#Loksabhaelection2024 : अहमदनगर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र | #NayaSaveraNetwork

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  • 46 वर्ष तक रहा कांग्रेस का कब्जा, फहरा रहा अब भगवा

अजीत कुमार राय / जागरूक टाइम्स

मुंबई। महाराष्ट्र की 48 सीटों में से एक अहमदनगर लोकसभा सीट शेवगांव, राहुरी, पारनेर, अहमदनगर शहर, श्रीगोंडा और कर्जत जामखेडविधानसभा को मिलाकर बनाई गई है। इस सीट पर 46 साल तक कांग्रेस का परचम लहराया। वर्तमान में यह सीट भारतीय जनता पार्टी केकब्जे में हैं। इसके इतिहास को देखें तो अहमदनगर जिला 1818 में तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध मेंमराठा साम्राज्य की हार के बाद बनाया गया था। आजादी तक यह बॉम्बे प्रेसीडेंसी के सेंट्रलडिवीजन का हिस्सा बना रहा। साल 1960 में यह महाराष्ट्र राज्य का नयाजिला घोषित हुआ। इससे पूर्व साल 1490 में यहां मलिक अहमद निज़ामशाह नेअपना अधिकार स्थापित किया और इसे अपनी राजधानीबनाया था। अहमदनगर अकबर के बेटे युवराज मुराद से कड़ा मुकाबला करने वाली वीरांगना चांदबीबी के नाम से भीजाना जाता है। यहाँ अहमद निजामशाहका किला भी काफी मशहूर हैं। यह वही किला है, जिसमें 1940 में अंग्रेजों ने देश के पूर्वप्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को नजरबंद किया था। इस सीट के राजनीतिक यात्रा पर नजर डालेतो इस सीट पर 46 साल तक कांग्रेस का कब्जा रहा।सन 1952 से लेकर 1998 तक कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी सांसद बनते आए। इनमें 1952 में उत्तमचंद आर बोगावत, 1957 में आरके खाडिलकर, 1962 में मोतीलाल फिरोदिया, 1967 में अनंतराव पाटिल, 1971 और 1977 में अन्नासाहेब शिंदे, 1980 में चंद्रभान अठारे पाटिल, 1984, 1989 और 1991 में यशवंतराव गडख पाटिल चुनावजीते। 1994 के उपचुनाव में मारुति देवारामशेलके जीते। इन्होंने 1996 का भी चुनाव कांग्रेस पार्टी केटिकट पर जीता। 


  • पूर्व कांग्रेसी ने ढहाया कांग्रेस का किला

1998 के चुनाव मेंकांग्रेस के विजय रथ को शिवसेना ने रोक दिया। यहां से शिवसेना के बालासाहेब विखेपाटिल ने जीत दर्ज की। कांग्रेस के गढ़ को धराशायी करने वाले एकनाथरावउर्फ बालासाहेब विखे पाटिल पहले कांग्रेसी थे, लेकिनकालांतर में शिवसैनिक हो गए। उन्होंने कोपरगांव और अहमदनगर का लोकसभामें प्रतिनिधित्व किया। उन्हें पहले वित्त मंत्रालय (भारत) मेंराज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया और बाद में भारत सरकार में भारी उद्योगऔर सार्वजनिक उद्यम मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। वहीं 1999 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टीयहां से जीत दर्ज करने में कामयाब हुई। साल 2004 के चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेसपार्टी के तुकाराम गडख सांसद चुने गए। 2009 में बीजेपी ने यहां फिर से चुनाव जीता और पार्टी के दिलीप कुमार गांधी सांसदचुने गए। वह 2014 में भी जीतहासिल करने में कामयाब हुए। 2019 के चुनाव मेंबीजेपी के सुजय विखे पाटिल ने इस सीट पर कब्जा किया। 

  • विरासत बचाएंगे तीसरी पीढ़ी के सुजय

प्रदेश राजनीति में बदलते परिवेश को देखते हुए प्रदेश के दिग्गज नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल 2019 मेंकांग्रेस छोड़ भाजपाई हो गए थे। भाजपा ने भी उनका सम्मानजनक स्वागत करते हुए न केवल उन्हें मंत्रीपद से नवाजा बल्कि उनके बेटे सुजय विखे पाटिल को अहमदनगर सीट से उम्मीदवार भी बनाया।सुजय ने भी पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए एनसीपी उम्मीदवार संग्रामअरुण जगताप को 2,81,526 वोटों के भारीअंतर से पराजितकिया। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें एक बार फिर से अपना उम्मीदवार बनाया है। ऐसेमें उनके कंधे पर अपने परिवार के राजनीतिक विरासत को बनाए रखने और भाजपा के ‘अबकी बार400 पार’ के सपने को साकार करने की जिम्मेदारी है। इनके दादा एकनाथरावउर्फ बालासाहेब विखे पाटिल ने इस सीट से शिवसेना के टिकट पर जीत दर्ज करतेहुए कांग्रेस के विजय अभियान को रोका था। वहीं उनके पिता राधाकृष्णविखे पाटिल जिले के शिरडी विधानसभा क्षेत्र से 7 बार से अपराजित विधायक व वर्तमानमें महाराष्ट्र सरकार में राजस्व मंत्री हैं। उन्होंने 1995 से 6अलग-अलगमुख्यमंत्रियों के अधीन काम किया है और अपने करियर में 12 अलग-अलग विभाग संभाले हैं। 


  • पाटिल शरद पवार ने जताया लंके पर विश्वास

 वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी इस सीट पर मुकाबला भाजपा बनाम राकांपा ही है। यह अलग बात है कि मुख्य राकां इस समय भाजपा के साथ है, तो पार्टी का दूसरा धड़ा राकांपा (शरदचंद्र पवार) चुनावी मैदान में सामने खड़ी है। पिछले लोकसभा चुनाव में राकांपाने यहां से संग्राम अरुण जगताप को अपना उम्मीदवारबनाया था। वहीं शरद पवार ने इस बार पारनेर विधायक निलेश लंके पर अपना विश्वास जतायाहै। हालांकि लंके स्वयं चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। टिकट मिलने के बाद विधानसभा से इस्तीफा देते हुए लंके ने कहा था कि “मैंने भगवान तो नहीं देखा लेकिनवरिष्ठ नेता शरद पवार में भगवान जैसा महान व्यक्ति देखा है। उन्होंने मुझसे कहा किनीलेश तुम्हें लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए। आखिर पवार साहब की बातों के सामनेविधायक की क्या औकात है?” अब देखना यह है कि आधे मन और आधी राकांपा के सहारे लंके भाजपा उम्मीदवार सुजय विखे पाटिल को कितनीचुनौती दे पाते हैं। 


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