Jaunpur News: अन्न के कण और संतसंग के क्षण कभी मत छोड़िए: ऋचा मिश्रा
नया सवेरा नेटवर्क
खुटहन, जौनपुर। अंतरराष्ट्रीय कथा वाचिका दीदी ऋचा मिश्रा ने कहा कि अन्न के कण और संत्संग के क्षण कभी नहीं छोड़ना चाहिए। जिस प्रकार से अन्न शरीर का पोषण करता है,उसी प्रकार साधु का सत्संग मानव को मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। उक्त बातें उन्होंने उसरौली गांव में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि इतिहास के एक युग में अहंकारी, दुराचारी, हिंसावादी और संतों का प्रबल विरोधी रावण पैदा हुआ था। जिसका प्रभु श्रीराम ने बध कर पूरी सृष्टि की रक्षा की थी। आज के भौतिक परिवेश में हर घर में रावण और मंथरा बैठी हैं। सबका एक साथ संहार प्रभु नहीं कर सकते।
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अब मानव के बध की आवश्यकता नहीं है वल्कि उनके भीतर जागृत हो रहे रावण और मंथरा रूपी दुर्विचारों का हनन करना है। इसके लिए किसी हथियार की जरूरत नहीं, सिर्फ संतों की संगति में जाना है।यह तुच्छ विचार स्वतः दूर भाग जायेंगे। आगे कहा कि चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद यह मानव शरीर मिला है। यदि इस जन्म में अपने काये की सद्गति नहीं कर पाये तो फिर से उतनी ही योनियों में भटकना पड़ेगा। इस मौके पर मुख्य यजमान नीमर मिश्रा, द्रौपदी देवी, विधायक रमेश मिश्रा, तहसीलदार उमेश चन्द्र यादव, देवमणि मिश्रा, धर्मेन्द्र मिश्रा, अशोक पाण्डेय आदि मौजूद रहे। आयोजक राजन मिश्रा ने आगतो के प्रति आभार प्रकट किया।


