प्रयागराज: प्रयाग संगीत समिति के मेधावियों को मेडल से नवाजा | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
प्रयागराज। प्रयाग संगीत समिति के 84वें दीक्षांत समारोह में गुरुवार को 2018-19 की परीक्षा में मेरिट लिस्ट में शामिल 44 मेधावियों का मेडल से नवाजा गया। कार्यक्रम के शुभारंभ पर छात्राओं ने प्रार्थना और सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। कलाकारों ने भरतनाट्यम, कथक की प्रस्तुति से मन मोह लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व न्यायमूर्ति विजयलक्ष्मी, सचिव अरुण कुमार, रजिस्ट्रार प्रदीप कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। प्रदीप कुमार ने वर्ष 2018-19 की विवेचना करते हुए आख्या प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि ने समारोह में मेधावियों को उपाधि प्रदान की। भरतनाट्यम के लिए दृष्टि वालिया, कथक में अक्षिता दधीच, रविंद्र संगीत में अनिता राय, तबला में अरविन्द कुमार आजाद और गायन में विश्वजीत कलिन्दी को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। प्रभाकर में भरतनाट्यम के लिए मानसी विष्ट, कथक के लिए नवजीत चक्रवर्ती, नजरूलगीती के लिए प्रियंका दत्ता, ओडिसी के लिए देबभूति भटटाचार्या, रविन्द्र संगीत नृत्य में पायल गोप, तंत्रवाद्य में सत्याविका बोस, ईशान भार्गवा, तबला में सृष्टि कंचन, गायन के लिए मनीषा कुमारी को मेडल दिया गया।
प्रवीण के लिए भरतनाट्यम में शिवानी शर्मा, निमिशा राज, कथक में श्रुति कोटनाला, प्रगनादास, तबला में हरजीत सिंह, गायन में सीमा सोनी, नजरूलगीती में इशिता विश्वास, ओडिसी में शुभ्लीना भटटाचार्या, रविन्द्र संगीत नृत्य में नेहा सरकार, रविन्द्र संगीत में रागश्री तालूखदर, तंत्रवाद्य में पंखुड़ी पारिख, गायन में राजन कुमार और उतम प्रकाश को मेडल से सम्मानित किया गया।
- ध्रुपद गायन के बाद है शास्त्रीय संगीत का स्थान
प्रवीण गायन में गोल्ड मेडल पाने वाले विश्वजीत कलिन्दी ने बताया कि ध्रुपद गायन के बाद ही शास्त्रीय संगीत का स्थान आता है। संगीत का मूल आधार शास्त्रीय संगीत ही है। शास्त्रीय संगीत को अध्यात्मिक स्वरूप में उकेरा जा सकता है। प्रभाकर में गोल्ड मेडल पाने वाली प्रियंका दत्ता का कहना था कि वह अपने गुरु दीपेंद्र कर्मोकार से प्रेरित होकर नजरूलगीती के लिए आगे बढ़ीं। कहा कि नजरूलगीती ने स्वाधीनता संग्राम के समय देशवासियों को सचेत और शिक्षित करने का काम किया था। यह विधा शास्त्रीय संगीत की खूबसूरती को बढ़ाता है।