Panchang: दिन का शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय | Naya Sabera Network
नया सवेरा नेटवर्क
🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
⛅दिनांक - 08 अप्रैल 2025
⛅दिन - मंगलवार
⛅विक्रम संवत् - 2082
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - बसन्त
⛅मास - चैत्र
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅तिथि - एकादशी रात्रि 09:12 तक तत्पश्चात् द्वादशी
⛅नक्षत्र - अश्लेशा सुबह 07:55 तक तत्पश्चात् मघा
⛅योग - शूल शाम 06:11 तक तत्पश्चात् गण्ड
⛅राहुकाल - दोपहार 03:50 से शाम 05:24 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)
⛅सूर्योदय - 06:25
⛅सूर्यास्त - 06:58 (सूर्योदय एवं सूर्यास्त अहमदाबाद मानक समयानुसार)
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से प्रातः 05:40 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)
⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:17 से दोपहर 01:07 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 अप्रैल 09 से रात्रि 01:04 अप्रैल 09 तक (अहमदाबाद मानक समयानुसार)
⛅व्रत पर्व विवरण - कामदा एकादशी, सर्वार्थसिद्धि योग (प्रातः 06:25 से प्रातः 07:55 तक)
⛅विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंड: 27.29-34)
🔹एकादशी व्रत के लाभ🔹
🔸 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
🔸 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
🔸 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
🔸 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
🔸 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
🔸 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
🔸 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
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🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹
🔸1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।
🔸2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।
🔸हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।
एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
🔸3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।
🔸4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।
🔸5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।
🔸6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।
🔸7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।
🔸8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए।
🔸9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।
🔸10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।
🔸11. इस दिन बाल नहीं कटायें।
🔸12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें।
🔸13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक)।
🔸14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।
🌞🚩🚩 *" ll जय श्री राम ll " 🚩🚩🌞*
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