Poetry : फूंक जीनि धाने क पुआर मोरे मितवा | Naya Savera Network
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" फूंक जीनि धाने क पुआर मोरे मितवा "
खेतार हमरे रजऊ,
खेतार हमरे रजऊ,
धूं - धूं कइके बरता
खेतार हमरे रजऊ।
पुआर हमरे रजऊ,
पुआर हमरे रजऊ,
फूंक जीनि धाने क,
पुआर हमरे रजऊ।
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हमार हमरी धनिया,
हमार हमरी धनिया,
कइसे चली खेतवा में,
फार,, हमरी धनिया।
बोआर हमरी धनिया,
बोआर हमरी धनिया,
कइसे होईहैं गेहूंए क,
बोआर हमरी धनिया।
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अहार हमरे रजऊ,
अहार हमरे रजऊ,
जरी जाई पशुअन क,
अहार हमरे रजऊ।
सुधार हमरे रजऊ,
सुधार हमरे रजऊ,
कइसे होई उसरा क,
सुधार हमरे रजऊ।
तार-तार हमरे रजऊ,
तार-तार हमरे रजऊ,
पर्यावरण होता,
तार-तार हमरे रजऊ।
धुंआधार हमरे रजऊ,
धुंआधार हमरे रजऊ,
जहर मिलत हउवा में,
धुंआधार हमरे रजऊ।
बंटाधार हमरे रजऊ,
बंटाधार हमरे रजऊ,
ई तीनौ क होता,
बंटाधार हमरे रजऊ।
रफ्तार हमरे रजऊ,
रफ्तार हमरे रजऊ,
रूकि जाई साँसे क,
रफ्तार हमरे रजऊ।
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हमार हमरी धनिया,
हमार हमरी धनिया,
खोलि दिहलू बुद्धि तूँ ,
हमार हमरी धनिया।
पुआर हमरी धनिया,
पुआर हमरी धनिया,
अब न फूंकब धाने क,
पुआर हमरी धनिया।
किनार हमरी धनिया,
किनार हमरी धनिया,
चल गांजी पुअरा एक,
किनार हमरी धनिया।
खेतार हमरी धनिया,
खेतार हमरी धनिया,
एसे सुधरी ऊसर अउ,
खेतार हमरी धनिया।
फुहार हमरी धनिया,
फुहार हमरी धनिया,
आई जब बारिस क,
फुहार हमरी धनिया।
हूंसियार हमरी धनिया,
हूंसियार हमरी धनिया,
तूँ त निकलू बड़ी,
हूंसियार हमरी धनिया।
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पुआर बहिनी भइया,
पुआर बहिनी भइया,
फूंकिह जिनी तूँ कबहूँ ,
पुआर बहिनी भइया।
हाहाकार बहिनी भइया,
हाहाकार बहिनी भइया,
दिल्ली में मचलि बा,
हाहाकार बहिनी भइया।
पुकार बहिनी भइया,
पुकार बहिनी भइया,
विजय जी क सुनि ल ई
पुकार बहिनी भइया।
गीतकार
विजय मेहंदी(कविहृदय शिक्षक)
जौनपुर(उ0प्र0)