#Article: दुर्गा तो बलि प्रियम: ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
सनातन धर्म में जीव हत्या को पाप माना गया है। तो किस चीज की बलि मां दुर्गा को प्रिय है जानिए सबकुछ ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री से महापुराणों के अनुसार शक्ति स्वरूपा माँ दुर्गा के पूजन की यूं तो कई विधियां हैं जिनमें पूजा, हवन तथा बलिदान का विशेष महत्त्व है. विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती तथा देवी मद्भागवत महापुराण में माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए बलिदान की विशेष महत्ता बताई गयी है. अब सवाल यह उठता है कि वैदिक पूजन में बलिदान के क्या मायने हैं ? इस सन्दर्भ में ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री कहते हैं, ''सच बात यह है कि हमारे यहाँ बलिदान का अर्थ है जीव हत्या लेकिन वैदिक पूजन में बलिदान का तात्पर्य जीव हत्या से ना होकर हमारे विकारों की बलि तथा माँ दुर्गा को प्रिय कुछ वस्तुओं की बलि से है, जिनमें कुष्मांडा, निम्बू, जायफल, नारियल तथा गन्ना का समावेश है। हाँ यह सच है कि पुराणों के अनुसार माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए राक्षस गण जीवों की बलि देते थे. वह उनकी प्रकृति थी लेकिन देव गण आम तौर पर माँ दुर्गा को प्रिय इन्हीं पाँच वस्तुओं की बलि देते थे क्योंकि सनातन धर्म में जीव हत्या को पाप माना गया है। हालांकि प्राचीन काल से लेकर अब तक माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए बलिदान स्वरूप जीव हत्या को ही महत्ता दी गई है जो गलत है। अब समय आ गया है कि आज के इस युग में भक्त माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए बलिदान की सही परिभाषा समझें। इसी प्रकार महाभारत पुराण के शांति पर्व में यज्ञादिक शुभ कर्मों में पशु हिंसा का निषेध करते हुए बलि देने वालों की निन्दा की गई है-