जौनपुर: अपने अपने पक्ष में समीकरण बैठाने में जुटे अध्यक्ष पद प्रत्याशी | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
कोई किला ढहाने की बना रहा योजना, तो कोई जीत का परचम लहराने के लिए है बेताब
चुनाव चिन्ह आवंटित होने के बाद राजनीतिक सरगर्मियां हुईं तेज
हिम्मत बहादुर सिंह
जौनपुर। नगरपालिका चुनाव को लेकर सरगर्मियां धीरे धीरे बढ़ती जा रही है। चुनाव चिन्ह आवंटन के बाद प्रत्याशियों की स्थिति भी साफ हो गई है। प्रत्याशी मतदाताओं के नब्ज टटोल रहे हैं कि आखिर उनका झुकाव किस दल की तरफ है क्योंकि प्रत्याशियों की संंख्या भी जौनपुर नगरपालिका परिषद, शाहगंज एवं मुंगराबादशाहपुर में अच्छी खासी है। इस बार आम आदमी पार्टी भी पूरे दमखम के साथ हर नगरपालिका परिषद और नगर पंचायत से अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारी है। जौनपुर नगरपालिका परिषद पर बीस साल से कब्जा जमाये पूर्व पालिका अध्यक्ष के परिवार को शिकस्त देने के लिए हर दल के प्रत्याशी हर हथकंडा अपना रहे हैं लेकिन कब्जे को और मजबूती से पकड़ने में पूर्व पालिका अध्यक्ष पीछे नहीं हैं। जाति समीकरण के आधार पर राजनैतिक दलों ने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में भले उतारा है लेकिन इस चुनाव में दल से अधिक महत्वपूर्ण प्रत्याशी का व्यक्तिगत व्यवहार भी माने रख रहा है। भाजपा ने मौर्य समाज से तालुक्कात रखने वाली श्रीमती मनोरमा मौर्या को भले चुनाव मैदान में उतारा है लेकिन उनके समीकरण को असंतुलित करने के लिए सपा ने बनिया वर्ग से ताल्लुक रखने वाली ऊषा जायसवाल को उतारकर इस समुदाय से तालुक्कात रखने वाले मतदाताओं का वोट लेने के साथ साथ अन्य समुदायों में सेंध लगाने की पूरी जुगत में है। बताते चलें कि आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी डॉ.चित्रलेखा के पति एवं विद्युत विभाग संघर्ष समिति के अध्यक्ष निखिलेश सिंह कई बार से अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतार रहे हैं। इस बार समीकरण कुछ अलग है। अन्य राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों के वोट बंैक में अच्छी खासी सेंधमारी करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस ने काफी समय बाद मुस्लिम समुदाय से प्रत्याशी को उतारकर समीकरण को बिगाड़ने की जुगत में पूरी तैयारी में जुटी हुई है। प्रत्याशी अपने नजरिए से मतदाताओं को देख रहे है ंलेकिन माहौल बदल चुका है। मतदाता भी अपने नजरिए से प्रत्याशियों की कार्यशैली, व्यवहार और उनके व्यक्तित्व को पूरी तरह से खंगाल रहे हैं। खंगालना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह चुनाव पांच साल के बाद ही आता है और मतदाता भी मंथन कर रहे हैं कि प्रत्याशी का चयन बहुत सोच समझ कर करना है क्योंकि जब अच्छा प्रत्याशी जीतेगा तभी नगर का कायाकल्प बेहतर होगा।