गुरुवार को बन रहे हैं कई शुभ-अशुभ योग, पंचांग से जानें मुहूर्त | Naya Sabera Network

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नया सवेरा नेटवर्क

आज का हिन्दू पंचांग ~🌞

⛅दिनांक - 22 मई 2025

⛅दिन - गुरुवार

⛅विक्रम संवत् - 2082

⛅अयन - उत्तरायण

⛅ऋतु - ग्रीष्म

⛅मास - ज्येष्ठ

⛅पक्ष - कृष्ण

⛅तिथि - दशमी रात्रि 01:12 मई 23 तक तत्पश्चात् एकादशी

⛅नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद शाम 05:47 तक तत्पश्चात् उत्तरभाद्रपद 

⛅योग - विष्कम्भ रात्रि 09:50 तक तत्पश्चात् प्रीति

⛅राहुकाल - दोपहर 02:17 से दोपहर 03:57 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार) 

⛅सूर्योदय - 05:56

⛅सूर्यास्त - 07:17 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त अहमदाबाद मानक समयानुसार)

⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में

⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से प्रातः 05:13 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)

⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:10 से दोपहर 01:03

⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 मई 23 से रात्रि 12:58 मई 23 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)

⛅विशेष - दशमी को कलम्बी का शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)


🔹गर्मी के प्रभाव से सुरक्षा हेतु – प्रकृति के उपहार🔹

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🥥🫒नारियल पानी :-  नारियल का पानी पित्तशामक, स्वादिष्ट, स्निग्ध और ताजगी प्रदान करनेवाला है । यह प्यास को शांत कर ग्रीष्म ऋतू की उष्णता से सुरक्षा करता है । अत: गर्मियों में नारियल पानी का सेवन विशेष लाभदायी हैं ।


🔸लू लगने पर नारियल पानी के साथ काला जीरा पीस के शरीर पर लेप करने से लाभ होता है ।


🔸प्रतिदिन नारियल खाने व नारियल पानी पीने से शारीरिक शक्ति का विकास होता है, वीर्य की तेजी से वृद्धि होती है । ( अष्टमी को नारियल न खायें । )


🔸मूत्र में जलन होने पर पिसा हरा धनिया तथा मिश्री नारियल पानी में मिला के पीने से जलन दूर होती है ।


🥒खीरा : -  खीरा शरीर को शीतलता प्रदान करता है । इसमें बड़ी मात्रा में पानी और खनिज तत्त्व पाये जाते हैं ।

अत: इसके सेवन से शरीर में खनिज तत्त्वों का संतुलन बना रहता हैं । यह मूत्र की जलन शांत करता है एवं यकृत ( लीवर ) के लिए भी हितकारी है । खीरा भूख बढाने के साथ ही आँतों को सक्रिय करता हैं ।


🔸 अधिक पढने – लिखने, चित्रकला, संगणक व सिलाई का काम करने से आँखों में थकावट होने पर खीरे के दुकड़े काटकर आँखों पर रखें । इससे उनको आराम मिलता है तथा थकावट दूर होती है ।


🔸नींबू  और खीरे का रस मिलाकर लगाने से धूप से झुलसी हुई त्वचा ठीक होती है ।


🍉तरबूज : ग्रीष्म ऋतू में प्यास की अधिकता से मुक्ति दिलाता है तरबूज । इसके सेवन से शरीर में लू का प्रकोप कम होता है और बेचैनी से रक्षा होती है ।


🔸 तरबूज के रस में सेंधा नमक और नींबू का रस मिलाकर पीने से लू से सुरक्षा होती है ।


🔸 गर्मी के प्रकोप से मूत्रावरोध होने पर तरबूज का रस पिलाने से मूत्र शीघ्र निष्कासित होता है ।


🔸तरबूज के छोटे – छोटे टुकड़ों पर थोडा – सा  जीरा चूर्ण और मिश्री डाल के सेवन करने से शरीर की उष्णता दूर होती है ।


☘️धनिया : - धनिया ग्रीष्म ऋतू में अधिक प्यास के प्रकोप को शांत करता है ।

🔸१० ग्राम सूखा धनिया व ५ ग्राम आँवला चूर्ण रात को मिटटी के पात्र में  १ गिलास पानी में भिगो दें । प्रात: मसलकर मिश्री मिला के छान के पियें । यह गर्मी के कारण होनेवाले सिरदर्द व मूँह के छालों में हितकर हैं । धनिया पीसकर सिर पर लेप करने से भी आशातीत लाभ होगा । इससे पेशाब की जलन, गर्मी के कारण चक्कर आना तथा उलटी होना आदि समस्याएँ दूर होती हैं ।

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