युद्ध के बाद भारत | Naya Sabera Network
नया सवेरा नेटवर्क
वैसे युद्ध बहुत हुए हैं,और होते आ रहे हैं।विश्व में कई तरह के युद्ध हो रहे हैं।भारत भी अछूता नहीं है।भारत का युद्ध सबसे अलग होता है। दुनियां एक फ्रंट पर लड़ती है।भारत ढाई फ्रंट पर लड़ता है। दुनियां के दुश्मन सामने होते हैं।भारत के दुश्मन सामने कम छिपे हुए अधिक हैं।हमने अपने ५६ वर्ष के जीवन काल में अनेक युद्ध देखें सुने हैं। जिसमें १९७१ का भारत पाक युद्ध सुना था। जिसमें भारत प्रचंड रूप से विजयी हुआ था।ये अलग बात है कि गंवाने के सिवा कुछ मिला नहीं था। क्योंकि सारा जीता हुआ हिस्सा पाकिस्तान व उसके भाई बांग्लादेश को दे दिया।यह कहते हुए कि बांग्लादेश अब स्वतंत्र देश होगा।भारत चौधरी बन गया।पाया कुछ नहीं। लाहौर तक तिरंगा फहरा दिया था हमारे वीर सैनिकों ने। लेकिन तत्कालीन सरकार ने पता नहीं किस कारण बस पुनः एल ओ सी के इस पार आ गई। पाकिस्तान के ९३ हजार वंदी सैनिकों को सम्मान के साथ छोड़ दिया।और अपने ५४ सैनिक भी नहीं छुड़ाई।इसके बाद भी तत्कालीन विपक्ष सरकार से न सवाल किया न ही साक्ष्य मांगा।बस सरकार के स्वर में स्वर मिला गाता रहा विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।
उसके बाद से भारत छद्म युद्ध लड़ता आ रहा है। पाकिस्तान आतंकवादियों के जरिए भारत को घाव देता आ रहा है।इसी दौरान एक बार फिर १९९९ में पाकिस्तान युद्ध छेड़ दिया और भारत पर हमला कर दिया। भारत ने वह भी युद्ध जीता जरूर पर पाया कुछ नहीं।सिर्फ उसको भगाया।इसके बावजूद सभी देशवासी विजयोत्सव मनाये। तत्कालीन विपक्ष भी विजयोत्सव मनाया।मगर साक्ष्य नहीं मांगा।उस समय भारत दो फ्रंट पर लड़ा था।पहला पाकिस्तान से और दूसरा आतंकवादियों से।और दोनों में सफल भी हुआ था। लेकिन छद्म युद्ध से चोली दामन का रिश्ता बना रहा। १९९९ के बाद भी भारत आतंकवादियों के हमलों से रक्तरंजित होते रहा।चाहे सीरियल बम ब्लास्ट हो।चाहे काश्मीर में आये दिन सैनिकों की व आम नागरिकों की हत्या।२६/११ का मुम्बई हमला। तत्कालीन सरकारों ने बस लीपापोती की ढंग से जवाब नहीं दीं।जिससे आतंकवादियों के हौंसले बुलंद होते गये।और जनता व सरकार के पस्त होते गये। तत्कालीन विपक्ष मांग करता रह गया।मगर तत्कालीन सरकार टस से मस नहीं हुई।उल्टे वह कुछ और गढ़ने के फिराक में लगी रही।
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समय बदला २०१४ में भारत की सत्ता बदली।जो विपक्ष में था कमान उसके हॉंथ में आई।और जो सरकार में थे जनता ने उन्हें विपक्ष में बैठा दी।उसके बाद भी आतंकवादियों ने अपने तरीके में बदलाव नहीं किया।नित कहीं न कहीं हमले कर भारत को दर्द देते रहे। पठानकोट उरी व पुलवामा में हृदयविदारक हमला कर भारत को झकझोर दिया।भारत ने हालांकि आतंकवादियों को भी अच्छा सबक सिखाया।उरी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवादियों को काफी क्षति पहुॅंचाई। पुलवामा के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर सबक सिखाया।दुश्मन तो कराहने लगा मगर भारत सरकार को यहीं से आधे फ्रंट का सामना करना पड़ा।वो आधा फ्रंट है।यहॉं की विपक्षी पार्टियां।सेना के शौर्य पर सवाल।ऐसे-ऐसे सवाल करने लगी कि सरकार को इस फ्रंट से निपटने में पसीने छूटने लगे।
