नया सवेरा नेटवर्क
वाराणसी। देव दीपावली पर स्वर्ग से धरती पर आने वाले देवताओं की आगवानी में सुरसरि के अर्धचंद्राकार तट पर लाखों दीपों का चंद्रहार सजाया गया। सदानीरा के 108 घाटों पर आठ लाख दीपक सजाए गए। वहीं गंगापार रेती पर दो लाख दीपक रोशन हुए। सूर्यास्त के बाद माटी के दीपों में तेल की धार बह चली। रुई की बाती के तर होते ही घाटों की अर्धचंद्राकार शृंखला दीपकों की अनगिनत कतारों का हार पहनी प्रतीत होने लगी।
काशी विश्वनाथ धाम में पहली बार देव दीपावली मनाई गई। पांडेय घाट पर दीयों से विश्वनाथ धाम को दर्शाया गया। सेवैन डेज संस्था की ओर से प्रभु घाट पर दीपों और रंगों से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की संघर्ष गाथा उकेरी गई। आठ किमी लंबे गंगा घाटों पर सरकार की योजनाएं भी दीपों और फूलों से उभरीं। 26 घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। चेतसिंह घाट पर लेजर शो आकषर्ण का केंद्र रहा जबकि मणिकर्णिका घाट स्थित महाश्मशान के सामने जोरदार आतिशबाजी हुई।
शवों के अंतिम संस्कार के लिए जुटे लोग भी कुछ देर के लिए अपना दुख भूल कर आतिशबाजी निहारने लगे। रविदास घाट पर विराट आरती के बाद विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने गायन, वादन और नृत्य की प्रस्तुतियां दीं। रीवां घाट, निषादराज, महानिर्वाणी, प्राचीन हनुमान घाट, चौकी घाट, पांडेय घाट, दरभंगा, सिंधिया घाट, रामघाट, लाल घाट, गाय घाट और नंदेश्वर घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए।
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