Jaunpur News: मूल्यों की राजनीति में विश्वास करते थे ठा. उमानाथ सिंह

Jaunpur News Thakur Umanath Singh believed in the politics of values

दुनिया में न रहने के बाद भी परिवार को मिल रही प्रेरणा

आम आदमियों के लिए हमेशा सुलभ थी उनकी चौखट

राजनीतिक क्षेत्र में उनकी एक अलग थी पहचान

संस्कार उनके परिवार का है धरोहर

31वीं पुण्यतिथि पर स्मृति विशेष

हिम्मत बहादुर सिंह @ नया सवेरा 

जौनपुर। पूर्व कैबिनेट मंत्री ठा. उमानाथ सिंह को गुजरे 31 वर्ष हो चुके हैं लेकिन आज भी उनकी प्रेरणा परिवार वालों को मिलती रहती है। त्याग, परोपकार, समर्पण, शालीनता, सादगी, विनम्रता, धैर्य सब कुछ उनके व्यक्तित्व में समाहित था। उनका मानना था कि सत्य की डगर कठिन होती है लेकिन अंतिम में परिणाम सत्य के पक्ष में ही जाता है। वह एक महान समाजसेवी थे, राजनीतिक क्षेत्र में उनकी एक अलग पहचान थी। वह गरीबों के मसीहा थे। कोई भी व्यक्ति अगर उनके पास अपने कामों को लेकर जाता था तो वह उसका निवारण बड़े ही सहजता के साथ करते थे। मृदृल भाषी होने के कारण उनकी हर दल में एक अलग पहचान थी व मूल्यों की राजनीति में विश्वास करते थे। उनके विचारों से अधिकांश दल के बड़े नेता काफी प्रभावित रहते थे, वह जिले के विकास के लिए आजीवन संघर्षशील रहे।

मां के सगुण सपूत तुम्हारी स्मृति का वंदन है...

बताते चलें कि अमर शहीद पूर्व मंत्री स्व. उमानाथ सिंह पर लिखी गई साहित्य वाचस्पति श्रीपाल सिंह क्षेम की यह कविता भावों की आरती और आंसू का चंदन है, मां के सगुण सपूत तुम्हारी स्मृति का वंदन है। तुम आये तो तुमको पाकर पिता पुनित हुए थे, माता के वत्सल अंचल के तुम नव गीत हुए थे। ऐसा लगा रामसूरत सिंह का गृह नंदन है। मां के सगुण सपूत तुम्हारी स्मृति का वंदन है... आज भी प्रासांगिक है। गौरतलब हो कि वह गरीबों असहायों के हितों के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे। उनके व्यक्तित्व व कृतित्व से सीख लेने की जरूरत है। उनके अनुज भ्राता टीडी कालेज के पूर्व प्रबंधक स्व. अशोक सिंह अपने बड़े भाई उमानाथ सिंह के नाम से शिक्षण संस्थानों की स्थापना किया वह भी एक मिसाल है। 

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अपने भाई के पद चिन्हों पर चलने का पूरा प्रयास किया अनुज ठा. अशोक सिंह ने

कोरोना काल के दौरान उनके अनुज भ्राता अशोक सिंह भी दुनिया से विदा हो गये लेकिन जब तक वह रहे तब तक वह अपने बड़े भाई स्व. उमानाथ सिंह के पद चिन्हों पर चलकर समाज सेवा में समर्पित रहे। हालांकि उनके अनुज ठा. अशोक सिंह का निधन हो गया लेकिन वह जब तक इस संसार में रहे अपने भाई के पद चिन्हों पर चलने का पूरा प्रयास किया। भातृत्व प्रेम इसी से झलकता है कि वह अधिकांश शिक्षण संस्थाएं अपने बड़े भाई पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. उमानाथ सिंह के नाम ही स्थापित किया।

अपने घर पर भी समर्थकों से घिरे रहते थे ठा. उमानाथ सिंह

बताते चलें कि वह सहयोगियों और समर्थकों की भीड़ से घिरे रहते थे। मोहल्ला नखास में स्थित मकान में बरामदे में चौकी पर बैठे उमानाथ सिंह समर्थकों से घिरे रहते थे। मकान में कभी ठा. रामलगन सिंह रहते थे और उनके यहां ही प्रदेश के प्रतिष्ठित कांग्रेस नेता ठॉ. हरगोविन्द सिंह भी रहते थे। उमानाथ सिंह की चौखट आम आदमी की चौखट बन गई थी। जहां गरीब, दु:खी आसानी से अपनी फरियाद सुनाने पहुंच जाता था, लेकिन वह हर व्यक्ति से सहजता से मिलते थे। स्व. उमानाथ सिंह ने अपने परिवार में जो संस्कार का बीज बोया वह आज भी विद्यमान है। उनका संस्कार ही उनके परिवार का धरोहर है उसी संस्कार के रास्ते पर चलकर उनके एक मात्र पुत्र पूर्व सांसद कृष्ण प्रताप सिंह केपी, भतीजे राघवेंद्र प्रताप सिंह, देवेंद्र प्रताप सिंह, शिवेंद्र प्रताप सिंह, धर्मेंद्र प्रताप सिंह समाज सेवा में लगे हुए हैं।


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