जौनपुर: भाइयों का मिलन देख छलक उठे आंखो से आंसू | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
ऐतिहासिक भरत मिलाप मेले में उमड़ा जन सैलाब
लाग व झांकियो को रात भर निहारती रहीं आंखे
केराकत जौनपुर। 106 वर्ष पुरानी राम लीला व भरत मिलाप परंपरा को जिन्दा रखते हुए नगर वासियो द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास व आपसी भाईचारे की मिशाल के नक्शे कदम पर चलकर भरत मिलाप को बड़े ही पुरसुकून माहोल में मनाया गया। सर्व प्रथम रामलीला मंच पर आयोजित धन्यवाद व सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि वाराणसी मारवाड़ी समाज के प्रधान मंत्री महेश कुमार चौधरीने कहा कि भगवान पुरु षोत्तम राम के चरित्र चित्रण से प्रेरणा लेकर व उसका अनुसरण करने से ही लोगो को सुकून शान्ति मिलेगी। विशिष्ट अतिथि मारवाड़ी समाज वाराणसी के संरक्षक मंडल सदस्य आनंद स्वरूप अग्रवाल ने कहा कि लोगों को आज भी भगवान पुरु षोत्तम राम के पदचिन्हों पर चलने की जरूरत है। विशिष्ट अतिथि प्रेस क्लब तहसील अध्यक्ष अब्दुल हक ने कहा कि मर्यादा पुरु षोत्तम राम किसी एक समाज व किसी एक कौम के लिये नहीं बल्कि वे सर्व समाज के लिये आदशर््ा हैं। श्री अंसारी ने कहा कि केराकत की राम लीला व भरत मिलाप और बारावफात का जो जुलूस जलसा मनाया जाता है। यहां के पूर्वजो ने हिन्दू मुस्लिम भाई - चारे की जो संगे बुनियाद डाली है। उस परंपरा को आज भी यहां के सभी धर्म वर्ग के लोग उस मिसाल को कायम रखे हैं। श्री अंसारी ने शेर पढ़ते हुए कहा कि इधर है मस्जिदे उधर है शिवालय। जहां दिल कहे वहीं सर झुका ले।। हकीकत में समझो तो वह इंसान है अच्छा। जो हंसकर सबको गले से लगा ले। कोतवाली प्रभारी राम जन्म यादव ने कहा कि केराकत के लोगों की एकता की मिशाल देखकर काफी प्रसन्नता होती है। समारोह को अशोक जायसवाल, रविशंकर अग्रवाल एवं मैनुद्दीन हाश्मी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियो को भरत मिलाप समिति के अध्यक्ष संतोष साहू ने समृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। अध्यक्षता रजनीकांत कमलापुरी व संचालन शिव प्रताप श्रीवास्तव व धनंजय सेठ ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सुनील गुप्त,उपदेश कमलापुरी,जितेश साहू, दीपक सेठ,दिनेश जायसवाल,पिन्टू जायसवाल, योगेश सैनी,कृष्ण कुमार सोनी,शेखर कमलापुरी, अखिलेश साहू उर्फ राजीव साहू आदि का योगदान सराहनीय रहा। तत्पश्चात भरत मिलाप मेले में वाराणसी जनपद से आयी दस लाग व दो आकर्षक झांकियां में लाग नंबर दस यमराज वध, ब्राह्मा विष्णु महेश को प्रथम पुरस्कार, लाग नंबर सात गंगा अवतरण को द्वितीय पुरस्कार एवं लाग नंबर एक चंद्रमा पर रामलक्ष्मण को तृतीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
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