भारत की नीली अर्थव्यवस्था- मानसून सत्र में बने पांच नए समुद्री कानून समुद्री क्रांति है,जो विज़न 2047 आत्मनिर्भर भारत में ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होंगे
पांच नए समुद्री कानून भारत के विज़न आत्मनिर्भर भारत 2047 में विकसित राष्ट्र और वैश्विक समुद्री महाशक्ति बनाने में अहम रोल अदा करेंगे
भारत में पांच नए समुद्री कानून भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट डोज देने के साथ, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ब्लू इकोनामी पावर हाउस के रूप में स्थापित करेंगे- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
नया सवेरा नेटवर्क
गोंदिया - भारत को प्राचीन काल से ही समुद्री सभ्यता और व्यापारिक शक्ति के रूप में जाना जाता रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता के लोथल बंदरगाह से लेकर चोल साम्राज्य की दक्षिण-पूर्व एशिया तक विस्तृत समुद्री कूटनीति, भारत ने हमेशा सागर को अपनी समृद्धि और शक्ति का आधार बनाया है।लेकिन औपनिवेशिक शासन और स्वतंत्रता के बाद लंबे समय तक समुद्री क्षेत्र में व्यापक सुधार नहीं हो पाए।वर्तमान में वैश्विक व्यापार का लगभग 80 पेर्सेंट वॉल्यूम और 70 पेर्सेंट वैल्यू समुद्री मार्ग से होती है। भारत की तटीय लंबाई 7,517 किमी है,200 से अधिक बंदरगाह और विशाल एक्सक्लुसिव इकोनॉमिक्स झोन है।मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र मानता हूं कि फिर भी भारत का योगदान वैश्विक शिपिंग में सीमित रहा।इसी पृष्ठभूमि में भारत सरकार ने 2025 में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए एक साथ पांच बड़े समुद्री विधेयक लाकर संसद के दोनोंसदनों में पारित कर कानून बनाकर एक समग्र समुद्री सुधार पैकेज प्रस्तुत किए जो, सिर्फ विधायी सुधार नहीं, बल्कि भारत की समुद्री क्रांति हैं। ये कानून न केवल व्यापार दक्षता बढ़ाएंगे,बल्कि भारत को वैश्विक समुद्री शक्ति बनाएंगे। इससे न केवल अर्थव्यवस्था को बूस्ट डोज मिलेगा,बल्कि नीली अर्थव्यवस्था के सतत विकास औरआत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह कदम एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,भारत में पांच नए समुद्री कानून भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट डोज देने के साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ब्लू इकोनामी पावर हाउस के रूप में स्थापित करेंगे।
साथियों बात अगर हम संसद के मानसून सत्र 2025 के दोनों सदनों में पारित होकर कानून बनें इन पांचो समुद्री कानूनों को जानने की करें तो,(1) बिल्स ऑफ लैडिंग विधेयक, 2025- बिल्स ऑफ लैडिंग समुद्री व्यापारका सबसे अहम दस्तावेज होता है,जो माल ढुलाई का प्रमाण, स्वामित्व का सबूत और व्यापारिक अनुबंध का हिस्सा होता है। नए विधेयक का उद्देश्य इसे डिजिटल और ब्लॉकचेन- आधारित प्रणाली से जोड़ना है ताकि नकली दस्तावेज़, धोखाधड़ी और पारदर्शिता की कमी को दूर किया जा सके। इसका प्रभाव यह होगा कि निर्यातक और आयातक दोनों को सुरक्षित और तेज़ लेन-देन की सुविधा मिलेगी। (2) समुद्री माल ढुलाई विधेयक,2025-यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार भारत में माल ढुलाई अनुबंधों को विनियमित करेगा। अब जहाज़ कंपनियों, निर्यातकों और आयातकों के बीच विवाद समाधान तेज़ होगा। बीमा, देरी और हर्जाने के मामलों में स्पष्ट प्रावधान दिए गएहैं।इससे भारत का इज़ीऑफ़ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग बेहतर होगी।(3) व्यापारिक पोत परिवहन विधेयक,2025-यह कानून भारतीय जहाज़ी बेड़े के आधुनिकीकरण और नए पोतों में निवेश को बढ़ावा देगा। विदेशी जहाज़ कंपनियों के मुकाबले भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा का लाभ मिलेगा।साथ ही, घरेलूशिपबिल्डिंग इंडस्ट्री और रोजगार में उछाल आएगा।(4) तटीय नौवहन विधेयक,2025- तटीय नौवहन कानून घरेलू व्यापार और यात्री सेवाओं को नई दिशा देगा।यह "एक देश-एक परमिट" की अवधारणा लाता है, जिसके तहत जहाज़ आसानी से भारत के विभिन्न बंदरगाहों पर बिना जटिल प्रक्रियाओं के संचालन कर सकेंगे।इससे लॉजिस्टिक कॉस्ट घटेगी और माल परिवहन तेज़ होगा।(5) भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025 -यह कानूनभारतीय बंदरगाहों को स्वायत्त, तकनीकी रूप से उन्नत और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने पर केंद्रित है। इसमें ग्रीन पोर्ट्स, स्मार्ट पोर्ट्स और लॉजिस्टिक्स हब बनाने की योजना है। इसका सीधा प्रभाव भारत की वैश्विक कनेक्टिविटी और निर्यात प्रतिस्पर्धा पर पड़ेगा।
