भारत तब और अब | #NayaSaveraNetwork

@ नया सवेरा नेटवर्क

बड़ी मसक्कत और जद्दोजहद के बाद,लाखों नौनिहालों के बलिदान के बाद,लाखों महिलाओं की बरवादी के बाद भारत एन केन प्रकारेण आजाद हुआ|क्रांतिवीरों  के सपनों को तार तार करते हुए सत्ता के भूखे दलालों और चमचों ने मिलकर अखण्ड भारत को दो टुकड़े करके आपस में बाँट लिए|बाँटे तो वह भी ढंग से नहीं बाँटे|पाकिस्तान बनाये तो वह भी दो भाग में|एक भाग उत्तरी पश्चिम,दूसरा भाग पूर्वी उत्तरी|पाकिस्तान को भी सत्तालोभियों ने ढंग से नहीं बनाया|बँटवारा जब धार्मिक आधार पर हुआ तो वह भी ढंग से नहीं हुआ|जो हमारे तीर्थ स्थल थे उसे पाकिस्तान को दे दिए|जिसमें मुख्य रूप से ननकाना साहिब गुरुद्वारा है|जो हमारी कथित खींची गई सीमा रेखा से केवल 35 किलोमीटर की दूरी पर है,उसे भारत में होना चाहिए था|क्योंकि वह गुरुद्वारा हमारे देश के महान संत गुरुनानक जी की जन्मस्थली  है|सिक्ख पंथियों का पवित्र धर्मस्थल है|लेकिन सत्तालोभियों ने इस पर ध्यान न  देते हुए एक ऐसे आफिसर द्वारा बँटवारे को स्वीकार किए,जो भारत में पहली बार कदम रखा|जिसको भारतीय भू भाग के बारे में कुछ अता पता नहीं था|उसने बाँट दिया|और हमारे कथित सत्तालोभी बलिदानियों ने खुशी खुशी स्वीकार कर लिया|

       जिसका परिणाम बहुत ही भयानक और रक्तरंजित रहा|बँटवारे के बाद जो भयानक दृश्य भारत पाकिस्तान का आया वह आज भी खून के आँसू रुला देता है|लाखों बेघर हुए लाखों बेकसूरों की लाशें बीछीं|लाखों महिलाओं की इज्जत लुटी|लाखों महिलाएँ बजारू बना दी गईं|लाखों बच्चे मार दिये गये|इसके बावजूद भी हमारे कथित बलिदानियों ने उत्सव मनाया|इधर के भी उधर के भी|एक तरफ चीखो पुकार मची थी|लोग लाशों के ढेर में अपनो़ को तलाश रहे थे|दूसरी तरफ कथित बलिदानी सत्ता लोभी दलाल चमचे मिलकर विजयी विश्व तिरंगा प्यारा गीत गा कर खुशी मना रहे थे|आज तक ए नहीं समझ में आया कि ए किस बात की खुशी मना रहे थे,आजादी की,कि बँटवारे की,या उन बेकसूर लोगों की मृत्यु की|

        हमारे कथित सत्तालोभियों ने हमसे कहा कि बँटवारा इसलिए किया जा रहा है कि लोग अमन चैन से रहे़|कोई विवाद न हो|फिर विवाद की जड़ यहीं क्यों जमाये रहे|जो आज तक हमारे भारत में नासूर बना हुआ है|जब धार्मिक आधार पर बँटवारा हो गया|जब एक मुस्लिम देश बन गया|तो उनको एक भूभाग एक तरफ से दे देना चाहिए था|और सभी मुस्लिम धर्मावलम्बियों को व्यवस्थित वहाँ स्थापित कर देना चाहिए था|और दो खंड जो पाकिस्तान का बनाये उसे एक खंड में करना चाहिए था|लेकिन सत्तालोभियों ने ऐसा न करके आक्रांताओं की हाँ में हाँ मिलाते हुए विवाद बोते गये|जिसकी परिणिति ए हुई कि न वो ही शांत रह सका न हम ही|पाकिस्तान हमेशा हमसे विद्वेश रखता रहा|और आज भी उसी लीक पर है|जबकी उसका खामियाजा वो हमेशा भुगत रहा है|आज स्थित यह है कि कब पाकिस्तान ध्वस्त हो जाय कुछ कहा नहीं जा सकता|अपनी कुनीति के चलते एक भाग बंग्लादेश के रूप में गँवा चुका है|फिर भी वो श्वान दुम बना हुआ है|और भारत के प्रति 1947 की ही तरह विचार रखे हुए है| और हमेशा भारत को अशांत किए हुए है|

