Poetry: आओ बच्चों देखें घड़ी | Naya Savera Network
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आओ बच्चों देखें घड़ी :
"टिक-टिक टिक-टिक चले घड़ी"
टिक-टिक टिक-टिक चले घड़ी
तीन - तीन सूइयां छोटी बड़ी
मिनट की सूई घंटे से बड़ी
सेकेंड की सूई सबसे बड़ी
तेज गति की सूई सबसे बड़ी
मिनट की सूई मंद पड़ी
घण्टे की दिखती खड़ी - खड़ी
समय एक बतलाने पर अड़ी
छोटी हो या फिर हों घड़ी बड़ी
टिक-टिक टिक-टिक चले घड़ी
एक से बारह तक अंक लढ़ी
चारों ओर से लिखी पड़ी
बारह बड़े खानों की कड़ी
सभी में छोटी पांच लकीरें पड़ी
बड़े खाने बतलाते घंटे की घड़ी
छोटे दर्शाते मिनट की घड़ी
हर पल फिट रहे अपनी घड़ी
कभी भी न थके अपनी घड़ी
टिक-टिक टिक-टिक चले घड़ी।
कलमकार-
विजय मेहंदी(कवि हृदय शिक्षक)
P.S MANGARI,BARASATHI
JAUNPUR