किसके सर सजेगा महाराष्ट्र में मुकुट



  • महायुति - महाविकास आघाड़ी में महामुकाबला

अजीत कुमार राय

मुंबई. लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने – अपने गढ़ को बचाए रखने तथा विपक्षी दल के गढ़ों में सेंध लगाने के लिए हर दाँव आजमा रहे हैं। भाजपा नीत एनडीए गठबंधन जहां विजयी हैट्रिक लगाने के लिए बेताब हैं, तो वहीं उसके विजय रथ को रोकने के लिए इंडिया गठबंधन भी अपनी पूरी ताकत झोंक रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव की परिस्थितयों एवं गठबंधनों पर नज़र डाले तो परिस्थितयाँ काफी हद तक पूर्ववत ही दिखाई दे रहीं हैं। हालांकि इन सबसे इतर महाराष्ट्र की भूमि इस चुनावी महसंग्राम की केंद्रबिंदु बन गई है। क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद जितने राजनीतिक दांव-पेंच महाराष्ट्र में देखने को मिले, उतने तो पूरे देश में नहीं हुए। लोकसभा की सीटों की दृष्टि से देश के दूसरे सबसे बड़े प्रदेश महाराष्ट्र में 48 सीटें आती हैं, जो अगले प्रधानमंत्री के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। पिछले लोकसभा चुनाव जहाँ युति बनाम आघाड़ी रहे हैं। वहीं बदलते परिवेश में ये नए साथियों के साथ 

गठबंधन बना महायुति एवं महाविकास आघाड़ी कहलाने लगे हैं। विश्वास एवं स्वाभीमान की लड़ाई के नजरिए से देखें तो मुख्य मुकाबला शिवसेना बनाम शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा बनाम राकांपा (एससीपी) के बीच ही दिखाई दे रही हैं। वहीं भाजपा इन सबसे अलग अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहेगी, तो कांग्रेस के सामने अपने गौरव को वापस पाने की चुनौती है। वहीं सदा एकल चलो का नारा लेकर विशिष्ट वैचारिकता की राजनीति करने वाले राज ठाकरे भी अपनी पार्टी का वजूद बनाए रखने के लिए गठबंधन की नौका पर सवार होते नज़र आ रहे हैं। इसके साथ ही जाति समुदाय के मुद्दे पर राजनीति करने वाली पार्टियाँ भी इन गठबंधनों का हिस्सा बन जोर आजमाइश करती नज़र आएंगी। अब देखना यह है कि लोकसभा चुनाव 2024 के महासमर में महाराष्ट्र के मतदाता किसके सर पर महाविजय का मुकुट सजाते हैं।

  • बड़े भाई की भूमिका में भाजपा 

महाराष्ट्र की राजनीति में पहले छोटे भाई की भूमिका में रहने वाली भाजपा अब पूरी तरह से बड़े भाई की भूमिका में आ गई है। इसका श्रेय भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के साथ -साथ उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की राजनीतिक कुशलता को भी जाता है। राजनीतिक गठबंधनों के इस दौर में जोड़-तोड़ की गणित आज बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। ऐसे में यदि पिछले कुछ वर्षों के राजनीतिक घटनाक्रमों को देखें तो इस खेल में फडणवीस अन्य नेताओं की तुलना में बहुत आगे नज़र आ रहे हैं। विधान सभा चुनाव के बाद अजीत पवार को साथ ले सरकार बनाना हो या पर्याप्त मत न होने के बावजूद अपने विधानपरिषद एवं राज्य सभा उम्मीदवारों का जिताना अथवा शिवसेना को तोड़कर अपनी सरकार बनाना या फिर चुनाव से कुछ माह पूर्व राकांपा को तोड़कर अपने पक्ष में कर लेना; कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो देवेंद्र फडणवीस को वर्तमान राजनीति के माहिर खिलाड़ी के रूप में स्थापित करते हैं। वहीं भाजपा ने प्रदेश की 20 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर बढ़त बना ली है। अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व एवं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के राजनीतिक दाँव-पेंच को महाराष्ट्र के मतदाताओं का कितना समर्थन मिलता है।


  • विरासत के सहारे बिखरती कांग्रेस



कांग्रेस के लिए कभी गढ़ माने जाने वाला महाराष्ट्र आज उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस मात्र 1 सीट पर सिमट कर रह गयी थी। वहीं उद्धव ठाकरे के साथ मिलकर प्रदेश में बनाई गई सरकार भी चुनाव पूर्व ही गिर गयी। इन सबसे बड़ी समस्या पार्टी के सामने है कोई तो वह है शीर्ष नेताओं का पार्टी छोड़कर चले जाना। कुछ दिनों पहले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा क्रमशः भाजपा और शिवसेना में चले गए। वहीं पूर्व सांसद प्रिया दत्त के भी शिवसेना में जाने के चर्चे हैं। ऐसे में प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने नेताओं को दूसरे दलों में जाने से रोकना और अपने सहयोगियों से सामंजस्य बैठाना है। अब देखना यह है इन सब चुनौतियों से पार पा कांग्रेस कितना बेहतर प्रदर्शन कर पाती है।

  • असली उत्तराधिकारी कौन?

