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असवां में भागवत कथा सुनाते नारायणानंद महाराज। |
नया सवेरा नेटवर्क
श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिन भक्तों ने किया रसपान
जौनपुर। जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज ने असवां में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिवस में उपस्थित भक्तों को सम्बोधित करते हुए बताया कि श्रीमद् भागवत भगवान का अवतार है। सच्चिदानंदस्वरु प भगवान श्रीकृष्ण को हम नमस्कार करते हैं जो जगत की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश के हेतु तथा आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक तीनों प्रकार के तापों का नाश करने वाले हैं। कहते हैं कि अनेक पुराणों और महाभारत की रचना के उपरान्त भी भगवान व्यास को परितोष नहीं हुआ। परम आह्लाद तो उनको श्रीमद् भागवत की रचना के पश्चात ही हुआ। कारण कि भगवान श्रीकृष्ण इसके कुशल कर्णधार हैं, जो इस असार संसार सागर से दु:ख-सुख शांति पूर्वक पार करने के लिए सुदृढ़ नौका के समान हैं। सम्पूर्ण सिद्धांतो का निष्कर्ष यह ग्रन्थ जन्म व मृत्यु के भय का नाश कर देता है, भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है तथा भगवान श्रीकृष्ण की प्रसन्नता का प्रधान साधन है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भगवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है तभी परीक्षित जी की सभा में शुकदेव ने कथामृत के बदले में अमृत कलश नहीं लिया। ब्राह्मा ने सत्यलोक में तराजू बाँध कर जब सब साधनों, व्रत, यज्ञ, ध्यान, तप, मूर्तिपूजा आदि को तोला तो सभी साधन तोल में हल्के पड़ गए और अपने महत्व के कारण भागवत ही सबसे भारी रहा। अपनी लीला समाप्त करके जब श्री भगवान निज धाम को जाने के लिए उद्यत हुए तो सभी भक्त गणों ने प्रार्थना कि- हम आपके बिना कैसे रहेंगे तब श्री भगवान ने कहा कि वे श्रीमद् भगवत में समाए हैं। यह ग्रन्थ शा·ात उन्हीं का स्वरु प है। पठन-पाठन व श्रवण से तत्काल मोक्ष देने वाले इस महाग्रंथ को सप्ताह-विधि से श्रवण करने पर यह निश्चय ही भक्ति प्रदान करता है। कथा के पूर्व महाराज श्री का पादुका पूजन आचार्य महेश देव पाण्डेय, सागर गर्ग, अखिलेश तिवारी 'अकेला ', अंकित तिवारी,अनुज तिवारी एवं उपस्थित भक्तों द्वारा सम्पन्न हुआ।
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