भारत का अतिथि देवो भव: बनाम अमेरिका का अतिथि अपमान भव: | Naya Sabera Network
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बाद अब दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफ़ोसा से ट्रंप की ऑन कैमरा नोक झोक क्या अपमान नहीं ?
वैश्विक डिजिटल युग में भारतीय संस्कृति संस्कारों व अतिथि देवो भव: जैसे अनेकों परंपराओं संस्कारों का संज्ञान लेकर अनुसरण करना समय की मांग- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
नया सवेरा नेटवर्क
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर यह पूरी दुनियाँ जानती है कि भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवता का स्थान दिया गया है, इसीलिए ही भारत की नम्रता एक सिंबाल है अतिथि देवो भव: जो हमने भारत में जी-20 की मेज़बानी में खूब दिखाई, जिससे इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में आए करीब 200 देश के सैकड़ो मेहमानों जिसमें राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री व प्रतिनिधि तक मेहमान नवाजी से खुश हो गए थे, और हो भी क्यों ना! क्योंकि अतिथि देवो भव: का गुण हमारे राष्ट्रपति पीएम से लेकर अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति के हृदय में समाया हुआ है। मेरा मानना है कि निजी स्तरपर शायद इस अतिथि देवो भव: के गुण में हो सकता है कमी आ गई हो परंतु मैं दावे के साथ कर सकता हूं कि भारतीय शासकीय स्तरपर, विदेशी लीडर्स अफसर, मंत्री प्रतिनिधि जब ऑफीशियली भारत आते हैं तो राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री से लेकर मंत्रियों तक व उच्चस्तर के अधिकारियों से लेकर छोटे अधिकारियों तक भी इस प्रोटोकॉल का पालन करते है, व उस अतिथि को खूब मान सम्मान और उसकी सेवा की जाती है। हालांकि जस्टिस बीआर गवई 14 मई को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनने के बाद 18 मई को पहली बार महाराष्ट्र गए थे। हालांकि, मुंबई में उन्हें स्टेट चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी या मुंबई पुलिस कमिश्नर में से कोई भी रिसीव करने नहीं आए थे,जिसपर सीज़ेआई गवई ने नाराजगी जाहिर की थी। इस घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी। बाद में राज्य के कैबिनेट मंत्री और भाजपा के प्रदेश ने कहा कि उन्होंने प्रोटोकॉल में चूक के लिए राज्य सरकार की ओर से सीज़े आई गवई से फोन पर माफी मांगी है। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि गुरुवार दिनांक 22 मई 2025 को देर शाम साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफोसा व अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में ऑफिशियल मीटिंग के समय तनातनी तीखी नोक झोक की किलिप्स सोशल इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल मीडिया पर जोरदार ढंग से वायरल हो रही है। ठीक वैसा ही व्यवहार व्हाइट हाउस में बीते दिनों फ़रवरी 2025 को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से भी ऑफिशियल बातचीत तीखी बहस के रूप में परिवर्तित हो गई थी, इसके पूर्व 2017 में भी व्हाइट हाउस में ट्रंप व मर्केल के बीच मुलाकात के दौरान कैमरे के सामने ट्रंप नें हाथ मिलाने से इनकार कर दिया था। मेरा मानना है कि यह अतिथि का अपमान है क्योंकि किसी को भी हम अपने शासकीय या निजी स्थान पर ऑफीशियली आमंत्रित करते हैं, न्योता देते हैं तो उसका मान सम्मान करना न केवल हमारा मानवीय धर्म है बल्कि प्रोटोकॉल भी है। चूँकि भारत का अतिथि देवो भव: बनाम अमेरिका का अतिथि अपमान भाव: तथा यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की क़े बाद अब दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफ़ोसा से ट्रंप की ऑन कैमरा नोक झोक क्या अपमान नहीं ?इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, विश्व के डिजिटल युग में भारतीय संस्कार संस्कृति व अतिथि देवो भव:जैसी अनेकों परंपराओं का संज्ञान लेकर अनुसरण करना आज समय की मांग है ?
