Poetry: मैं शहर होता ...


नया सवेरा नेटवर्क

मैं शहर होता ...


मैं शहर होता ... तो चुरा लेता...

वो गाँव की कुनकुनी सी धूप 

और हरियाली वाली रंगत ,

मुहारे पर बैठी गप्पें मारती 

वो बुज़ुर्गों की सेहतमंद संगत ,,


हर घर से पशु-पक्षियों के लिए 

निकलने वाली वो पहली रोटी की परम्परा ,

वो बारिश में गीली मिट्टी की 

सोंधी ख़ुशबू से गमकती हुई धरा ,,


किस्से -कहानियों में ढलती हुई हर शाम ,

आँगन में महकते हुए वो रिश्ते तमाम ,,

चुरा लेता...

वो ज़िन्दगी की ख़ुशनुमा रंगीनियत ,

सजा देता...

शहर को और शहर की तरबियत ,,


मैं  शहर होता ... तो न बसने देता ...

ये अकेलेपन और उदासियों के जंगल ,

इमारतों में पनपते ये अवसाद के गरल ,,

क़ाश  ऐसा होता... ग़र मैं शहर होता...

प्रियंका सोनी

9thAnniversary: तिलकधारी महाविद्यालय, जौनपुर प्रबंधक- राघवेन्द्र प्रताप सिंह अध्यक्ष प्रबंधक  समिति- प्रो. श्री प्रकाश सिंह प्राचार्य प्रो. ​राम आसरे सिंह की तरफ से नया सबेरा परिवार को 9वीं वर्षगांठ की बहुत-बहुत शुभकामनाएं



नया सबेरा का चैनल JOIN करें