Article: हमारे देश में सरकारी नौकरी का कितना क्रेज क्यों?

Article Why is there so much craze for government jobs in our country

नया सवेरा नेटवर्क

हमारे देश में विशेषकर उत्तर भारत में सरकारी नौकरी को लेकर इतना क्रेज क्यों है? हमारे देश में अंग्रेजी शासन से पूर्व राजतंत्रीय शासन में प्रशासनिक विस्तार इतना ज्यादा नहीं था कि सरकारी नौकरी ज्यादा लोगों को मिलती। फिर अंग्रेजी शासन के पूर्व के किसी साहित्यिक या ऐतिहासिक विवरण में भी सरकारी नौकरी का इतना क्रेज शायद ही कहीं दिखाई देता हो। 

वस्तुतः 18वी सदी तक हमारा देश कृषि के साथ साथ हस्त शिल्प और कारीगरी के लिए और व्यापार व वाणिज्य के लिए जाना जाता था। लेकिन जब अंग्रेजी शासन का औद्योगिक उपनिवेशवाद आया यानि भारत के कच्चे माला से ब्रिटेन में मशीनों से उत्पाद बनाकर फिर भारत में बेचा जाने लगा और भारत के हस्तशिल्प और विनिर्मित उत्पादों पर अत्यधिक टैरिफ लगा दी गई तो अनेक शिल्पी व उद्यमी बेरोजगार हो गए और ग्रामीण क्षेत्र में जाकर बस गए और फिर अग्रेजों की कर नीतियों ने कृषकों की भी हालत खराब कर दी तो कृषि से भी बेदखली बहुत ज्यादा हुई।

इन सबके कारण भारत में आजीविका अनिश्चित हो गई। लोग अकाल में मरने लगे। इसी समय अग्रेजों ने देश में सैनिकों और  निम्न स्तर के प्रशासनिक कर्मचारियों की भर्ती की, जिसमें वेतन भले ही कम रहा हो, लेकिन वेतन निश्चित था। इससे लोगों में आजीविका की स्थिरता के लिए सरकारी नौकरी का क्रेज बढ़ने लगा। इतना ही नहीं अंग्रेजों के नौकर होने से समाज में उनका सम्मान भी बढ़ा।

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19वीं सदी के उत्तरार्ध तक सरकारी नौकरी का क्रेज इतना बढ़ गया था कि अंग्रेजों की नीतियों के कारण सरकारी न पाने वाले युवाओं ने ही सबसे पहले अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन छेड़ा। इंडिया लीग, इंडियन एसोसिएशन और कांग्रेस सभी ऐसे ही युवाओं के सहयोग से बने संगठन थे। 

फिर यह भावना इतना गहरी हो गई कि सफलता का एक मात्रा पैमाना सरकारी नौकरी को माना जाने लगा। कुछ हद तक आज भी ये बना हुआ है। प्रेमचंद्र जैसे लेखकों ने इस संदर्भ में काफी कुछ लिखा है। आज भी अनेक युवा अपनी जवानी का समय सामान्य अध्ययन, गणित, रीजनिंग और भाषा के अध्ययन में ही बीता रहे हैं। इनके सपने भी वही है जो पांच से दस पीढी पहले उनके पूर्वजों के थे। इसका एक अन्य कारण यह भी है कि आज भी हमारा देश औद्योगिक विकास ज्यादा नहीं हुआ है। विनिर्माण क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद का मात्रा 18% के आस पास बना हुआ है। कृषि आज भी फायदे का व्यवसाय नहीं है, भले ही टैक्स आज न वसूला जाता हो। देश में आज भी असंगठित रोजगार 90% के आसपास बना हुआ है। देश में अभी भी उद्यमिता और स्टार्टअप इकोसिस्टम और मानसिकता कम ही विकसित है। इन्हीं सब कारणों से आज भी सरकारी नौकरी का क्रेज बहुत ज्यादा है। समाज में इसके लिए एक अलग ही सम्मान बना हुआ है। 

–डॉ प्रशांत त्रिवेदी


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