तेजस टूडे : अकेला चना भाड़ फोड़ सकता है... | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
'तेजस टूडे' को मैं बचपन से जानता हूं या यूं कहूं कि पत्रकारिता के क, ख, ग की कक्षाएं मैंने 'तेजस' से ही ली है. आज अखबार अपने आप ही शीर्ष पर नहीं पहुंचा है, इसके लिए समूह सम्पादक श्री राम जी जायसवाल ने कठिन परिश्रम किया है. शुरुआत दौर में तो वह अपने अखबार के लिए स्वयं समाचार पत्र वितरक भी थे, डिजाइनर भी थे, ऑपरेटर भी थे और सम्पादक भी थे.
इस सफर की शुरुआत उन्होंने अकेले ही किया. 'एकला चलो' की तर्ज पर वह सफर में निकल चुके थे. कुछ देर तक सफर यूं ही अकेले चलते रहे, तमाम कठिनाईयां आई और कई बार कदम भी लड़खड़ाए लेकिन जैसा नाम है उसी की तर्ज पर तूफान को चीरते हुए वो आगे बढ़ते गए. फिर इसके बाद धीरे-धीरे लोगों का साथ मिलता गया. उन दिनों स्व. सुशील वर्मा एडवोकेट, प्रमोद जायसवाल, अजय पाण्डेय, विनोद यादव, महेंद्र प्रजापति, संजय शुक्ला, अवधेश मौर्या जैसे लोगों ने रामजी का हाथ ऐसा पकड़ा कि वह फेवीक्विक की जोड़ की तरह आज भी अटूट है.
सुशील वर्मा जी तो इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका आशीर्वाद सदैव उनके साथ है. कुछ वर्ष बीते तो 'तेजस टूडे' का नाम जनपद में पूरी तरह से फैल चुका था. तहसील क्या, ब्लॉक क्या, हर जगह से लोग इस अखबार से जुड़ना शुरू कर चुके थे. धीरे-धीरे पूरे जनपद में 20-25 पत्रकार साथियों ने 'तेजस टूडे' को अपने से बढ़कर माना और उसकी ख्याति बढ़ाने के लिए उनसे जितना बन पड़ा उन्होंने योगदान दिया और आज भी दे रहे हैं. कुछ वर्ष पश्चात अखबार को भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार से मान्यता मिल चुकी थी.
अखबार को और आगे बढ़ने में अब समय नहीं लगा. इलाहाबाद और पटना संस्करण शुरू हो गए. अब अखबार के तीन एडिशन के साथ-साथ तेजस टूडे साप्ताहिक और तेजस टूडे पाक्षिक का भी जन्म हो चुका था. इन दोनों संस्करणों के अलग-अलग सम्पादक घोषित किए गए.
इसी के साथ सम्पादक श्री राम जी जायसवाल अपने ग्रुप के समूह सम्पादक हो गए. जब इतनी लगन से मेहनत होगी तो निश्चित रूप से सफलता शोर मचाएगी. आज अखबार ने 14 वर्ष पूर्ण कर लिया, देखते ही देखते नवजात शिशु से वह अब किशोरावस्था में गया. हमारी शुभकामनाएं हैं कि ऐसे ही अखबार निरंतर प्रगति के रास्ते पर चलता रहे और विनम्रता बनी रहे.
कुछ पाने की कोशिश में, कदम लड़खड़ाए तो संभल जाना
लेकिन चाहे कुछ भी हो, तुम हार मत मानना
अंकित जायसवाल
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