नया सवेरा नेटवर्क
- विश्व हिंदी सम्मेलन भारतकोश, ज्ञान का हिंदी महासागर - पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक
- भारत की राजभाषा हिंदी विश्व में तीसरी सबसे अधिक बोलने वाली भाषा - यूएन में मान्यता दिलाने तेज़ी से प्रयास करना ज़रूरी - एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया- वैश्विक स्तरपर हिंदी भारत के अलावा तीसरी सबसे अधिक बोलने वाली भाषा है। आज के सूचना क्रांति के युग में जहां हर पल दुनिया बदल रही है, वहीं हिंदी और सशक्त होकर उभर रही है। टेलीवीजन की भाषा या फिर सोशल मीडिया की, हिंदी का ही वर्चस्व चहुओर है।हिंदी केवल भारत या फिर साहित्य तक ही सीमित ना होकर, आधुनिक ज्ञान-विज्ञान को अंगीकार करने और उसे अग्रसर करने में भी समर्थ है। हिंदी भाषा ने ही स्वाधीनता संग्राम में देश को एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया था।आज़ादी की लड़ाई के दौरान हमारे देश के नेताओंने जनता कोजाग्रत करने के लिए हिंदी भाषा को ही चुना था।वसुधैव कुटुम्बकम की हमारी संस्कृति को पूरी दुनिया से अवगत कराना भी विश्व हिंदी सम्मेलन का एक मुख्य उद्देश्य है, तभी तो पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन का बोधवाक्य था ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और सम्मेलन का विषय था ‘हिंदी की अंतरराष्ट्रीय स्थिति!
साथियों बात अगर हम 12 वें विश्व हिंदी सम्मेलन की करें तो, भारत की राजभाषा हिंदी की प्रसिद्धि विश्व के कई क्षेत्रों में लगातार बढ़ती जा रही है। इसी कड़ी में 12 वां विश्व हिंदी सम्मेलन इस बार 15 से 17 फ़रवरी 2023 को फ़िजी में आयोजित किया जा रहा है। 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन के लिए भारत से 270 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल फिजी का दौरा करेंगे। साथ ही इस बार के हिंदी सम्मेलन में 50 देशों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की भी उम्मीद की जा रही है। बता दें कि फिजी दक्षिण प्रशांत में 300 से अधिक दीपों का एक द्वीप समूह है।12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के कार्यक्रम का उद्घाटन 15 फरवरी को विदेश मंत्री एस जयशंकर और फिजी के प्रधानमंत्री सित्विनी राबुका का के द्वारा किया जाएगा। पिछले साल ही फिजी में विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन का हुआ था। विश्व हिंदी सम्मेलन के शुभंकर का चयन एक विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा के माध्यम से किया गया है। इसके लिए 1436 प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं और इनमें से 78 प्रविष्टियों पर अंतिम रूप से विचार करने के बाद मुंबई के मुन्ना कुशवाहा द्वारा परिकल्पित शुभंकर का चयन किया गया। विजेता को 75 हजार रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि फिजी में हिंदी की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत की ओर से एक भाषा प्रयोगशाला भेंट की जाएगी जिसके माध्यम से लोगों को सुगमता से हिंदी सीखने में मदद मिलेगी।
साथियों बात अगर हम हिंदी की फिजी तक यात्रा की करें तो, फिजी में हिन्दी भाषा न सिर्फ प्राइमरी, सेकेंडरी स्कूलों, यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई जाती है, बल्कि फिजी के संविधान में इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा हासिल है। फिजी में हिन्दी की शुरूआत 1879 से 1916 के बीच मानी जाती है। उस समय फिजी और भारत पर अंग्रेजी शासन था। बताया जाता है कि उस समय गन्ने के खेतों में काम करने के लिए भारत से करीब 60,000 मजदूरों को फिजी लाया गया था। इनमें अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के थे। संयुक्त राष्ट्र (2020) के अनुसार, फिजी की जनसंख्या करीब 8,96,000 है और उनमें से 30 प्रतिशत से अधिक लोग भारतीय मूल के हैं।
साथियों बात अगर हम विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन और उद्देश्यों की करें तो, विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन विदेश मंत्रालय करता है। हिंदी दिवस के चार दिनों बाद विदेश मंत्रालय का एक पोस्टर ट्वीट किया गया था जिसमें बारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन के लोगो डिजाइन प्रतियोगिता के आयोजन की घोषणा की गई थी। विश्व हिंदी सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य पूरी दुनिया में हिंदी का प्रचार प्रसार और इस भाषा के प्रति अहिंदी भाषियों के मन में आकर्षण पैदा करना है। विश्व हिन्दी सम्मेलन हिन्दी का सबसे भव्य अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसमें विश्व भर से हिन्दी भाषा के विद्वान, साहित्यविद्, प्रखर पत्रकार, भाषा शास्त्री, विषय विशेषज्ञ तथा हिन्दी को चाहने वाले जुटते हैं। यह सम्मेलन अब प्रत्येक चौथे वर्ष आयोजित किया जाता है।