भाषा भेद दूर करें, भावनात्मक एकता मजबूत करें : पीएम | #NayaSaveraNetwork
नया सवेरा नेटवर्क
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यहां आह्वान किया की भाषा भेद दूर करें, भावनात्मक एकता को मजबूत करें। यह देश के 130 करोड़ लोगों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव काल में पंच प्रण (विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता व एकजुटता और नागरिक कर्तव्य) भारत की विरासत पर गर्व करने के आधार तत्व हैं। विश्व की सबसे प्राचीन भाषा के रूप में दुनिया तमिल का गुणगान करती है लेकिन हम इस गौरवगान में पीछे हैं।
प्रधानमंत्री बीएचयू के एम्फीथिएटर मैदान में माहव्यापी काशी तमिल संगमम के उदघाटन के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय व उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से आयोजित संगमम् में पीएम ने काशी और तमिलनाडु के प्राचीन सांस्कृतिक, साहित्य व आध्यात्मिक संबधों की चर्चा करते हुए कहा कि तमिल विरासत को न भुलाया जा सकता है और न ही उसे बंधन में बांधा जा सकता है। ऐसा होने पर नुकसान ही होगा। काशी- तमिल के प्राचीन सम्बन्ध को संत तिरुवल्लुवर, रामानुजाचार्य, शंकराचार्य से लेकर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और राजाजी यानी सी राजगोपालाचार्य तक ने मजबूती दी है। पीएम ने कहा कि तमिलनाडु भारतीय अध्यात्म के सबसे महान आचार्यों की जन्म व कर्मभूमि रहा है। काशी तुलसीदास व कबीर की नगरी है। जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में ऊर्जा का अनुभव किया जा सकता है। काशी पूरे देश की सांस्कृतिक विशिष्टता को समेटे हुए है जबकि तमिलनाडु प्राचीनता व गौरव का प्रतीक है। दोनों गंगा-यमुना जैसे पवित्र और अनंत संभावनाओं को समेटे हुए हैं। मोदी ने कहा कि एकोहम बहुस्याम का दर्शन भारतीय चेतना के कई स्तरों में प्रगट हुआ है। इस दर्शन के संदर्भ में काशी और तमिलनाडु संस्कृति और सभ्यता के कालातीत केंद्र हैं। दोनों शिवमय व शक्तिमय हैं। काशी के हनुमान घाट, केदारघाट मोहल्लों में दक्षिण भारतीय लोगों की बसावट, दक्षिण के संत-आचार्यों की ओर से स्थापित कुमारस्वामी मठ आदि की चर्चा करते हुए पीएम ने संगमम् में आए प्रतिनिधियों से कहा कि यह संगमम् शब्दों से अधिक अनुभव का अवसर है। आपको भ्रमण के दौरान अनुभव होगा भी। उन्होंने इच्छा जताई कि तमिलनाडु व देश के दूसरे राज्यों में भी इस तरह के आयोजन होने चाहिए। उनके जरिए भारत को लोग जीयें। उन आयोजन के माध्यम से युवा रिसर्च स्कॉलर एकता के भाव मजबूत करें। पीएम ने संगमम के अनुरूप दक्षिण भारतीय शैली ( लुंगी-शर्ट) में परिधान धारण कर रखा था। उन्होंने संबोधन के पूर्व तमिलनाडु से आए नौ आदिनम (धर्माचार्य) का सम्मान किया। उनके साथ ग्रुप फोटोग्राफी में शामिल हुए। संगमम के पहले दिन के तमिल प्रतिभागी 210 छात्र-छात्राओं के साथ संवाद भी किया। संत तिरुवल्लुवर रचित "तिरुक्कुरल" के नवीनतम संस्करण का विमोचन किया। इस पुस्तक का कम्बोडियन समेत 13 भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उन्होंने एम्फीथिएटर मैदान पर तमिल संस्कृति पर केंद्रित प्रदर्शनी भी देखी। राज्यसभा सांसद व प्रसिद्ध गायक इलैयाराजा व उनकी टीम ने रुद्राष्टाध्यायी पर आधारित संगीत रचना "शिवोहं" समेत दो प्रस्तुतियां दीं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंच पर पीएम मोदी, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी आदित्यनाथ आदि का स्वागत किया।