#Poetry: मेरा जिगर तिरंगा ! | #NayaSaveraNetwork



नया सवेरा नेटवर्क

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें! 

   मेरा जिगर तिरंगा !

मेरा अमर तिरंगा है,  मेरा  जिगर तिरंगा है।
रग - रग में यही बसता,  ऐसा  ये तिरंगा है।

मेरी आन  तिरंगा है,  मेरी  शान  तिरंगा  है,
कोई दुश्मन  देखे  इसे, दहलाता  तिरंगा है।

तेरा  भी   तिरंगा   है,  मेरा   भी  तिरंगा  है,
तू नजर उठा के देख, नभ में भी  तिरंगा है।

चाँद  पे   तिरंगा  है,   मंगल  पे   तिरंगा  है,
दुश्मन को फतह  करता, ऐसा ये तिरंगा है।

गोरों  को  भगाया  जो , वो  यही  तिरंगा है,
महफूज़  रखे  ये  वतन,  ऐसा ये  तिरंगा है।

गांधी का तिरंगा  है, बिस्मिल  का तिरंगा है,
जिसने भी लुटाया लहू उसका भी तिरंगा है।

हर लब पे उठे  जो  नाम,  ऐसा ये तिरंगा है।
जन -जन के हृदय बसता,ये वही  तिरंगा है।

मेरी नजर जहाँ जाती, हर जगह  तिरंगा है।
कोई जगह बताए मुझे,जहाँ नहीं तिरंगा है।

         रामकेश एम.यादव, मुंबई 
    ( रॉयल्टी प्राप्त कवि व लेखक )

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