वाराणसी: पर्यावरण संरक्षण में सबकी बराबर भूमिका: प्रो. सुरेंद्र प्रताप | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
वाराणसी। पर्यावरण संरक्षण में समाज, साहित्य और सिनेमा, सबकी बराबर की हिस्सेदारी है। बतौर मुख्य वक्ता प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने डीएवी पीजी कॉलेज में आयोजित पर्यावरण महासम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन गुरुवार को ये बातें कहीं। डीएवी पीजी कॉलेज, लिवरम फाउंडेशन एवं केटु पब्लिकेशन की तरफ से पर्यावरण, साहित्य एवं सिनेमा विषय पर आयोजित महासम्मेलन में कई विद्वानों ने विचार रखे। मुख्य वक्ता ने कहा कि बाजारीकरण के दौर में साहित्य खो सा गया है। आधुनिकता की गहरी धुंध समाज में फैल रही है जिसमें सिनेमा का बड़ा योगदान है।
उन्होंने कहा कि आधुनिकता का पैमाना विचारों से है ना कि केवल परिवेश से। काशी विद्यापीठ के मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. अनुराग कुमार ने कहा कि जनतंत्र में आम नागरिक के लिए साहित्य बड़ा हथियार है। विशिष्ट वक्ता प्रो. ब्रह्मदेव मंडल ने कहा कि साहित्य पर आधारित फिल्में जल्दी सफल नहीं होती परंतु एक सत्य यह भी है की बिना साहित्य की कोई फिल्म नहीं बन सकती। डॉ इंद्रजीत मिश्रा और प्रो. विनोद कुमार चौधरी ने भी विचार रखे। संचालन डॉ. विजय कुमार ने किया। इस दौरान कॉलेज के कार्यकारी प्राचार्य प्रो. सत्यगोपाल एवं अन्य अतिथियों ने गांधी दर्शन, मनोहर श्याम जोशी के उपन्यासों में आधुनिक एवं उत्तर आधुनिक विमर्श सहित अन्य पुस्तकों का विमोचन किया। अंतिम दिन प्रवासन की समस्या पर आधारित ‘स्वदेश, स्त्री वेदना पर आधारित ‘अभिशप्त के अलावा मौन मंदिर, चलो प्रकाश की ओर, विसर्जन आदि फिल्मों का प्रदर्शन हुआ। कार्यक्रम में प्रो. समीर कुमार पाठक, रुपेश गुप्ता, डॉ. श्वेता सरन आदि रहे।