- नेशनल साइबर क्राईम रिर्पोटिंग पोर्टल पर साइबर अपराधियों द्वारा धमकियों की शिकायतें बढ़ी
- केंद्रीय गृह मंत्रालय का देशव्यापी अलर्ट-सीमा पार बैठे अपराधी सिंडिकेट का ब्लैकमेल,जबरन वसूली व डिजिटल अरेस्ट के फंडे से सावधान रहना ज़रूरी- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
नया सवेरा नेटवर्क
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर जैसे- जैसे प्रौद्योगिकी विज्ञान दूरसंचार तकनीकी व टेक्निकल कनेक्टिविटी सुविधाओं में हवा से भी तेज गति से वृद्धि हो रही है, तो स्वाभाविक ही है कि मानवीय हस्तक्षेप वह क्रिएटिविटी में कमी होगी क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी के आधार पर पूरा मानवीय कार्य कर सकनें में अब प्रौद्योगिकी सक्षम हो चुकी है, जिसमें बैठे बिठाये सभी काम संबंधित व्यक्तित्व के हो जाते हैं।परंतु भारत में बड़े बुजुर्गों की कहावत है कि जितना सुख ढूंढोगे उतना दुख भी तुम्हें ढूंढेगा, दुख विकसित सुख माही यानें यदि हम सुख सुविधा चाहते हैं तो वहीं से दुखों का भी विकास होता है, यही बात हमारे प्रौद्योगिकी व दूरसंचार तकनीकियों की सुख सुविधा प्राप्त होने से हो रही है। यानें हर बार हम साइबर अपराध के नए-नए फंडों से हम फंसते हुए देखते आ रहे हैं।कुछ सैकड़ो में ही लाखों करोड़ों बैंक से उड़ जाते हैं। दिनांक 14 मई 2024 को हमारे एक व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन रिंकू मनोहर आसवानी ने कल ग्रुप में अलर्ट भी किया था कि कोई भी एप्लीकेशन व्हाट्सएप पर आए तो उसे डाउनलोड नहीं करना है, मोबाइल हैंग होकर ओटीपी जनरेट होकर उसके आधार पर बैंक से पैसे कटते जा रहे हैं। हम किसी ठगी का शिकार हो जाते हैं कोई लिंक आई उसे टच किया कि हमारी सीक्रेट्स उनके पास पहुंची और पक्का इसका दूरगामी दुरउपयोग हुआ समझो। परंतु अभी हाल ही में कुछ दिनों से एक नई साइबर क्राइम तकनीकी शायद सीमा पार बैठे साइबर अपराधियों द्वारा की जा रही है।ब्लैकमेल,जबरन वसूली व डिजिटल अरेस्ट जैसी धमकियों का शिकार अनेक लोग हो रहे हैं जिनकीशिकायतें साइबर क्राइम पोर्टल पर बढ़ती जा रही है क्योंकि दिनांक 14 मई 2024 को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा देश व्यापी अलर्ट जारी किया गया है।इसलिए आज हम मीडिया पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,अटेंशन प्लीज!ब्लैकमेल जबरन वसुली व डिजिटल अरेस्ट के शिकार हो सकते हैं।
साथियों बात अगर हम एमएचए द्वारा 14 मई 2024 को जारी किए गए अलर्ट की करें तो, डिजिटल अरेस्ट को संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध बताया है और मंगलवार को ऐसे अपराध के खिलाफ देशव्यापी अलर्ट जारी किया है। गृह मंत्रालय के मुताबिक, सीमा पार बैठे आपराधी इस सिंडिकेट को संचालित कर रहे हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन आपराधियों के कारण देश भर में कई पीड़ितों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। यह संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है और ऐसा पता चला है कि सीमा पार बैठे अपराधी गिरोह द्वारा संचालित किया जा रहा है।अब गृह मंत्रालय ने नागरिकों से इस प्रकार की धोखाधड़ी के बारे में सतर्क रहने और जागरूकता फैलाने की अपील की है। बयान में कहा गया है कि फ्रॉड कॉल आने पर नागरिकों को तुरंत सहायता के लिए साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या मेल पर घटना की सूचना देनी चाहिए। ये धोखेबाज आमतौर पर संभावित पीड़ित को कॉल करते हैं और कहते हैं कि पीड़ित ने कोई पार्सल भेजा है या प्राप्त किया है जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है। कभी कभी, वे यह भी सूचित करते हैं कि पीड़ित का कोई करीबी या प्रिय व्यक्ति किसी अपराध या दुर्घटना में शामिल पाया गया है और उनकी हिरासत में है। ऐसे कथित केस में समझौता करने के लिए पैसे की मांग की जाती है। कुछ मामलों में, पीड़ितों को डिजिटल अरेस्ट का सामना करना पड़ता है और उनकी मांग पूरी न होने तक पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर धोखेबाजों के लिए उपलब्ध रहने पर मजबूर किया जाता है। ये जालसाज़ पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर बनाए गए स्टूडियो का उपयोग करने में माहिर होते हैं और असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं।देशभर में कई पीड़ितों ने ऐसे अपराधियों के जाल में फंस कर बड़ी मात्रा में धन गंवाया है। यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है और ऐसा माना जाता है कि इसे सीमापार आपराधिक सिंडिकेट द्वारा संचालित किया जाता है।देशभर में कई पीड़ितों ने ऐसे अपराधियों के जाल में फंस कर बड़ी मात्रा में धन गंवाया है। यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है और ऐसा माना जाता है कि इसे सीमापार आपराधिक सिंडिकेट द्वारा संचालित किया जाता है।गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र , देश में साइबर अपराध से निपटने से संबंधित गतिविधियों का समन्वय करता है। गृह मंत्रालय इन साइबर अपराधों से निपटने के लिए अन्य मंत्रालयों और उनकी एजेंसियों, भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है। आईफोरसी ऐसे मामलों की पहचान और जांच के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस अधिकारियों को इनपुट और तकनीकी सहायता भी प्रदान कर रहा है।आईफोरसी ने माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से ऐसी गतिविधियों में शामिल एक हज़ार से अधिक स्काइप आईडी को भी ब्लॉक कर दिया है। यह धोखेबाजों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सिम कार्ड, मोबाइल उपकरणों और म्यूल खातों को ब्लॉक करने में भी मदद कर रहा है। आईफोरसी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म साइबरदोस्त पर इन्फोग्राफिक्स और वीडियो के माध्यम से विभिन्न अलर्ट भी जारी किए हैं, जैसे कि एक्स , फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स।नागरिकों को इस प्रकार की जालसाज़ी से सावधान रहने और इनके बारे में जागरुकता फैलाने की सलाह दी जाती है।
साथियों बात अगर हम नेशनल साइबर क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल की करें तो, नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर साइबर अपराधियों द्वारा धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और डिजिटल अरेस्ट के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज कराई जा रही हैं। ये अपराधी खुद को पुलिस, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई),नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) प्रवर्तन निदेशालय और अन्य जांच एजेंसियों के अधिकारी बताते हैं और लोगों से जबरन वसूली करते हैं। गृह मंत्रालय ने कहा कि साइबर अपराधी आम तौर पर लोगों को फोन करते हैं और बताते हैं कि उसने पार्सल भेजा है या वह ऐसा पार्सल रिसीव किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई अन्य प्रतिबंधित वस्तु है। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर साइबर अपराधियों द्वारा पुलिस अधिकारियों, केंद्रीय जांच ब्यूरो,नारकोटिक्स विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियां का रूप धारण कर धमकी, ब्लैकमेल, जबरन वसूली और डिजिटल अरेस्ट जैसी वारदातों को अंजाम देने के संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज की जा रही हैं।
साथियों बात अगर हम डिजिटल अरेस्ट को समझने की करें तो, डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक एडवांसतरीका है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार वही लोग होते हैं जो अधिक पढ़े लिखे और अधिक होशियार होते हैं। डिजिटल अरेस्ट का सीधा मतलब ऐसा है कि कोई हमको ऑनलाइन धमकी देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए हम पर नजर रख रहा है। डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और अपना शिकार बनाते हैं। कई बार डिजिटल अरेस्ट वाले ठग लोगों को फोन करके कहते हैं कि वे पुलिस डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से बात कर रहे हैं। ये कहते हैं कि हमारे पैन और आधार का इस्तेमाल करते हुए तमाम चीजें की खरीदी गई हैं या फिर मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। इसके बाद वे वीडियो कॉल करते हैं और सामने बैठे रहने के लिए कहते हैं। इस दौरान किसी से बात करने, मैसेज करने और मिलने की इजाजत नहीं होती। इस दौरान जमानत के नाम पर लोगों से पैसे भी मांगे जाते हैं। इस तरह लोग अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं। पिछले कुछ समय में ऑनलाइन फ्रॉड और स्कैम के काफी मामले सामने आए हैं। फ्रॉड के साथ साथ डिजिटल अरेस्ट के मामले भी तेजी से देखने को मिले हैं। अब साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए और फ्रॉड के मामलों पर रोक लगाने के लिए गृह मंत्रालय की तरफ से चेतावनी जारी की गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से ऐसे साइबर क्रिमिनल्स के खिलाफ अलर्ट जारी किया गया है जो एनसीबी, सीबीआई, आरबीआई और कानून प्रवर्तन अधिकारी के साथ साथ प्रदेश पुलिस के जवान बनकर लोगों को धमकाते और ठगते हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अटेंशन प्लीज़! ब्लैकमेल जबरन वसूली व डिजिटल अरेस्ट के शिकार हो सकते हैं नेशनल साइबरक्राईम रिर्पोटिंग पोर्टलपर साइबर अपराधियों द्वाराधमकियों की शिकायतें बढ़ी।केंद्रीय गृह मंत्रालय का देशव्यापी अलर्ट सीमा पार बैठे अपराधी सिंडिकेट का ब्लैकमेल,जबरन वसूली व डिजिटल अरेस्ट के फंडे से सावधान रहना ज़रूरी है।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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