अब वर्तमान सरकार ढाई फ्रंट पर लड़ाई लड़ रही।विगत दिनों पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों को आतंकवादियों ने धर्म पूॅंछकर परिवार के सामने सिर्फ पुरुषों को की हत्या कर हृदय विदीर्ण कर दिया।जिससे देश में बहुत उबाल आ गया।भारत सरकार भी नापाक पाकिस्तान को सबक सिखाने का मन बना ली।और कुछ दिन शांत रहने के बाद आपरेशन सिंदूर लांच कर आतंकवादियों के नौ हेडक्वार्टर को तबाह कर अनेक आतंकवादियों को जहन्नुम का रास्ता दिखा दिया।जिससे बिलबिला कर पाकिस्तान फिर भारत पर हमले शुरू कर दिया।भारत की जवाबी कार्रवाई से घबराकर फिर पाकिस्तान घुटने पर आ समझौता किया।भारत ने चेतावनी के साथ छोड़ दिया।अब भारत सरकार फिर आधे फ्रंट पर नित लड़ रही है।ए आधा फ्रंट शिद्दत से लगा है यह बताने में कि भारत हार गया है।और वो अपनी हार छुपा रहा है।एक तरफ दुनियां इस अल्प युद्ध में भारत की सूझ बूझ और ताकत का लोहा मान रही है।अचरज में है कि भारत ने सबसे बड़े हरामी को इतने अल्प समय में घुटने पर ला दिया।जो विश्व का सबसे छोटा युद्ध है। जिसमें दुश्मन की तो बखिया उधड़ गई।और भारत का बहुत ही अल्प नुकसान हुआ। दुनियां इस सोच में पड़ी रिसर्च कर रही है।और यहाॅं आधा फ्रंट लगा है सरकार को बदनाम करने में,और दुश्मन को संजीवनी पिलाने में।
यहाॅं भारत सरकार की भी गलती है।गलती ये कि भारत सरकार ने जानबूझकर इस आधे फ्रंट को खुलने दिया।भारत सरकार यदि चाहती तो यह आधा फ्रंट मौन रहता।भारत सरकार इनको मौन रखने में पूरी तरह असफल है।असफल इसलिए कि उसके कुछ अपने भी हैं।जो सरकार को लाचार कर दिए और आधे फ्रंट को बल दे बैठे हैं।इस मामले में सरकार का खुफिया तंत्र एक दम नकारा साबित हो रहा है।साॅंप निकल जाने के बाद लकीर पीट रहा है। इतना बड़ा काण्ड हो जाने के बाद अब देश में पाकिस्तानी जासूस ढूंढ़े जा रहे हैं।जिस नूह और मेवात से आज जासूस ढूंढ़े व निकाले जा रहे हैं,ये तब क्यों नहीं निकाले गये जब वहां पर धार्मिक दंगे हुए थे। क्यों शांत होकर बैठ गये।उनके इशारों पर गौर क्यों नहीं किए।इससे तो लगता है सरकार लीपापोती ही कर रही है।इसके बावजूद भी स्वस्थ विपक्ष आज जिस भाषा का उपयोग कर आधी बात सुनाकर जनता में वहम भर रही है वह निंदनीय है।आंधी में भूसा नहीं उड़ाना चाहिए।मगर आज का विपक्ष वहीं कर रहा है। मोदी और भाजपा का विरोध करते करते देशविरोधी बनता जा रहा है।अपनी करतूतों से विश्व में देश की छवि खराब कर रहा है। राजनीति कीजिए।विरोध कीजिए।मगर देश का विरोध उसमें न झलके।जिसका फायदा दुश्मन उठाए। लेकिन आज का विपक्ष अन्हराया है। इसीलिए वर्तमान सरकार को ढाई फ्रंट पर लड़ना पड़ रहा है।
पं.जमदग्निपुरी
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