दक्षिण मुम्बई लोकसभा सीट | #NayaSaveraNetwork


  • देश के वीवीआईपी किसका करेंगे राजतिलक

अजीत कुमार राय

मुंबई। महाराष्ट्र के 48 लोकसभा सीटों में से एक दक्षिण मुम्बई निर्वाचन क्षेत्र की गिनती देश की सबसे वीआईपी सीट के रूप में होती है। 19 फरवरी 2008 के परिसीमन के बाद, इस लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र वर्ली, शिवडी, भायखला, मलाबार हिल, मुम्बादेवी, और कोलाबा शामिल किए गए हैं। विश्व प्रसिद्ध ताज होटल, गेटवे ऑफ इंडिया, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, मुकेश अंबानी का आवास एंटीलिया, राजभवन, दलाल स्ट्रीट, झवेरी बाज़ार, महाराष्ट्र विधानसभा, हाइकोर्ट, बृहन्मुंबई महानगर पालिका मुख्यालय इसके अंतर्गत आते हैं। इतना ही नहीं विश्व प्रसिद्ध अधिकांश उद्योगपतियों के आवास, नौसेना मुख्यालय, विविध संस्थानों के मुख्यालय एवं प्रमुख कार्यालय इसी क्षेत्र में आते हैं। अभी तक किसी भी प्रमुख दल ने इस सीट से अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। वैसे तो महाविकास अघाड़ी की ओर से वर्तमान सांसद अरविंद सावंत का नाम लगभग-लगभग तय हैं। हालांकि कांग्रेस इसे अपना परंपरागत सीट बता रही है। लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त देखें तो कांग्रेस के टिकट से इस सीट पर लंबे समय तक परचम फहराने वाले देवड़ा परिवार के सदस्य एवं वर्तमान राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा फिलहाल शिवसेना (शिंदे गुट) के हिस्सा हैं। ऐसे में यहाँ से शिवसेना (यूबीटी) का ही उम्मीदवार होगा यह तय है। जबकि महायुति में प्रत्याशी को लेकर असमंजस है। कांग्रेस के टिकट पर 2004 तथा 2009 में यहां से सांसद और  2014 व 2019 में प्रत्याशी रहे मिलिंद देवड़ा को शिवसेना द्वारा राज्यसभा में भेजे जाने से स्पष्ट हो गया है कि सीएम शिंदे इस सीट पर दावा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा की ओर से इस क्षेत्र की दो विधानसभाओं कोलाबा एवं मालाबार हिल से निर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर एवं कौशल विकास मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा का नाम चर्चा में हैं। हालांकि एनडीए में मनसे के आगमन से इस सीट पर कोई नया चेहरा भी देखने को मिल सकता है।


  • कांग्रेस का रहा दबदबा, इस बार उम्मीदवारी पर भी संदेह


दक्षिण मुम्बई सीट पर कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है। हालांकि इस सीट से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से देवड़ा परिवार ने ही किया है, जो अब शिवसेना (शिंदे गुट) का हिस्सा है। वहीं कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत यहाँ से सांसद हैं। ऐसे में पूरी-पूरी संभावना है कि कांग्रेस को अपनी यह परंपरागत सीट अपने सहयोगी दल के लिए छोड़नी पड़े। पुराने परिणामों पर नज़र डालें तो 1952 से 1967 तक इस सीट पर कांग्रेस काबिज रही। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के बैनर पर लड़े पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीज ने पहली बार कांग्रेस के तिलिस्म को तोड़ा था और 1967 के चुनावों में जीत हासिल की थी। 1971 में फिर से सीट कांग्रेस के पास चली गई। 1977 से 1984 तक ये सीट भारतीय लोक दल और जनता पार्टी के पास रही। उसके बाद 1984 से 1996 तक यहां कांग्रेस के मुरली देवड़ा का एकछत्र राज रहा। 1996 में उनके तिलिस्म को भाजपा की जयवंतीबेन मेहता ने तोड़ा था, लेकिन 1998 में फिर से मुरली देवड़ा को यहां से जीत मिली। 1999 में फिर जयवंतीबेन मेहता ने विजय हासिल की, लेकिन 2004 एवं 2009 के चुनाव में मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस के टिकट पर लड़कर इस सीट को पुनः हासिल कर लिया। वहीं 2014 एवं 2019 में एनडीए के बैनर तले शिवसेना के अरविंद सावंत ने मोदी लहर में विजय दर्ज की। वर्तमान हालात पर नज़र डालें तो ऐसी संभावना है कि इस सीट से अरविंद सावंत इस बार भी प्रत्याशी होंगे। अंतर बस इतना होगा कि विगत दोनों लोक सभा चुनावों में वे भाजपा समर्थित गठबंधन के हिस्सा थे, जबकि इस बार वे भाजपा विरोधी गठबंधन के प्रत्याशी होंगे।


  • क्या मनसे को मिलेगा मौका?


यदि यह सीट मनसे को मिलती है तो बाला नंदगांवकर इस सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं। मनसे के शीर्षस्थ नेता नांदगांवकर पहली बार 1995 में इसी क्षेत्र में आने वाली मझगांव विधानसभा सीट से शिवसेना के टिकट पर पूर्व उपमुख्यमंत्री छगन भुजबल को हराकर महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए, और 1999 और 2004 में फिर से जीते। वह 2009 में एमएनएस के टिकट पर शिवडी से विधानसभा के लिए चुने गए, लेकिन 2014 में हार गए। उसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में वे दक्षिण मुम्बई सीट से ही नवनिर्माण सेना के टिकट पर चुनाव लड़े और तीसरे स्थान पर रहे थे, उन्हें मोदी लहर के बावजूद 84773 वोट मिले थे। हालांकि अपुष्ट सूत्रों से चर्चा यह भी है कि राजठाकरे इस सीट से अपने बेटे अमित ठाकरे को मैदान में उतार सकते हैं। परंतु देखना यह है कि मनसे यहाँ चुनाव अपने चुनाव चिह्न पर लड़ती है या कमल के फूल पर। क्योंकि चर्चा यह है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व मनसे को दो सीट देने के लिए राजी है लेकिन वह चाहता है कि मनसे भाजपा के चुनाव चिह्न पर लड़े।

 लेखक जागरूक टाइम्स के एसोसिएट एडिटर हैं।

जागरूक टाइम्स से साभार

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