Article: मान सम्मान और अपमान
नया सवेरा नेटवर्क
मान सम्मान की लड़ाई नई नही है।ये सृष्टि के कुछ अंतराल के बाद ही जन्मी है।इसको बचाने के लिए लोग बहुत कुछ दाॅंव पर लगा दिए।यहाॅं तक कि जिन्दगी भी लगाने से पीछे नहीं रहे।काल कोई भी रहा हो मान सम्मान की लड़ाई में अन्तर लेश मात्र भी नहीं आया है।अपने मान सम्मान को ऊॅचा करने के लिए लोग अपना घर परिवार छोड़ कर दूर दराज कमाने के लिए निकल जाते हैं।दूर दराज जाने पर कई बार अपमानित भी होते हैं।कभी भाषा के नाम पर तो कभी प्रांत के नाम पर। फिर भी लोग मन मसोस कर सम्मान बढ़ाने के लिए यह अपमान का घूॅंट पी लेते हैं।और परिवार का मान सम्मान बना रहे, इसलिए अपमानित होकर आगे बढ़ते रहते हैं।
आजकल राजनीति में गजब की मान सम्मान की लड़ाई चल रही है।कभी कभी तो ऐसा देखने व सुनने को मिलता है कि एक जन के मान सम्मान को पूरे समाज से जोड़ दिया जाता है।और उसके लिए पूरे देश को जला दिया जाता है।कुछ अध्धे पौवे व मूर्खों की टोलियां मिलकर देश की ऐसी तैसी करती हैं।शासन प्रशासन सब मूकदर्शक बन देखता है।और उपद्रवी तांडव करते घूमते हैं।सब कुछ देखते हुए भी उपद्रवियों पर आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।जिससे उपद्रवियों के आका मजे से देश को आग के हवाले कर अपनी रोटी सेंकते हैं।हम लोग भी पढ़ लिखकर भी मूर्ख ही हैं।एक देशद्रोही समाजद्रोही को अपना आदर्श मान,अपना सम्मान उससे जोड़ लेते हैं।जबकी जिसके साथ हम अपने को जोड़े हैं।उसकी नजर में मेरी वैल्यू कुत्ते से अधिक नहीं है। फिर भी हम उसी के साथ अपना सम्मान जोड़ लेते हैं।विगत में ऐसे बहुत से किस्से ऐसे आये हैं।जिससे देश समाज का बड़ा नुकसान हुआ है।मजे की बात ये है कि जब हुआ है।ऐसे व्यक्ति या महिला के लिए हुआ है।जिसका न देश से मतलब है न समाज से।
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ज्यादा दूर नहीं अभी हाल ही में विगत दिनों कुछ ऐसी घटना घटी है,जिससे माथा भिन्ना गया।एक पाखंडी बाबा जो लोगों को मूर्ख बनाकर अपनी दुकान चला रहा था।जब उसकी कुत्सित चाल पकड़ी गई तो वह लगा जाति का राग अलापने।अलापा भी इसलिए कि वो एक ऐसी पार्टी से जुड़ा था।जिसका नाम तो समाजवादी हैं।मगर है नहीं।यदि होती तो पाखंडी बाबा के साथ मिलकर समाज में विष वमन नहीं करती।और उस पाखंडी बाबा के मान को पूरी विरादरी से नहीं जोड़ती।न देश का वातावरण खराब करती। उपरोक्त विरादरी के एक युवक को मुसलमानों ने पीट पीट कर मार डाला।तब यही समाजवादी पार्टी मौन।कुछ नहीं बोली।दूसरी घटना फिर हुई।इसी विरादरी का युवक मुसलमानों की भीड़ का शिकार हुआ।तब भी यह विरादरी के सम्मान के लिए लड़ने वाली पार्टी मौन रही।सबसे मजे की बात तो ये है कि वर्तमान में उसी पार्टी की महिला मुखिया एक मस्जिद में अरदास करने गईं।वैसे तो मस्जिद में महिला प्रवेश वर्जित है। फिर भी अपने रसूख का प्रयोग कर ये मोहतरमा गईं।इनके पहनावे को लेकर एक मौलवी ने इनकी घनघोर बेइज्जती की।इसके बावजूद भी समाजवादी पार्टी का कोई नेता चूं तक नहीं बोला।न मुखिया ही कुछ बोला।एक सांसद एक सम्भ्रांत महिला का इतना बड़ा अपमान किया गया।मगर सब चुप।अब न किसी को महिला का अपमान दिख रहा न ही विरादरी का।यदि यही कोई ब्राह्मण आदि कोई भाजपाई किया होता तो अबतक पूरा देश जल गया होता।पूरा सरकारी तंत्र व्यस्त हो गया होता। हुआ इसलिए नहीं है कि अपमान करने वाला मुसलमान मौलवी है।
अब बात समझने वाली यह है कि क्या मान सम्मान लेने का अधिकार सिर्फ छद्म धर्मनिरपेक्षियों का है।क्या अपमान करने का अधिकार भी इन्हीं के लिए पेटेंट किया गया।अन्य को कोई अधिकार नहीं है।ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है कि बहुत सी ऐसी महिलाओं व पुरुषों का अपमान आये दिन विधर्मियों द्वारा किया गया है।परप्रांतियो का अपमान किया जाता है।हमारे देवी देवताओं का अपमान किया गया,सब मौन हो जाते हैं।जैसे ही अन्तर्जातीय बात आती है सब जग जाते हैं।और बर्बादी की तरफ उन्मुख हो जाते हैं। हमारे ही दम पर चुनकर संसद और विधानसभाओं में जाते हैं।और वहाॅं पहुॅंच के ये विधर्मी नेता गण हमें ही मरवाते हैं।हमारा घर फुंकवाते हैं।हमारा ही देश जलाते हैं।और हम इन्हीं विधर्मियों के साथ अपना मान सम्मान जोड़कर मृत्योन्मुखी बने रहते हैं।जिस दिन इनकी कुचाल को हम समझ लेंगे।उस दिन से इनके लिए हम न मरेंगे।न ही मारे जायेंगे।देश का वातावरण शुद्ध हो जायेगा।जब हम अपना सम्मान देश से जोड़कर देखना शुरू करेंगे,ए अपने आप सही राह पन चलने लगेंगे।और देश हमारा पूर्ण विकसित हो जायेगा।
जब तक इन विधर्मियों देशद्रोहियों का हम पूर्ण रूप से वहिष्कार नहीं करेंगे।ये अपने हित के लिए सदैव हमें लड़वाते रहेंगे।और हम ऐसे ही आपस में लड़कर अपना व देश का नुकसान करते रहेंगे। उपरोक्त्त घटनायें समझदारों के लिए काफी है। नासमझों और मूढ़ों को तो विधाता भी नहीं समझा सकते।यथा
फूलसिंह फरहिं न बेंत,जदपि सुधा बरषहिं जलधि।
मूरख हृदय न चेत,जौ गुरु मिलहिं विरंचि सम।
पं.जमदग्निपुरी