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देशभर में दीपावली का पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। सनातन धर्म में दिवाली का त्योहार बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। दीपावली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, भगवान राम माता सीता और हनुमानजी की पूजा की जाती है।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन दौलत में बरकत होती है। लक्ष्मी पूजा के बिना दिवाली का त्योहार अधूरा है। दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन शाम के समय पूजा मुहूर्त के अनुसार, करना चाहिए। दिवाली के शुभ दिन पर यानी कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मी पूजा का विधान है। इस साल लक्ष्मी पूजा 12 नवंबर 2023 को की जाएगी।
- लक्ष्मी पूजा तिथि और समय
अमावस्या तिथि प्रारंभ - 12 नवंबर 02:44 से
अमावस्या तिथि समापन - 13 नवंबर, 02:56 तक
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - 12 नवंबर शाम 05:19 बजे से शाम 07:19 बजे तक
- दिवाली पूजन सामग्री
दिवाली के दिन पूजा में धूप, दीप, रोली, अक्षत, कपूर, हल्दी, कुमकुम, फल, फूल, कमल गट्टे, चांदी का सिक्का, आम का पत्ता गंगाजल, आसम, चौकी, काजल, हवन, सामग्री, फूलों की माला, नारियल, लौंग, शहद, पंचामृत, खील, बताशे, पंच मेवा, मिठाई, सरसों का तेल या घी, मिट्टी का दिया और केले का पत्ता इस सभी सामग्रियों को शामिल करें।
- लक्ष्मी पूजा पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र स्नान करें।
घर और मंदिर को साफ करें।
अपने घर को रंगोली, फूलों और लाइटों से सजाएं।
नए साफ कपड़े पहनें और लक्ष्मी पूजा के लिए सारी सामग्री एकत्रित कर लें।
इस शुभ दिन पर कई साधक व्रत भी रखते हैं।
शाम के समय एक लकड़ी के तख्ते पर श्री यंत्र और लड्डू गोपाल जी के साथ भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
21 मिट्टी के दीपक जलाएं और 11 कमल के फूल, पान, सुपारी, इलाइची, लौंग, विभिन्न प्रकार की मिठाइयां, खीर, खील चढ़ाकर देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
सबसे पहले भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी को तिलक लगाएं और फिर 108 बार लक्ष्मी मंत्र का जाप करें।
मां लक्ष्मी के सामने अपने आभूषण और पैसे रख दें और उनसे सौभाग्य प्राप्ति की प्रार्थना करें।
अंत में देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की आरती करें।
- लक्ष्मी मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि,
तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
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