विश्व साहित्य में सर्वोत्तम स्थान के अधिकारी हैं जयशंकर प्रसाद : प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित | Naya Sabera Network
नया सवेरा नेटवर्क
मुंबई। एचएसएनसी विश्वविद्यालय, भाषा विभाग द्वारा जयशंकर प्रसाद के कृतित्व पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में वक्तत्व देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. (डॉ.) सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा कि जयशंकर प्रसाद भविष्य द्रष्टा रचनाकार थे। उन्होंने ऐतिहासिक विकास को भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रकट किया। इतिहास बोध का इतना प्रामाणिक रचनाकार हमेशा पैदा नहीं होता। प्रसाद जी राष्ट्रीय चेतना के अद्वितीय चितेरे थे। कामायनी एक कल्प कृति है, जिसमें समय की संपूर्ण वृत्ति विद्यमान है। वर्तमान में हमारा समय इड़ा सर्ग का व्यावहारिक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि प्रसाद जी विश्व साहित्य में सर्वोत्तम स्थान के अधिकारी हैं।
राष्ट्रीय अस्मिता के सूत्रों को रचनात्मक दृष्टि से प्रस्तुत किया प्रसाद जी ने : प्रो. शीतला प्रसाद दुबे
इससे पूर्व कॉलेज की प्राचार्य प्रो. (डॉ.) तेजश्री शानभाग ने स्वागत वक्तव्य दिया। विशेष अतिथि एवं महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष प्रो. (डॉ.) शीतला प्रसाद दुबे ने कहा कि लगभग चार दशकों की प्राप्त आयु में प्रसाद जी ने हिंदी साहित्य की विविध विधाओं को समृद्ध करते हुए राष्ट्रीय अस्मिता के सूत्रों को रचनात्मक दृष्टि से प्रस्तुत किया। उनकी रचनाओं में इतिहास, मनोविज्ञान, समाज शास्त्र, नीति, भाव, कल्पना और बुद्धि के समन्वित सूत्र देखे जा सकते हैं। महर्षि दयानंद महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक एवं शोध निर्देशक डॉ. उषा दुबे का शोध लेख शोधार्थी किरन गोस्वामी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन के.सी. कॉलेज हिन्दी-विभागाध्यक्ष डॉ. अजीत राय ने एवं आभार ज्ञापन अंजलि चौबे ने किया। कार्यक्रम के संयोजन में डॉ. सुधीर कुमार चौबे, रुचि उपाध्याय, गरिमा एवं प्रीति परमार का विशेष सहयोग रहा।
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