जौनपुर: विकास के जनक शिल्प देव विश्वकर्मा की मनाई गई जयंती | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
कारखानों व प्रतिष्ठान्नों में विधि विधान से की गई पूजा अर्चना
जौनपुर। जिले में विश्वकर्मा जयंती पर लोगों ने अपने अपने प्रतिष्ठान्नों पर पूजा अर्चना कर भगवान विश्वकर्मा की जयंती धूमधाम के साथ मनाया। सभी कारखानों में लोगों ने अपने औजार व अन्य सामानों को रखकर विधि विधान के साथ पूजा की और लोगों में मिष्ठान्न वितरण किया।
मीरगंज संवाददाता के अनुसार क्षेत्र सहित आस पास के इलाकों में शिल्पी देव भगवान वि·ाकर्मा जयंती के अवसर पर विभिन्न यांत्रिक प्रतिष्ठानों, मैकेनिक दुकानदारों आदि ने अपने यंत्रो का विधिवत पूजन पाठ किया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार- भगवान वि·ाकर्मा की उत्पत्ति देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुंद्र मंथन से हुआ है। वि·ाकर्मा पूजा के विषय में अनेक भ्रांतियां है। कई लोग भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को वि·ाकर्मा पूजा करते हैं, तो कुछ लोग इसे दीपावली के अगले दिन मनाते हैं। शास्त्रों में उल्लेख है कि सतयुग का 'स्वर्ग लोक", त्रेता युग की 'लंका", द्वापर युग की 'द्वारिका" और कलयुग के 'हस्तिनापुर" आदि के निर्माणकर्ता वि·ाकर्मा जी की पूजा अत्यन्त शुभकारी है। मान्यता है कि भगवान वि·ाकर्मा ने ही इन्द्रपुरी, यमपुरी,वरु णपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण किया था। पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएं भी भगवान विश्रकर्मा द्वारा ही बनाई गई हैं।
शाहगंज संवाददाता के अनुसार जिसने सूरज - चांद बनाया।जिसने तारों को चमकाया उस शिल्पी भगवान वि·ाकर्मा की जयंती पर रविवार को क्षेत्र में मूर्तियां चित्र आदि स्थापित करके पूजा-अर्चन किया गया। भगवान वि·ाकर्मा की जयंती पर क्षेत्र के साथ ही नगर के शाहपंजा, सुल्तानपुर मार्ग, आजमगढ मार्ग, फैजाबाद मार्ग, मुख्य मार्ग, लोहा मंडी आदि स्थानों पर धूमधाम से पूजा-अर्चन के बाद प्रसाद का वितरण किया गया।
मछलीशहर संवाददाता के अनुसार देवताओं के शिल्पी और सृष्टि निर्माता एवं सृजन के पुरोधा भगवान वि·ाकर्मा थे। जिन्होंने सृष्टि की रचना कर संपूर्ण ब्राह्मांड का निर्माण किया। भगवान वि·ाकर्मा वास्तुकला के सर्वश्रेष्ठ शिल्पकार थे।शिल्प और निर्माण, ज्ञान और कौशल की सार्थकता इसी में है कि उसका सही उपयोग किया जाय। अन्यथा उसका कोई अर्थ नहीं। उक्त बातें ललिता आईटीआई के निदेशक एवं श्री गौरीशंकर संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विनय कुमार त्रिपाठी ने आईटीआई संस्थान में आयोजित वि·ाकर्मा पूजा कार्यक्रम के दौरान कही। राजमिस्त्री रामकिशोर पटेल द्वारा कार्यक्रम के शुभारंभ में भगवान वि·ाकर्मा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवं पूजन अर्चन कर प्रारंभ हुआ। आईटीआई के छात्रों ने औजारों की साफ-सफाई के साथ-साथ उनकी पूजा-अर्चना की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में विनोद कुमार तिवारी ने कहा कि हमें भगवान वि·ाकर्मा की तरह समाज और देश के निर्माण में आगे आना चाहिए। सर्वप्रथम रथ का आविष्कार भगवान वि·ाकर्मा ने ही किया था और बिना पहियों के आज समाज चल नहीं सकता। हमें अपने अंदर वस्तुओं को सीखने एवं बनाने की कला विकसित करनी चाहिए। जिससे हम नई तकनीकी का विकास कर सके। हमारे अंदर सतत अन्वेषण की शिक्षा प्राप्त करने का ध्येय होना चाहिए। पूजन अर्चन के पश्चात् प्रसाद वितरित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि शिवानंद चतुर्वेदी ने की। कार्यक्रम का संचालन संदीप कुमार ने किया। इस अवसर पर पृथ्वीपाल त्रिपाठी,अनुपम यादव,मुंशीलाल पटेल, अभिषेक तिवारी, अशोक पटेल, भोला पटेल आदि अनुदेशकों के साथ आईटीआई के छात्र मौजूद रहे।
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