माफ़िया का बदलता स्वरूप 41 | #NayaSaveraNetwork


- जल्द ही गोमती की बीच धारा में पुल बनाकर भू- माफ़िया बनाएंगे होटल। प्रशासन देखता रह जाएगा। डीएम बताएंगे ज़मीन उन्हीं की है बस नक्शा नहीं पास कराया, इसकी नवैयत नहीं बदल सकती लिहाजा ये प्रशासन के लिए दुधारू गाय बने रहेंगे।

- अब नहीं पता चल रहा जौनपुर विकास प्राधिकरण ( जेडीए) का भवन बनाने का प्रारुप। जबकि इसके नाम पर तमाम खतरनाक जलजीवों से वसूला गया लाखों, करोड़ों। 

- अब गोमती नदी के तट यानी पानी से चंद कदम दूर बन गया क्लब के नाम पर भवन, कुछ दिनों बाद यह आलीशान होटल में तब्दील हो जाएगा। यहां के होटलों के लिए पर्यटक नहीं हैं फिर भी घण्टे के हिसाब से बुक होते  हैं कमरे। सबकुछ पुलिस व प्रशासन की शह पर वर्षों से चल रहा। अधिकारी व भूगोल बदलते रहे। निरीह आदमी मारा जा रहा।


कैलाश सिंह

वाराणसी। जौनपुर के कुछ लेखपाल बड़े करिश्माई रहे। 60 के दशक से ही उन्होंने भू- माफ़िया बनाना शुरू कर दिया। कुछ लोगों के नाम कलेक्ट्रेट के भीतर और कचहरी की सड़क  करके भी मालिक बना दिया। ये वो किरदार हैं जो एक फ़िल्म में कादर खान ने निभाई थी। वह तिहाड़ जेल में रहते हुए उसे बेचकर निकले थे। वर्तमान डीएम के निर्देश पर शहरी इलाकों के भू-माफ़िया की लिस्ट बनी तो  उसमें पत्रकार, नेता, व्यापारी समेत विभिन्न तबके के लोग नंगे नज़र आए। यानी भू- माफिया की श्रेणी में।  शायद जिलाधिकारी को यह नहीं पता था कि यहां के ऐसे लोग सत्ता बदलने से पहले ही पाला बदल लेते हैं। एक दल के शासन में एक मिनी सीएम प्रदेश के हर जिले में था तो यहां कैसे न होता। उसने नाले की पुलिया पर रैन बसेरा बनाकर उद्घाटन किया फिर उसे ही अपना आवास बना लिया। वहां उसकी अय्याशी के समान भी जुटने लगे। शहर के पार्क, खुली ज़मीनों की लूट का दौर चल पड़ा। लोग धन के साथ घर की इज्जत भी नीलाम करने लगे। अब वही खेल उस नेता का पुत्र नेता भी कर रहा है। हालांकि प्रदेश में शासन भाजपा का है और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं। वह शासन ब्यूरोक्रेट्स के जरिये कर रहे। लिहाजा पार्टी के भू-माफिया अपने तरीके से अधिकारियों से निवेदन करके काम निकाल रहे हैं। अधिकारी भी खुश क्योंकि वर्षों से उन्हें नेताओं से इज्जत नहीं मिली थी। पैसा तो तब भी मिलता था और अब भी मिल रहा। इसमे आम जनता पिस रही।

जब इसी प्रशासन ने दो हजार से ज्यादा लोगों को नोटिस दी थी तब अधिकतर के पास नक्शे बगैर भवन मिले थे। इसमे तमाम गरीब पीसे गए पेनाल्टी के नाम पर। शासन के नियम में है कि नदी से 500 मीटर दूरी तक दोनों किनारे स्थाई भवन नहीं बनाए जा सकते हैं तो ये भवन कैसे बनते जा रहे। वाजिदपुर से जेसीज चौराहा और गोमती तट तक खुले व पार्किंग वाले क्षेत्र बाढ़ से बचने को छोड़े गए थे। तभी तो एक नेता को लाखों देकर भू-माफिया इन ज़मीनों की नवैयत बदलवाने की कोशिश की लेकिन मुख्यमंत्री ने फाइल लौटा दी। इसमें कोशिश करने वाला नेता एक पूर्व मंत्री के नक्शे कदम पर पांच साल चला था। जमकर लुटा और करोड़ों का मालिक बन बैठा। लेकिन योगी सरकार ने खेल कर दिया। अब वह छोटी दुकानों के उद्घाटन में लगा है। एक बड़ा जगलर नदी किनारे से सटकर भवन बना रहा है। दावेदार निषादों  को औने पौने दाम देकर भगा दिया। शहर के कटघरा इलाके की घनी आबादी के बीच हरी बाग़ काटकर एक जगलर फार्म हाउस बना रहा है। बाग़ काटने की अनुमति किसने दी? विस्तृत अगले एपिशोड में,,,क्रमशः




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