'ऋतस्य' समकालीन कलाकारों के कृतियों की प्रदर्शनी | Naya Sabera Network
नया सवेरा नेटवर्क
पहाड़ों के गोंद में बसी निकोलस रोरिक आर्ट गैलरी, जहां कभी महान कलाकार निकोलस रोरिक का निवास था, में देशभर से आए आठ कलाकारों की प्रदर्शनी ऋतस्य नाम से 23 मई को प्रारंभ हुई। "ऋतस्य' शब्द जो मुख्य रूप से ऋग्वेद से लिया गया है, हालांकि चारों वेदों में अलग-अलग परिप्रेक्ष्यों में भी इसका प्रयोग मिलता है और कई जगह मिलता है। 'ऋतस्य' सृष्टि के नियमों, व्यवस्था, अनुष्ठानों, सत्यता, अनुक्रमता, सहित कई मायनों में अहम भूमिका निभाता है। वेदों में अधिकांश जगहों पर ऋत को सृष्टि का मूल माना गया है। कहीं-कहीं ब्रह्म के समकक्ष भी देखा गया है इस शब्द को।
'ऋतस्य पथि वेधा अपायि' (६/४४/८) में ऋत अथवा सत्य के मार्ग पर चलकर ही ज्ञानियों द्वारा जगत रक्षा की बात को भी दर्शाया गया है। प्रस्तुत प्रदर्शनी के कृतियों में उपरोक्त में से कोई न कोई रूप जरूर देखा जा सकता है। कलाकार बप्पादित्या राॅय चौधरी के कृतियों में रंगों और उसके बनावटो को सामंजस्यतापूर्ण तरीके से समझा जा सकता है। बोल्ड रेखाओं और चटख रंगों के साथ प्रकृति को बिल्कुल ही नजदीक से, ज़ूम करके देखा जा सकता है। कृतियां बहुत ही सुन्दर बन पड़ी हैं। कलाकार, कवि एवं कला समीक्षक पंकज तिवारी के कृतियों में जीवन और मृत्यु के बीच का पूरा संसार है।
रहस्यमय जीवन, संघर्षमय जीवन, खुशहाल जीवन, अच्छाइयाँ-बुराइयाँ सभी कुछ है जो निरंतर अलग-अलग कृतियों में प्रवाहित है, सही-गलत, अच्छा-बुरा, सुबह-शाम जैसे भावों को पटल पर रखने वाले कलाकार पंकज तिवारी के अधिकतर कृतियों का शीर्षक भी हाफ लाइफ इन्हीं सब गुणों को देखकर रखा गया, जान पड़ता है। कलाकार पूजा राज के कृतियों में भी जीवन के तमाम जटिलताओं से उलझती, सुलझती पहेलियों के साथ आध्यात्मिक यात्रा है। जड़, चेतन, योग, ध्यान, मन की शान्ति के साथ सुकून से भरा उड़ान, मनोहर रंगों में उसकी प्रस्तुति दर्शकों को जल्दी अपनी तरफ जोड़ने में सहायक होती है। "मैंने प्रकृति में होने वाली विभिन्न प्राकृतिक गतिविधियों को खोजने और व्यक्त करने का प्रयास किया है।
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मेरी पेंटिंग की अवधारणा प्रकृति है। अपनी पेंटिंग के माध्यम से मैंने एक कल्पनाशील वातावरण बनाने की कोशिश की है जहाँ हवा, रंग और कंट्रास्ट की भावना को एक रूप द्वारा उजागर किया गया है" कलाकार सुप्रियो नंदी के यही विचार उनके अधिकतर कृतियों में दर्शित है। कलाकार सुरेश हंस कहते हैं कि मेरे लिए फोटोग्राफी एक आंतरिक यात्रा की तरह है। जब भी मैं किसी अनोखे दृश्य को कैमरे में कैद करने के लिए फोकस करता हूँ, तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं किसी ध्यान की अवस्था में चला गया हूँ। कलाकार वेद प्रकाश भारद्वाज के लिए कला, जीवन को देखने, सोचने और समझने का एक साधन है, जो सामान्य प्रतीत होने वाली सतह से परे है।
उनका कहना है कि रोज़मर्रा की स्थितियों में, बहुत कुछ अनदेखा रह जाता है, दिनचर्या के छाया में छिपा रहता है। एक कलाकार के रूप में, मैं इन अदृश्य परतों की तलाश करता हूँ, भावनाओं, यादों और कहानियों को आकार देता हूँ जो अक्सर अनकही रह जाती हैं। राजस्थान की धरती से आने वाले कलाकार विनय शर्मा अपने कलाकृतियों में भी राजस्थान को ही जीते हुए प्रतीत होते हैं, राजस्थानी रहन-सहन, परिवेश, संस्कृति इनके दिल से जुड़ी हुई जान पड़ती है जिसका प्रतिविंब इनके कृतियों में स्पष्ट दिखाई पड़ता है।
ऋतस्य प्रदर्शनी में कलाकार सीमा तोमर अपने अलग विचार के साथ प्रस्तुत हुई हैं जहाँ मनुष्यों के उजागर होते दोहरे चरित्र को बाकायदा उकेरा गया है। इनकी कृतियाँ महिलाओं को समर्पित है। कलाकार सीमा तोमर कहती हैं कि मैंने महिलाओं के विभिन्न पहलुओं को जानने की कोशिश की है। उनका योगदान, आकांक्षाएँ, जीवन की विभिन्न भूमिकाओं के बीच संघर्ष, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक यात्रा मेरे काम के विषय हैं।
इस विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन भारतीय क्यूरेटर सुरेश नड्डा जी तथा रूस की क्यूरेटर लरीसा वी सुर्गीना जी द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। प्रदर्शनी में जयपुर के छात्र कलाकार आर्यन तिवारी सहित कई विशिष्ट लोगों की उपस्थिति रही। प्रदर्शनी 25 मई तक दर्शकों हेतु चलती रहेगी।
पंकज तिवारी
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