जौनपुर के पूर्व सांसद धनन्जय सिंह सहित साथी को 7 साल की सजा | #NayaSaveraNetwork
मामला नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर को अगवा करने व रंगदारी मांगने का
नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के मैनेजर मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल के अपहरण और रंगदारी टैक्स मांगने के आरोप में अपर जिला जज चतुर्थ एवं एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश शरद चन्द त्रिपाठी ने बुधवार को सजा के बिन्दु पर बहस सुनने के पश्चात पूर्व सांसद धनंजय सिंह सहित उनके साथी संतोष विक्रम सिंह को धारा 364, 386, 504 और 120बी के अपराध का दोषी मानते हुए अपने फैसले में 7 साल कारावास और 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। विद्वान न्यायाधीश ने अपने फैसले में यह भी कहा कि जुर्माना न जमा करने पर दो माह और कारावास में रहना होगा। इस सजा के साथ अब यह भी सुनिश्चित हो गया कि पूर्व सांसद चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। हालांकि नियम है कि सजा भुगतने के 6 साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध रहेगा। फैसले के दिन दीवानी न्यायालय पूरी तरह से छावनी में तब्दील हो गई थी। कई थानों की पुलिस और अधिकारी सुबह 10 बजे से दीवानी न्यायालय के चप्पे—चप्पे पर तैनात रहे। एक दिन पहले यानी 5 मार्च को पूर्व सांसद और उनके साथी को दोषी करार दे दिया गया था जिसके बाद न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेज दिया गया था।
विदित हो कि 10 मई 2020 को नामामि गंगे परियोजना के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने थाना लाइन बाजार में अपने अपहरण और रंगदारी टैक्स वसूली का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने मुकदमे की चार्जसीट न्यायालय को भेजा था। न्यायालय में मुकदमे के परिसीलन के दौरान सभी गवाह पक्ष द्रोही (होस्टाइल) हो गये थे। यहां तक की मुकदमा वादी ने भी अपना मुकदमा वापस लेने की अर्जी भी लगा दी थी। इसके बाद भी विद्वान न्यायाधीश ने पत्रावली में मौजूद साक्ष्यों का हवाला देते हुये मुकदमे की सुनवाई की और 5 मार्च को पूर्व सांसद धनंजय सिंह सहित उनके साथी संतोष विक्रम सिंह को दोषी करार देते हुए जेल भेज दिया था। रंगदारी और अपहरण के मामले में आरोपियों की ओर से अधिवक्ता ने अदालत में दलील दी कि उनके ऊपर लगे आरोप निराधार हैं। वादी और उसके गवाह अपने बयान से मुकर गये हैं। उन्हें रंजिश में गलत तरीके से फंसाया गया है। इसके अलावा पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने खुद को निर्दोष होने की बात करते हुए बताया कि वह एक जनप्रतिनिधि हैं। पूछताछ के लिए बुलाये थे। कोई अपहरण आदि नहीं किया गया था। इस पर एमपी-एमएलए कोर्ट के विद्वान न्यायाधीश ने तर्क देते हुये कहा कि किसी सांसद या विधायक को यह हक या फिर अधिकार नहीं है कि वह किसी सरकारी कर्मचारी को फोन करके जबरन अपने घर बुलाये।
फिलहाल बुधवार को सजा के बिन्दु पर बहस के बाद सायंकाल लगभग 4 बजे के बाद फैसला आते ही धनंजय सिंह सहित उनके समर्थकों में मायूसी छा गयी। बता दें कि धनंजय सिंह को पहली बार किसी आपराधिक मामले में सजा हुई है। इस सजा के आदेश की अपील हाईकोर्ट में होना सम्भव माना जा रहा है। अगर हाईकोर्ट ने एडीजे चतुर्थ शरद चन्द त्रिपाठी के आदेश पर स्थगनादेश नहीं दिया तो धनंजय सिंह को किसी भी तरह का चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग जायेगा। इतना ही नहीं, 7 साल की सजा का समय बीतने के बाद 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकने से इनके राजनैतिक जीवन के सफर पर भी विराम लगना तय माना जा रहा है। पूर्व सांसद के खिलाफ पारित इस आदेश को लेकर तमाम कयास भी लग रहे हैं कि आखिर जब गवाह और वादी होस्टाइल हो गये हैं तो सजा कैसे हुई? वहीं कुछ लोग इसके पीछे सियासी गणित मान रहे हैं।
Tags:
Hindi News
Jaunpur
Jaunpur Live
Jaunpur Live
News
jaunpur news
Jaunpur News in Hindi
Purvanchal News
recent
Uttar Pradesh News