95वां रैंक हासिल कर जौनपुर का मान बढ़ाया। आईपीएस बनने के बाद जौनपुर की बेटी को अब होम कैडर यानी यूपी कैडर मिल गया है। उनकी इस उपलब्धि से परिवार और शुभचिंतकों के बधाइयों का तांता लगा हुआ है। उनके गांव में जहां पर उनके चाचा अपने परिवार के साथ रहते हैं वहां पर भी खुशियों का माहौल है। जी हां, हम किसी और की नहीं बल्कि जौनपुर की बेटी सृष्टि मिश्रा की बात कर रहे हैं। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा सभी चयनित आईपीएस अधिकारियों को कैडर दिया गया। इसी क्रम में अफसर बिटिया सृष्टि मिश्रा को भी होम कैडर यानी यूपी कैडर दिया गया है। प्रशिक्षण के बाद यूपी के किसी जिले में अफसर बिटिया को जिम्मेदारी मिलेगी। सृष्टि के चाचा प्रशांत मिश्र बताते हैं कि उनके पिता चाहते थे कि सृष्टि मिश्रा सिविल सर्विसेज की तैयारी करे। पिता की इच्छा को सर्वमान्य मानकर उन्होंने न सिर्फ कड़ी मेहनत की बल्कि पिता के सपनों को भी साकार कर दिखाया। मात्र 22 वर्ष की आयु में उन्होंने आईपीएस अधिकारी बनकर दिखा दिया कि हम जौनपुरी किसी से कम नहीं है।
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डरबन व स्विटरजरलैंड में हुई शुरूआती पढ़ाई
गौरतलब हो कि जौनपुर के सरपतहां क्षेत्र के पिपरौल गांव की मूल निवासी सृष्टि मिश्रा ने अपने दूसरे ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा क्रैक किया था। 95वीं रैंक लाकर सृष्टि ने अपने माता-पिता का मान-सम्मान तो बढ़ाया ही अपने जौनपुर का भी नाम रौशन किया। परिवार की बात करें तो पिताश्री आदर्श मिश्रा की पोस्टिंग विदेश मंत्रालय में है। वह वहां पर अंडर सेक्रेटरी के पद पर हैं। चाचा प्रशांत मिश्र बताते हैं कि सृष्टि की शुरुआती पढ़ाई डरबन व स्विटरजरलैंड में हुई क्योंकि उन दिनों उनके पिताश्री वहीं पर तैनात थे। उनकी मां बबिता मिश्रा हाउसवाइफ हैं। सृष्टि ने हाईस्कूल दिल्ली से किया। इंटरमीडिएट की पढ़ाई विदेश में हुई फिर दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में इकोनॉमिक्स से एमए किया। उनके बाबा कपिलदेव मिश्र वकील हैं। गांव में चाचा प्रशांत मिश्र के परिवार के साथ बाबा रहते हैं।
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हमेशा मार्गदर्शन करते थे पिता
पिता की लाडली सृष्टि मिश्रा तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। यूपीएससी की तैयारी उन्होंने फरीदाबाद में अपनी मौसी सुनीता पांडेय के साथ रहकर करती थीं। ग्रेजुशन शुरू होने से पहले सृष्टि अपने पैरेंट्स के साथ रहती थीं। सृष्टि बताती हैं कि रोजाना 8 से 10 घंटे पढ़ाई करके उन्होंने सिविल की तैयारी की थीं। शुरू से ही लक्ष्य था कि यूपीएससी की तैयारी करनी है। पिताश्री हमेशा मार्गदर्शन करते रहते थे। सृष्टि का कहना है कि वह महिला सुरक्षा पर ज्यादा फोकस करना चाहती हैं। सृष्टि ने जब यूपीएससी की परीक्षा पास की तो उस समय उनके पिता ब्राजील में नियुक्त थे और सृष्टि अपनी मौसी के यहां ग्रेटर फरीदाबाद में अमोलिक सोसाइटी में रहतीं थी।
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नहीं लिया कोचिंग इंस्टिट्यूट में दाखिला
सृष्टि बताती हैं कि जब पढ़ाई करके वह थक जाती थी तो वह खुद को तरोताजा रखने के लिए नॉवेल पढ़ने लगती थीं और क्लासिकल डांस भी करतीं थी। पिता भारत (दिल्ली हेड क्वार्टर), दक्षिण अफ्रीका, लेबनान, कंबोडिया, स्विटजरलैंड जैसे देशों में भी सेवा दे चुके हैं। दूसरे प्रयास में ही यूपीएससी में सफल होने वाली सृष्टि ने सामान्य अध्ययन के लिए कभी किसी कोचिंग इंस्टिट्यूट में दाखिला नहीं लिया। उन्होंने घर पर ही अध्ययन किया। यूपीएससी में वैकल्पिक विषय अर्थशास्त्र का डॉ. विभास झा सर से ऑनलाइन कोचिंग की। जीएस स्कोर मॉक टेस्ट का ऑनलाइन अध्ययन किया।
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आईएएस बनना हमारा लक्ष्य
सृष्टि मिश्रा कहती हैं कि आईएएस बनना हमारा लक्ष्य है, इसके लिए प्रयास जारी रहेगा। फिलहाल आईपीएस बन कर राष्ट्र सेवा करना कम नहीं है। गौरवान्वित महसूस कर रही हूं इसमें बाबा, माता-पिता, परिवार के सदस्यों और सभी लोगों का आशीर्वाद शामिल है। हमारा, माता-पिता और स्वजनों का सपना साकार हुआ। अपनी मेहनत और दूसरों के आशीर्वाद पर पूरा भरोसा और विश्वास होना चाहिए। परिश्रम में किसी प्रकार की कमी न हो तो सफलता अवश्य मिलेगी। भाग्य कठिन मेहनत पर निर्भर करता है। उन्होंने अपने पिता को सबसे बड़ा प्रेरणास्रोत और डॉ विभास झा सर को आदर्श शिक्षक बताया। छोटी बहन श्रेया, मौसी सुनीता पांडेय की उम्मीदें हकीकत में बदली हैं।
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माता-पिता ने दी शुभकामनाएं
पिता आदर्श मिश्र ने कहा कि इस सफलता को विनम्रता पूर्वक स्वीकार करना है और सेलिब्रेट करना है। आज से ही समाज और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व और पद का ईमानदारी, कर्तव्य, निष्ठा, समर्पण के साथ जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करने की वास्तविक जीवन की शुरुआत हो रही है। सभी युवाओं के लिए यह एक प्रोत्साहन का सुनहरा अवसर है। उन्होंने बताया कि कठिन परिश्रम समर्पण से ही सफलता हासिल हो सकती है। माता बबिता मिश्रा कहती हैं कि निश्चित रूप से यूपीएससी परीक्षा में चयन होगा, ऐसा भरोसा और पूरा विश्वास था। उन्होंने भविष्य में अच्छा करने, तरक्की और नाम रोशन करने के लिए बधाई दीं।
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