कभी राजग का हिस्सा रही शिवसेना में अब दो फाड़ हो गया है। इन दोनों दलों में खुद को बालासाहेब ठाकरे का उत्तरराधिकारी साबित करने की होड़ लगी हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नित शिवसेना (यूबीटी) जहाँ खुद को जैविक एवं भावनात्मक आधार पर बालासाहेब ठाकरे का उत्तराधिकारी बता रही है। तो वहीं मुख्यमंत्री शिंदे की शिवसेना अपने आपको वैचारिक आधार पर बालासाहेब ठाकरे का उत्तराधिकारी मान रही है। अब ऐसे में देखना यह कि प्रदेश की जनता किसको अपना समर्थन देती है। पिछले चुनाव में शिवसेना ने प्रदेश की 18 सीटों पर विजय पताका फहराई थी, जिसमें से आज 13 सांसद सीएम शिंदे और 05 सांसद उद्धव ठाकरे के साथ हैं। ऐसे में यदि इन दोनों में से कोई भी इस आंकड़े की पुनरावृत्ति करने में सफल होता है तो यह किसी आश्चर्य से कम नहीं होगा।


  • चाचा-भतीजे में भारी कौन? 

भारतीय राजनीति के बड़े चेहरे और राजनीतिक के चाणक्य माने जाने वाले शरद पवार को अपने भतीजे अजीत पंवार से ही कड़ी चुनौती मिल रही है। पार्टी तोड़कर सरकार बनाने की परंपरा की शुरुआत करने शरद पंवार को अजीत पंवार ने युति सरकार से हाथ मिला उनके ही अंदाज में झटका दिया है। राकांपा के इन दोनों गुटों के लिए पहली चुनौती है अधिक से अधिक सीटों पर अपना प्रत्याशी उतारना। क्योंकि गठबंधन के इस दौर में उन्हें बहुत ज्यादा सीटें मिलेंगी ऐसा लगता नहीं है। वहीं पूरी-पूरी संभावना यह है कि अधिकांश सीटों चुनावी टक्कर इनकी आपस में ही होगी। अब ऐसे में देखना यह है कि दोनों पंवार में "किंग" कौन साबित होता है।


  • महाभंवर में मनसे

सदा एकला चलो एवं स्पष्टवादिता की राजनीति करने वाले मनसे प्रमुख राजठाकरे को भी यह लगने लगा है कि वैचारिक क्रांति को जनक्रांति बनाने और जीवंत रखने के लिए लोकतंत्र के मंदिर में अपने सदस्यों की उपस्थिति होना जरूरी है। शायद यही कारण है कि समय-समय पर केंद्र सरकार की योजनाओं एवं नीतियों की आलोचना एवं गठबंधन की राजनीति से परहेज करने वाले राजठाकरे बहुत जल्द एनडीए का हिस्सा बन जाएं। यदि ऐसा कुछ हो पाता है तो ये मनसे के लिए संजीवनी साबित होगा; क्योंकि उनके पास खोने के लिए वैसे भी कुछ नहीं है।


  • पाँच चरणों में मतदान

केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित चुनाव की तिथियों के अनुसार महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर चुनाव पाँच चरणों में संपन्न होंगे। 

  • 19 अप्रैल (5 सीट): रामटेक, नागपुर, भंडारा गोंदिया, गढ़चिरौली-चिमूर, चंद्रपुर
  • 26 अप्रैल (8 सीट): बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल वाशिम, हिंगोली, नांदेड़, परभनी
  • 7 मई (11 सीट): रायगढ़, बारामती, उस्मानाबाद, लातूर, सोलापुर, माढ़ा, सांगली, सतारा, रत्नागिरी-सिंघदुर्ग, कोल्हापुर, हातकणंगले
  • 13 मई (11 सीट): नंदूरबार, जलगांव, रावेर, जालना, औरंगाबाद, मावल, पुणे, शिरूर, अहमदनगर, शिरडी, बीड
  • 20 मई (13 सीट): धुले, डिंडोरी, नासिक, पालघर, भिवंडी, कल्याण, ठाणे, मुंबई उत्तर, मुंबई उत्तर पश्चिम, मुंबई उत्तर पूर्व, मुंबई उत्तर मध्य, मुंबई दक्षिण मध्य, मुंबई दक्षिण

लेखक जागरूक टाइम्स के एसोसिएट एडिटर हैं।

जागरूक टाइम्स से साभार


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