Poetry: बापू चालीसा
नया सवेरा नेटवर्क
2 अक्टूबर गाँधी जयंती के गौरवशाली अवसर पर श्रद्धांजलि स्वरूप अर्पित हमारी यह बहुचर्चित रचना-
बापू चालीसा
दोहा
भारत के गुजरातप्रान्त,
रहा पोरबन्दर स्थान।
बापू जी थे जन्म लिये,
2अक्टूबर के दरमियान।।
जननी पुतली बाई उनकी,
करमचंद्र थे जनक महान।
तोड़ि गुलामी अंग्रेजों की,
भारत का वे किये कल्यान।।
चौपाई
अमर शहीद करमचंद गाँधी,
दीन्हि आजादी बनि आन्दोलन आँधी।
तुम उपकार राष्ट्र पर कीन्हा,
ब्रिटिस भगाइ स्वराज दइ दीन्हा।
हाँथहि सोटि,कटि लगोंटि बिराजै,
चश्मा नयनहिं,काँधे जनेऊ साजै।
एकल-सूत्र के थे तुम अंगी,
कुमति निवारि सुमति के संगी।
सत्य अहिंसा के थे प्रेम पुजारी,
बिनु हिंसा अंग्रेज पे भारी।
बिनु हत्या औ बिना लड़ाई,
डँका विजय का दिये बजाई।
जाइ विलायत वकालत कीन्हा,
तब रुख दक्षिण अफ्रीकहि किन्हां।
वंहि देखि रंग-भेद की अतिताई,
किये विरोध शुरू कीन्हि लड़ाई।
सुनि स्वदेशहिं ब्रिटिसराज अतिताई,
लौटि स्वदेश गये तुम आई।
रौलेट एक्ट के विरोध में आये,
आन्दोलन सत्याग्रह थे चलाये
अंग्रेजी सत्ता के विरोधंहि आई,
दी असहयोग आंदोलन चलाई।
श्री गणेश डाँडी यात्रा कीन्हा,
तोड़ि नमक कानून,नमक बना दीन्हां।
विनयशील सविनय आन्दोलन चलाये
माल - विदेशी बहिस्कार कराये
ईo1930 / 5-मई को दमनकारी,
कीन्हिं बापू जी की गिरफ्तारी।
बापू जी को जेल भिजवाई,
दिये दक्षिण-पूर्व में आग भड़काई।
कियो नेतृत्व भारत छोड़ो आन्दोलन,
परणित हुआ अंग्रेजहिं झकझोरन।
तुम्हरो मंत्र अन्ग्रेजहिं माने,
नंगा फकीर कहि नाम बखाने।
लाइ स्वराज्य अंग्रेज भगाये,
भारत के राष्ट्रपिता कहाए।
रचयिता
विजय मेहंदी
(कवि हृदय शिक्षक)
जौनपुर(उ0प्र0
9198852298
,%20%E0%A4%A8%E0%A4%88%E0%A4%97%E0%A4%82%E0%A4%9C%20%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BE,%20%E0%A4%9C%E0%A5%8C%E0%A4%A8%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B0%20%20%E0%A4%AB%E0%A5%8B%E0%A4%A8%20%E0%A4%A80%207355%20358194,%2005452-356555.jpg)