        1947 से लेकर 2013 तक के भारत के हालात पर यदि दृष्टिपात करते हैं तो पता चलता है पाकिस्तान रह रह के आतंकियों द्वारा भारत की अस्मिता पर चोट पहुँचाता रहा|आये दिन आतंकी हमले हमारे यहाँ होते रहे|और निर्दोष भारतीयों का रक्त बहता रहा|और हमारे कर्णधार कथित बलिदानी कड़ी आलोचना करते रहे|कई परोक्ष युद्ध भी अनायास हम करते रहे और अपने सैनिकों को बलिदान करते रहे|कई बार हमारे जाँबाज सैनिको ने उसकी नानी याद दिलाई|लाहौर तक तिरंगा फहरा दिया|पूरा बंग्लादेश जीत लिया|लेकिन हमारे कथित बलिदानियों ने बार बार पाकिस्तान को माँफ किया|जीता हुआ हिस्सा तो दिए ही दिए,वह हिस्सा भी छोड़ दिए जिसपर उसने दावा भी नहीं किया|एक और दुश्मन अपने पड़ोस में बंग्लादेश के रूप में तैयार कर लिए|जो आज हमीं को त्रास दे रहा है|

     2014 के बाद सत्ता बदली,देश बदलने लगा|आतंकी संगठनो पर नकेल लगने लगी|आतंकी गतिविधियाँ आज न के बराबर है|2014 के बाद छिटफुट घटनाओं को छोड़ दें तो भारत बहुत शांत है|कोई धार्मिक या जातिवादी दंगा नहीं|जिस काश्मीर से चीखें सुनाई देती थी|आज उसी काश्मीर में खुशियों की किलकारियाँ गूँज रही है|जहाँ देश में नित बम विस्फोट की खबरें मिलती थी|आज वही कारीडोर के उद्घाटन की खबरें मिल रही हैं|जहाँ लोगों के चित्कार सुनाई पड़ते थे|आज मंदिर की घंटियाँ सकून पहुँचा रही हैं|जहाँ धर्मवादी दंगे होते थे|आज विकास की गति गतिमान है|विदेशों में जहाँ भारत कर जोड़े सिर्फ सुनता था|आज भारत की लोग सुनते हैं|जिस भारत में शेखों के आने पर मंदिर ढॕक दिये जाते थे|सिर्फ मस्जिद और ताजमहल के दौरे कराये जाते थे|वही आज उन्हीं शेखों के देश में उन्हीं के अनुदान व सहयोग से भव्य मंदिर बनवाये जा रहे हैं|जो देश पहले हमें आँख दिखाते थे|आज आँख मिलाने से भी कतराते हैं|यह बदलाव सहज ही नहीं आया|ताकतवर हम तब भी थे|पर हमारी ताकत को सत्तालोभियों ने गिरवी रख दिया था|हमारी प्रतिभाओं को पलायन करने के लिए विवश कर दिया था|हमारी कमाई के जितने श्रोत थे सब पर बैरीकेटेड लगा दिया था|लेकिन 2014 के बाद बदली हुई शासन प्रणाली ने विगत सरकारों की गलतियों को सुधारा|आतंकी गतिविधियाँ पर अंकुश लगाया|दंगा होने की संभावनाओं पर समय रहते अंकुश लगाया|जातिवादी आंदोलनों पर नकेल कसा|अतिवादियों को परास्त किया|जिससे भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई|आर्थिक स्थिति मजबूत इसलिए हुई कि जो अर्थ उपरोक्त गतिविधियों में स्वाहा हो जाता था|आज वही विकास के काम में लग रहा है|आज एक विकासशील भारत मजबूती के साथ विकसित होने की तरफ अग्रसर है|कारण शासन सही हाँथ में है|