यह भी पढ़ें | Jaunpur News: कंपोजिट विद्यालय पचहटिया में चल रहा समर कैंप | Naya Sabera Network
साथियों बात अगर दिनांक 22 मई 2025 को देर शाम व्हाइट हाउस में रामाफोसा व ट्रंप के बीच ऑन कैमरा तथा कथित तनातनी व अपमान की करें तो,बुधवार को डॉनल्ड ट्रंप के बुलावे पर दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा अमेरिका दौरे पर पहुंचे थे, ये दौरा मुख्य रूप से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने पर था, लेकिन मीटिंग के दौरान एक पत्रकार ने दक्षिण अफ्रीका में कथित श्वेत नरसंहार को लेकर मुद्दा उठा दिया, दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति ने इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की, लेकिन ट्रंप ने इसके बाद जो किया उसने सभी को चौंका दिया, उन्होंने ओवल ऑफिस की लाइटें बंद करवा दी, ट्रंप दक्षिणी अफ्रीकी राष्ट्रपति को दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत लोगों के खिलाफ हुए कथित आंदोलन के वीडियोज दिखाने लगे, डोनल्ड ट्रंप ने पहले से ही सारे वीडियोज को एडिट करवा के रखा था,यानें सिरिल रामफोसा को अपमानित करने की उनकी मंशा साफ-साफ दिख रही थी। ट्रंप यहीं नहीं रुके, वापस जब लाइटें ऑन हुईं तो ट्रंप कई अखबारों के आर्टिकल लेकर बैठे थे, जिसमें अश्वेत लोगों की मौत की खबरें थीं, ट्रंप एक एक कर के सारे आर्टिकल दिखाने लगे। बीते 10-15 मिनट से एक के बाद एक, आरोपों के बाण झेल रहे दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति का चेहरा पूरी तरह से उतर चुका था, उन्हें देखकर कोई भी कह सकता है कि वो यहां आने के अपने फैसले पर पछता रहे थे, लेकिन ट्रंप रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे, वो सवाल पर सवाल दागते जा रहे थे,आखिरकार दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति ने बड़ी ही विनम्रता के साथ उन्हें पूरा मामला समझाया और इन आरोपों का जवाब भी दिया।ये पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने घर बुलाकर किसी अंतरराष्ट्रीय नेता को बेइज्जत किया है, इससे पहले फरवरी के महीने में भी व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में ट्रंप ने अपने मेहमान यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को पूरी दुनियाँ के सामने बेइज्जत किया था।तीन साल से रूस से जंग लड़ रहे जेलेंस्की अमेरिकी राष्ट्रपति से मदद मांगने आए थे, लेकिन यहां उन्हें फटकार लगा दी गई, तब राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वांस दोनों एक साथ जेलेंस्की पर टूट पड़े थे। ट्रंप ने दावा किया की द.अफ्रीका में श्वेत किसानों का कत्ल हो रहा है, इसमें कोई दो राय नहीं है कि दक्षिण अफ्रीका में रेसिज्म यानी रंगभेद का पुराना इतिहास रहा है, लेकिन श्वेत किसानों के नरसंहार का जो दावा ट्रंप कर रहे हैं,दक्षिण अफ्रीका के सरकारी आंकड़े कहते हैं कि वहां औसतन हर साल 27000 मर्डर रिकॉर्ड किए जाते हैं, जिनमें से श्वेत किसानों की हत्या के सिर्फ 1 पेर्सेंट मामले हैं, एक और आंकड़ा बताता है कि अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच वहां 6,953 हत्याएं दर्ज की गईं, जिनमें से श्वेत किसान की हत्या का सिर्फ 1 मामला है। मानवाधिकार संस्थाएं, जैसे एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी माना कि किसानों की हत्या तो हो रही है लेकिन इसमें नस्लीय हिंसा का कोई एंगल नहीं है, ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ट्रंप ने ये मुद्दा उठाया क्यों? इस मुद्दे के बहाने अपने मेहमान को ओवल ऑफिस में