Jaunpur News: सनातन धर्म के प्रति निष्ठावान थे ठा. अशोक सिंह : विद्यार्थी | Naya Sabera Network
राम कथा के दूसरे दिन कथा वाचक ने कई प्रसंगों को बड़े ही मार्मिक ढंग से किया चित्रण
नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। बाबू जी के नाम से पहचाने जाने वाले तिलकधारी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्रबन्धक एवं पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष ठा. अशोक कुमार सिंह की चतुर्थ पुण्यतिथि पर उनके पैतृक गांव महरूपुर स्थित उमानाथ सिंह सीनियर सेकेंडरी स्कूल परिसर के हनुमान मंदिर पर आयोजित तीन दिवसीय श्री राम चरित मानस प्रवचन के दूसरे दिन व्यास के रूप में पंडित प्रकाश चंद्र पांडेय 'विद्यार्थी' ने कहा कि सनातन धर्म के प्रति निष्ठा रखने वाले ठाकुर अशोक सिंह की रामायण में लिखी चौपाइयों, श्लोकों को सुनते ही नहीं थे। अपने वास्तविक जीवन में उतारने की भी कोशिश करते थे। भगवान राम के भातृत्व प्रेम को आदर्श मानकर वह अपने बड़े भाई उमानाथ सिंह के पदचिन्हों पर जीवन पर्यंत चलते रहे।
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अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहे प्रत्येक व्यक्ति : विद्यार्थी
श्री विद्यार्थी ने कहा कि जीवन का कोई भरोसा नहीं है, इसलिए संसार में हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना चाहिए जब इंसान अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन करता है तो भगवान भी उनका मददगार बनते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि कुछ पाने के लिए कर्म करना जरूरी है। हर व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक सोच और सकारात्मक विचार होगा तो उनके आचार-विचार में भी बदलाव आएगा। उन्होंने समुद्र पार के प्रसंग को बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया।
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जब राम सेतु पर जाने को तैयार नहीं थी वानरी सेना
कहा कि जो राम-राम का लिखा हुआ सेतु बना था उस पर भगवान की वानरी सेना जाने को तैयार नहीं थी क्योंकि जो पुल बना था उस पर राम का नाम लिखा था। भगवान अंतरयामी हैं वह मनोभाव को समझ गए और उन्होंने जामवंत से कहा कि तुम लोग बने हुए पुल के समानान्तर पुल से पार करिए तो इस पर जामवंत ने भगवान राम से कहा कि प्रभु इतना जल्दी इतना सुंदर बनवा दिए तो हम लोगों से इतना परिश्रम क्यों करवाए तो भगवान राम ने कहा कि कर्म करना चाहिए। बिना कर्म के जीवन में कुछ मिलने वाला नहीं है। उदाहरण स्वरूप उन्होंने बताया कि एक जनाजा जा रहा था तो कुछ लोगों ने रोक करके पूछे कि कहां जा रहे हो तो जनाजा ने कहा कि जहां से आया हूं वहीं जा रहा हूं।
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जाकी रही भावना जैसी, हरी मूरत देखी तिन तैसी...
उन्होंने कहा कि जाकी रही भावना जैसी, हरी मूरत देखी तिन तैसी... कहने का तात्पर्य यह है कि जिसकी जैसी भावना रहती है उसी रूप में लोग भगवान को देखते हैं। उसी भाव से भगवान भी इंसान की मदद करते हैं। इस मौके पर टीडीपीजी कॉलेज के प्रबंधक एवं उनके पुत्र राघवेन्द्र प्रताप सिंह, देवेंद्र प्रताप सिंह, शिवेंद्र प्रताप सिंह व धर्मेंद्र प्रताप सिंह द्वारा ठा. अशोक कुमार सिंह की चित्र पर माल्यापर्ण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। इस मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्ञान प्रकाश सिंह, पूर्व सांसद डॉ. केपी सिंह, टीडी कॉलेज प्राचार्य प्रो. राम आसरे सिंह सिंह, टीडीपीजी कॉलेज के प्रबंध समिति के अध्यक्ष प्रो. श्रीप्रकाश सिंह, कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष इंद्रभुवन सिंह, शिक्षक नेता सुधाकर सिंह, पूर्व प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह, पूर्व प्राचार्य विनोद कुमार सिंह, राजबहादुर सिंह, कर्मचारी नेता निखिलेश सिंह, पूर्वांचल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष राहुल सिंह, टीडी इंटर कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष सत्य प्रकाश सिंह, लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश के पूर्व सदस्य प्रो. आरएन त्रिपाठी, डॉ. सूर्य कुमार सिंह मुन्ना, ब्लॉक प्रमुख सुरेंद्र सिंह, सत्य प्रकाश सिंह माला, प्रो. हरिओम त्रिपाठी, पंकज सिंह, विनोद सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।