      आज भी कुछ असामाजिक तत्व हैं जो रह रहके मुँह उठा रहे हैं|उन पर भी यह सरकार बड़ी खोमोशी के साथ काम कर रही है|यह भी एक दिन शांत हो जायेंगे|क्योंकि ये कोढ़ 65 साल पुराना है तो जाने में कुछ समय तो लगेगा|आज जो किसान आंदोलन हो रहे हैं|यह आंदोलन कम विवाद अधिक लग रहा है|यह भी एक साजिश के तहत किया जा रहा है|कुछ देशों को भारत की समृद्धि से जलन हो रही है|जो हमारे देश के दलालों व चमचों से मिलकर देश की ऐसी तैसी करवा रहे हैं|इसमें विगत के सत्तासुख भोगी भी संलिप्त हैं|आज किसानों के बारे में बोलने वाले क्या आज पैदा हुए हैं|नहीं न|65 सालों तक क्यों नहीं किसानों की सुध लिए|जबकी आज तो किसान हर हाल में सुखी है|वह अपना अनाज किसी भी जगह अपने तय किए हुए मूल्य से बेंच सकता है|2013 के पहले यह व्यवस्था नहीं थी|आज बिना भेद भाव के हर गरीब किसान को 6000/- साल का मिल रहा है|विगत में कभी नहीं मिला|गरीब वर्ग को यह सरकार अपने बच्चों की तरह खिला रही है|उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने का हर प्रयास कर रही है|किसानो की भलाई के लिए कई कार्यक्रम चला रही है|फिर भी यदि किसान आंदोलन आज चलाये जा रहे हैं तो जाहिर है ए साजिशन हो रहा है|इसके बावजूद भी बर्तमान में देश गतिमान है| देश का मान बढ़ रहा है|आज भारत के आगे दुनिया नत है|तब भारत नत रहता था|आज उभरता हुआ भारत अपनी महत्ता विश्व में स्थापित कर हा है|पूरे विश्व में कहीं संकट आये भारत पहले अपने नागरिकों को वहाँ से सुरक्षित लाता है|और उस देश की मदद करता है जो माँगता है|जिसका उदाहरण है यूक्रेन रसिया युद्ध,इजराईल हमास युद्ध आदि हर जगहों पर तिरंगा शान से फहर रहा है|अभी अभी कतर जैसे देश से आठ नौसैनिकों को सकुशल वापसी भारत की ताकत का बेहतरीन और सशक्त नमूना है|1971 के युद्ध में हजारों भारतीय युद्ध वंदियों का अब तक पता नहीं चला|वहीं एक अभिनंदन को पाकिस्तान घुटने के बल लेकर आया पहुँचा के गया|ये है आज के भारत की ताकत|सशक्त भारत समृद्ध भारत आज दुनिया को अपना लोहा मनवा रहा है|तो उसके मूल में है|कुशल शासक व सही रणनीति| हमने वह दिन देखे हैं कि छोटी छोटी बात पर खून की नदियाँ बह जाती थी|आज बूँद भी नहीं टपक रहा है|यह है आज का भारत|शक्त भारत समृद्ध भारत|हालांकि  आज भी कुछ सत्तलोभी दलाल चमचे देशद्रोही एन केन प्रकारेण देश की ऐसी तैसी करने में संलिप्त हैं|मगर आज जागरुक जनता पढ़े लिखे शिक्षित नौजवान उनके मंसूबो पर पानी फेर रहे हैं|एक कहावत है जो दिखता है वही बिकता है|आज लोग कागज पे नहीं जमीन पर काम देख रहे हैं|उभरते हुए शक्तिमान भारत को देख रहे हैं|इसलिए किसी के बहकावे न आकर समृद्ध और सशक्त भारत को विकसित बनाने के लिए कर्तव्य निष्ठ शासक को बार बार सत्ता सौंप रहे हैं|अब लोगों की समझ में आ रहा है कि देश विकसित होगा तभी हम विकसित होंगे|प्रतिभायें काम पर लगेगीं तभी देश विकसित होगा|अब लोगों का कथन है|

बहुत खाये लालीपाप,बहुत बजाए झुन झुना|

लालच में घर जलाये,बार बार तुमको चुना||

अब न लालच में फॕसेगें,न देश को फॕसाना है|

इसको ही चुनना हर बार,वोट देके दो गुना||

पं.जमदग्निपुरी


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