Jaunpur News: मक्का फसल को फाल आर्मी वर्म कीट से बचायें
पहचान, लक्षण और रोकथाम का उपाय जरूरी
नया सवेरा नेटवर्क
जौनपुर। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने किसान भाइयों को बताया कि खरीफ फसलों प्रमुख रूप से बोई जाने वाली फसल मक्का फाल आर्मी वर्म कीट हानि पहुंचाता है जिसके पहचान, लक्षण तथा रोकथाम का उपाय करना चाहिए।
इस कीट की मादा अधिकतर पत्तियों के नीचले हिस्से या कभी कभी पत्तियों के उपरी सतह या तनों पर अंडे देती हैं जो क्रीमिस से हरे या भूरे रंग के होते हैं। मादा कई पर्त में अंडे देने के बाद सफ़ेद झाग से ढक देती हैं द्य कीट का लार्वा भूरा या धूसर रंग का होता है जिसके पीठ के नीचे तीन पतली धारियां और सर पर एक सफेद रंग का अंग्रेजी शब्द उल्टा वाई दिखता है। शरीर के दूसरे अंतिम खंड पर वर्गाकार चार बिंदु दिखाई देता है। मक्का इस कीट की रुचिकर फसल है।
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यह कीट फसल की लगभग सभी अवस्थाओं में नुकसान पहुचाता है। यह मक्का पत्तों के साथ-साथ बाली को विशेष रूप से प्रभावित करता है। कीट का लार्वा मक्का के छोटे पौधों के डंठल आदि के अन्दर घुसकर अपना भोजन प्राप्त करता है इस कीट के प्रकोप की पहचान फसल की बढ़वार अवस्था में पत्तियों के बाहरी किनारों पर कीट के मल-मूत्र से पहचाना जा सकता है।
किसान भाई फसल की निगरानी करते हुए निम्नानुसार बचाव और नियंत्रण का कार्य करें। रासायनिक नियंत्रण हेतु डाइमेथोएट 30 प्रतिशत ई०.सी० 1.5 लीटर अथवा क्लोरेंट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत ई०सी० 150 ग्राम अथवा क्लोरपायरीफास 20 प्रतिशत ई०सी० 1.25 लीटर रसायन को प्रति हे० की दर से 500-600 ली. पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें, कीट के नियंत्रण हेतु 5-10 ट्राइकोकार्ड प्रति हे० की दर से प्रयोग करना चाहिए, यांत्रिक विधि के तौर पर सायंकाल (7 बजे से 9 बजे तक ) 3 से 4 की संख्या में प्रकाश प्रपंच एवं 6 से 8 की संख्या में बर्ड परचर प्रति एकड़ लगाना चाहिए, अंड परजीवी दो से पांच ट्राइकोगामा कार्ड एवं टेलिनोमस रेगस का प्रयोग एग लेइंग की अवस्था में करने से इनकी संख्या की बढ़ोत्तरी में रोक लगाईं जा सकती है।
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