जौनपुर: सभी प्रमुख दलों की नज़र अल्पसंख्यक व दलित वोटों पर | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
खाता खोलने के लिए राज्यमंत्री गिरीश की प्रतिष्ठा दांव पर
खेतासराय जौनपुर। नगर निकाय चुनाव में अब गिनती के दिन शेष बचे है। उम्मीदवार सियासी समीकरण बैठाने में जुट गए हैं और वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए हर हथकण्डा अपना रहे है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की नज़र मुस्लिम वोटों पर टिक गई है। उन्हें अपने पाले में करने के लिए हर जोर जतन लगा रहे है। अब तक खाता खोलने से वंचित रही भाजपा के लिए राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार गिरीशचंद्र यादव की प्रतिष्ठा इस बार दांव पर लगी हुई है। ऐसे में वे अपने टीम के साथ पूरी ताक़त झोंकने में जुटे हुए है। बीजेपी प्रत्याशी का अपना जनाधार होने के चलते पार्टी जीत की उम्मीद लगाई बैठी है। सभी दलों के राजनेता वार्डो में अपने प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार तेज़ कर दिये हैं। दरअसल यहां 1999 में नगर पंचायत का गठन हुआ। पहला चुनाव 2000 में हुआ जिसमें वसीम अहमद ने चुनाव में जीत दर्ज की। उसके बाद वह तीन बार पत्नी और .खुद चेयरमैन रहे। एक बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जिससे वे हैट्रिक नहीं लगा पाए। 2012 में स्व जंगबहादुर की पत्नी श्रीमती निर्मला गुप्ता से हार के बाद 2017 में चुनाव जीत कर वसीम अहमद ने हार का बदला लिया। बीजेपी में भीतर घात और बसपा से कोई मज़बूत चेहरा न होने के चलते दोनों पार्टियां अपना खाता नही खोल सकीं। इस बार का चुनाव बहुत ही दिलचस्प हो गया है। यहाँ कुल नौ प्रत्याशी मैदान में है। जिसमें प्रमुख दल के साथ कुछ निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान में ताल ठोक रहे है। बीजेपी उम्मीदवार रूपेश मोनू को अपने पिता की सहानुभूति और अपनी अलग कार्यशैली के चलते इनकी मददाताओ में अच्छी पकड़ बताई जाती है। जो मुसलमानों के मत में सेंधमारी कर सकते हैं। वहीं सदर विधायक सूबे के राज्यमंत्री गिरीशचन्द्र यादव सभी वार्डो में जाकर केंद्र और राज्य सरकार के योजनाओं का हवाला देकर समीकरण को यूटर्न करने में लगे हुए है। निवर्तमान चेयरमैन समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे है उनके ही पार्टी से बागी उम्मीदवार मो असलम खान के निर्दल उतरने की वजह से वोट का ध्रुर्वीकरण होना तय माना जा रहा है जो सपा की जीत में बाधक बन सकते है। वही बसपा से इरफ़ान अहमद मज़बूती से दमखम दिखा रहे है। वह दलित और मुस्लिम वोट के सहारे जीत की उम्मीद लगाए है। महिला प्रत्याशी समेत कई अन्य उम्मीदवार चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे है। जिसमे नगर के प्रतिष्ठित व पूर्व सरपंच स्व किशोरी लाल की बहन लालमणि गुप्ता के जनसम्पर्क तेज़ करने की वजह से विशेषकर सत्तारु ढ़ दल अपना नुकसान फ़ायदा का विश्लेषण कर रहा है। सपा बसपा मुस्लिम और दलित वोटरों पर सेंधमारी में जुटे हुए है। भाजपा भी प्रधानमंत्री आवास और अन्य सरकारी योजनाओं के सहारे अल्पंसख्यको का वोट लेने की जुगत में लगी हुई है।
![]() |
Advt. |