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साथियों बात अगर हम इन पांचो कानून के फायदे को प्वाइंटों में समराइस करनें व एक साथ ही पेश पारितकरने को समझने की करें तो,(1)भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट डोज-जीडीपी योगदान: 2030 तक भारत की ब्लू इकॉनमी जीडीपी का 12पेर्सेंट तक योगदान कर सकती है,जो वर्तमान में 4 पेर्सेंट हैँ।(2) लॉजिस्टिक कॉस्ट में कमी: 13-14 पेर्सेंट से घटकर 8-9 पेर्सेंट तक। (3) रोज़गार सृजन: शिपबिल्डिंग और पोर्ट लॉजिस्टिक्स में 20 लाख से अधिक नए अवसर। (4)निर्यात प्रतिस्पर्धा: तेज़ डिलीवरी और कम लागत से भारत डब्लूटीओ सदस्य देशों के बीच प्रतिस्पर्धा में मज़बूत होगा। (5) नीली अर्थव्यवस्था के विकास में तेज़ भूमिका-नीली अर्थव्यवस्था सिर्फ शिपिंग तक सीमित नहीं है। इसमें मत्स्य पालन, पर्यटन, समुद्री खनिज, ऑफशोर ऊर्जा, और बायोटेक्नोलॉजी भी शामिल हैं।यूएनसीटीएडी की 2023 रिपोर्ट बताती है कि ब्लू इकॉनमी से विश्व स्तरपर 3 डॉलर ट्रिलियन जीडीपी जुड़ी हुई है।भारत की,ईईजेड (2.4 मिलियन वर्ग किमी) दुनियाँ में सबसे बड़ी में से एक है।(6) नए कानून समुद्री ऊर्जा (ऑफशोरे विंडो,वेव एनर्जी), खनिज संसाधन (पॉलिमटेलिक नोडल्स), और समुद्री बायोटेक्नोलॉजी को कानूनी ढांचा देंगे। (7) व्यापार दक्षता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा- डब्लूटीओ की ट्रेड फेसिलिटेशन एग्रीमेंट (टीएफए) में डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन और तेज़ क्लियरेंस की अनिवार्यता है,जो भारत के नए कानून इससे मेल खाते हैं। (8)आईएमओ के ग्रीन शिपिंग टारगेटस (2050) के तहत जहाज़ों से कार्बन उत्सर्जन 50 पेर्सेंट घटाने का लक्ष्य है। भारत का व्यापारिक पोत कानून इसी दिशा में “ग्रीन शिपिंग”को बढ़ावा देगा। (9) चीन का बेल्ट एंड रोड इनिशेटिव (बीआरआई) समुद्री बंदरगाह नेटवर्क तैयार कर रहा है। भारत इन सुधारों से एशियाई सप्लाई चेन में एक मज़बूत विकल्प बनेगा। (10) पांच विधेयक एक साथ क्यों-(i)उद्योग को स्पष्ट संदेश कि भारत सिर्फ टुकड़ों में नहीं, बल्कि समग्र सुधार चाहता है।(ii)डब्लूटीओ और आईएमओ की अंतरराष्ट्रीयबाध्यताओं को एक साथ पूरा करना। (iii)औपनिवेशिक कानूनों को समाप्त करने का राजनीतिक और आर्थिक संकल्प।(iv)“मारिटाइम इंडिया विज़न 2047” का रोडमैप तैयार करना। (11) औपनिवेशिक कानून का अंत और नई शुरुआत-(i)अंग्रेजों के जमाने के कानून व्यापार को नियंत्रित करने के लिए थे, भारत के हितों के लिए नहीं।(ii) अब नए कानून भारतीय समुद्री स्वायत्तता का प्रतीक हैं। (iii) इससे तटीय समुदायों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा-(i) मछुआरों को आधुनिक कोल्ड-चेन और तेज़ निर्यात सुविधा।(ii)तटीय पर्यटन उद्योग को स्मार्ट पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर। (iii) स्थानीय युवाओं को लॉजिस्टिक्स, शिपिंग और मैन्युफैक्चरिंग में रोजगार।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत की नीली अर्थव्यवस्था- मानसून सत्र में बने पांच नए समुद्री कानून,समुद्री क्रांति है जो विज़न 2047 आत्मनिर्भर भारत में ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होंगेपांच नए समुद्री कानून भारत के विज़न आत्मनिर्भर भारत 2047 में विकसित राष्ट्र और वैश्विक समुद्री महाशक्ति बनाने में अहम रोल अदा करेंगे भारत में पांच नए समुद्री कानून भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट डोज देने के साथ, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ब्लू इकोनामी पावर हाउस के रूप में स्थापित करेंगे।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9226229318
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