मीडिया के सामने बेइज्जत किया क्यों, अमेरिका की राजनीति में भी श्वेत-अश्वेत का मामला काफी लंबे वक्त से चला आ रहा है, ऐसे में ये नैरेटिव ट्रंप के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है, ऐसे में माना जा रहा है कि ट्रंप ने अपने राजनीतिक हित के लिए सिरिल रमाफोसा को बेइज्जत किया, लेकिन यहां डॉनल्ड ट्रंप ने जो किया उसकी उम्मीद भी किसी ने नहीं की, डॉनल्ड ट्रंप अपने मेहमान से ऐसे ऐसे सवाल पूछने लगे जिससे वो असहज हो गए. ऐसा लग रहा था जैसे ट्रंप दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति का वेलकम करने नहीं बल्कि बेइज्जत करने की तैयारी के साथ आए हों। हमारे मन में अतिथि के लिए कभी भी हीन भावना नहीं आनी चाहिए और हमें कभी उसका निरादर नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति कभी भी अपने अतिथि का सत्कार नहीं करता भगवान भी उसके घर नहीं आते है। यदि आप अतिथि का सम्मान नहीं करते तो आपकी पढ़ाई व्यर्थ है। अतिथि पूजनीय है और उनका आगमन जीवन में खुशियाँ भर जाता है।
साथियों बात अगर हम भारत के अतिथि देवो भव: संस्कारों की करें तो, अगर हमारे घर कोई मेहमान आता है तो हम उनसे चाय-नाश्ता पूछते हैं, मेहमानों के आते ही बच्चों को गरमा-गरम समोसा, रसगुल्ले और कोल्ड ड्रिंक लाने के लिए भेजते हैं, ये हमारी संस्कृति है. जहां मेहमान को भगवान माना जाता है, अतिथि देवो भव: के संस्कार हैं, हमारे यहां तो बिनबुलाए मेहमान को भी बहुत इज्जत दी जाती है, लेकिन आज हम आपको दुनिया के सबसे शक्तिशाली मुल्क के सबसे शक्तिशाली पद पर बैठे शख्स की मेहमाननवाजी दिखाते हैं, डॉनल्ड ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपित सिरिल रामफोसा को अपने घर यानी व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया, व्हाइट हाउस की परंपरा के मुताबिक ओवल ऑफिस में दोनों के बीच द्वीपक्षीय वार्ता हुई,वहां दुनियाँ भर के अधिक बहुत पत्रकार जमा हुए।
साथियों बात अगर हम रामाफोसा व ट्रंप की मीटिंग में रिपोर्टरों के प्रश्नों क़े दोनों नेताओं के उत्तर की करें तो एक रिपोर्टर ने अमेरिकी राष्ट्रपति से कतर से मिले 400 मिलियन डॉलर के विमान को स्वीकार करने पर सवाल किया। रिपोर्टर ने इतना महंगे उपहार स्वीकार करने में नैतिकता आड़े आने की बात कही तो ट्रंप गुस्सा हो गए। उन्होंने रिपोर्टर को बेशर्म कहते हुए इस तरह के सवाल ना करने को कहा। इस पर रामफोसा ने हंसते हुए कहा कि मेरे पास तो ट्रंप को देने के लिए को महंगा विमान नहीं है। ट्रंप ने इस पर कहा कि अगर आपका देश यूएस एयर फोर्स को एक विमान देता तो मैं इसे जरूर स्वीकार कर लेता। रामफोसा ने ट्रंप के आरोपों का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि आप सच्चाई नहीं जानते हैं। रामाफोसा ने शांति से कहा, 'ये सही है कि साउथ अफ्रीका में अपराध है लेकिन इसके ज्यादातर शिकार अश्वेत हैं।' इस पर ट्रंप ने उनको बीच में टोकते हुए कहा कि टारगेट किलिंग का शिकार किसान अश्वेत नहीं हैं। इससे माहौल में भारी तनाव पैदा हो गया।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत का अतिथि देवो भव: बनाम अमेरिका का अतिथि अपमान भव:यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के बाद अब दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफ़ोसा से ट्रंप की ऑन कैमरा नोक झोक क्या अपमान नहीं ?वैश्विक डिजिटल युग में भारतीय संस्कृति संस्कारों व अतिथि देवो भव:जैसे अनेकों परंपराओं संस्कारों का संज्ञान लेकर अनुसरण करना समय की मांग।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425
विज्ञापन |