वैश्विक स्तर पर भारत की इस प्रमुख भाषा के प्रति जागरुकता पैदा करने, समय-समय पर हिन्दी की विकास यात्रा कामूल्यांकन करने, हिन्दी साहित्य के प्रति सरोकारों को मजबूत करने, लेखक-पाठक का रिश्ता प्रगाढ़ करने व जीवन के विविध क्षेत्रों में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 1975 से विश्व हिन्दी सम्मेलनों की श्रृंखला आरंभ हुई। यह सम्मेलन प्रवासी भारतीयों के लिए बेहद भावनात्मक आयोजन होता है। क्योंकि भारत से बाहर रहकर हिन्दी के प्रचार-प्रसार में वे जिस समर्पण और स्नेह से भूमिका निभाते हैं उसकी मान्यता और प्रतिसाद भी उन्हें इसी सम्मेलन में मिलता है।
साथियों बात अगर हम विश्व हिंदी सम्मेलन के इतिहास की करें तो, पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सहयोग से नागपुर में संपन्न हुआ जिसमें विनोबाजी ने संदेश भेजा था। तब से लेकर अब तक ग्यारह विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं- मॉरीशस, नई दिल्ली, मॉरीशस, त्रिनिडाड व टोबेगो, लंदन, सूरीनाम और न्यूयार्क में। नौवां विश्व हिन्दी सम्मेलन 22 से 24 सितंबर 2012 तक जोहांसबर्ग में आयोजित हुआ।10वां विश्व हिन्दी सम्मेलन भारत की ह्रदयस्थली मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 10 से 12 सितंबर 2015 को आयोजित हुआ। यारों आयोजन में हुआ। 10 से 12 जनवरी (1975), नागपुर, भारत।28 से 30 अगस्त (1976), पोर्ट लुई, मॉरीशस 28 से 30 अक्टूबर (1983), दिल्ली, भारत।2 से 4 दिसम्बर (1993), पोर्ट लुई, मॉरीशस 14 से 8 अप्रैल (1996), पोर्ट ऑफ़ स्पेन, त्रिनिदाद- टोबेगो 14 से 18 सितम्बर (1999), लंदन। 6 से 9 जून(2003) पारामारिबो, सूरीनाम।13 से 15 जुलाई (2007), न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमरीका।22 से 24 सितम्बर (2012), जोहांसबर्ग, दक्षिण अफ़्रीका। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 10 से 12 सितंबर 2015 को आयोजित हुआ।11वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन 18 से 20 अगस्त 2018 तक मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में आयोजित हुआ।
साथियों बात अगर हम हिंदी को यूएन में मान्यता दिलाने और अन्य उपायों की करें तो, संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी कोआधिकारिक भाषा के तौर पर मान्यता दिलाने के लिए विदेश मंत्रायल लगातार प्रयासरत है। विदेश मंत्री ने कहा कि यूनेस्को द्वारा अलग-अलग समाचार पत्रों,सोशलमीडिया और अन्य प्लेटफॉर्म पर हिन्दी का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने में अभी थोड़ा समय लग सकता है। हिंदी को वैश्विक स्तरपर लेकर जाने के लिए क्या ये उचित नहीं होता कि इसका आयोजन चीन, जापान, फ्रांस, जर्मनीआस्ट्रेलिया इटली जैसे देशों में होता। इसका एक लाभ ये होता कि इन देशों की भाषाओं के साथ हिंदी का संवाद बढता और एक दूसरे की भाषा को जानने का अवसर भी प्राप्त होता। अनुवाद के अवसर भी उपलब्ध हो सकते थे जिससे हिंदी की कृतियों को वैश्विक मंच पर एक पहचान मिलती। विश्व हिंदी सम्मेलन भारतीय सभ्यता और संस्कृति को अन्य देशों को बताने का एक मंच भी बन पाता।अगर समग्रतामें इसकी योजना बनाकर कार्य किया जाए तो ये सम्मेलन भाषाई कूटनीति का एक माध्यम बन सकता है। विदेश मंत्रालय में तमाम विद्वान कूटनीतिज्ञ बैठे हैं और अगर वो गंभीरता से इस आयोजन को लेकर कोई नीति बनाएं तो निश्चित रूप से उसमें सफ़लता मिल सकती है। आवश्यकता सिर्फ अपनी भाषा हिंदी को मजबूत करने के लिए इच्छाशक्ति की है।जोहानिसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलन में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित हुआ था कि दो विश्व हिंदी सम्मेलनों के आयोजन के बीच यथासंभव अधिकतम तीन वर्ष का अंतराल हो। इसके पहले ये व्यस्था थी कि विश्व हिंदी सम्मेलनों के आयोजन के बीच कोई भी अंतराल निश्चित नहीं था।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करउसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 12 विश्व हिंदी सम्मेलन फ़िजी 15 -17 फ़रवरी 2023 पर विशेष है। विश्व हिंदी सम्मेलन भारतकोश, ज्ञान का हिंदी महासागर है। पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक। भारत की राजभाषा हिंदी विश्व में तीसरी सबसे अधिक बोलने वाली भाषा है। यूएन में मान्यता दिलाने तेज़ी से प्रयास करना ज़रूरी है।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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