Mumbai News: बाबासाहेब के संविधान और सपनों को कुचल रहे मनपा तथा पुलिस अधिकारी

नया सवेरा नेटवर्क

मुंबई। राष्ट्रीय फेरीवाला नीति के मुद्दे पर मुंबई मनपा तथा पुलिस के अधिकारी बाबा साहेब के संविधान और सपने को कुचल रहे हैं। अपना भ्रष्टाचार का साम्राज्य बनाए रखने की लिए मनपा के अधिकारी राष्ट्रीय फेरीवाला नीति को लागू नहीं कर रहे हैं, जिससे गरीब फेरीवालों को शोषण का शिकार होना पड़ता है। साथ ही हमेशा भय के साए में धंधा करना पड़ता है। बता दें कि केंद्र सरकार ने पूरे देश के लिए फेरीवाला नीति बनाई थी। यह कानून संसद में पास हो गया, उस पर राष्ट्रपति का हस्ताक्षर हुआ और पूरे देश में कानून लागू भी हो गया लेकिन मुंबई मनपा ने उसे लागू नहीं किया। फेरीवाले ज्यादातर गरीब तबके से आते हैं। 

बाबा साहेब का सपना था कि देश में गरीबों को न्याय मिले और वे भी आगे बढ़ें, लेकिन मुंबई मनपा बाबा साहेब के संविधान और सपने दोनों को कुचल रही है। इसलिए बाबासाहेब के अनुयायी रास्ते पर उतरेंगे। गौरतलब है कि मुंबई के लाखों फेरीवालों का धंधा पिछले कई महीनों से बंद है, जिससे लाखों फेरीवाले और उनके साथ जुड़े हुए परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। धंधा शुरू कराने के बारे में अनेक नेताओं ने तरह-तरह के आश्वासन दिए, लेकिन आज तक फेरीवालों को कोई राहत नहीं मिल सकी है, और धंधा शुरू होने के इंतजार में उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कुछ माह पहले से फेरीवालों का धंधा बंद करा दिया गया है, जिससे लाखों फेरीवालों के परिवारों के समक्ष मुखमरी का संकट पैदा हो गया है। बताया जाता है कि फेरीवालों के घर में राशन नहीं है। 

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बच्चों की पढ़ाई छूट रही है और घर बुजुर्गों बीमारों का इलाज नहीं हो रहा है। पिछले कई माह से फेरीवाले धंधा शुरू कराने के लिए हर प्रकार की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई राहत नहीं मिल पाई है। हाल ही में फेरीवालों ने आजाद मैदान में एक विशाल मोर्चा आयोजित किया था, जिसमें राज्य के मंत्री उदय सामंत ने फेरीवालों को आश्वासन दिया था कि जल्द फेरीवालों का धंधा शुरू करा दिया जाएगा, लेकिन आज तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए। जानकार लोग बताते हैं कि फेरीवाले अब निराश हो रहे हैं। विशाद की स्थिति में वे आत्महत्या जैसा अप्रिय कदम भी उठा सकते हैं। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार के सामने एक नई समस्या पैदा हो सकती है। बता दें कि महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या का मामला पहले से ही सरकार के लिए सरदर्द बना हुआ है। फेरीवाले अपनी मेहनत के बल अपनी आजीविका चलाते हैं। वे सरकार से रोजगार नहीं मांग रहे हैं। 

धंधा बंद होने से उनके बच्चे अपराध की तरफ मुड़ सकते हैं। पूर्व में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने राष्ट्रीय फेरीवाला नीति बनाई थी, जिसका पालन मनपा के अधिकारी नहीं कर रहे हैं। मोदी जी की सरकार ने दो लाख फेरीवालों को मुद्रा लोन दिया था। धंधा बंद होने से फेरीवाले लोन का हफ्ता नहीं भर पा रहे हैं, और उनका सिविल खराब हो रहा है। फेरीवाले भारत के ही नागरिक हैं। वे कोई अपराध नहीं करते, बल्कि मेहनत के बल पर अपनी जीविका चलाते हैं। किसी भी देश या प्रदेश की सरकार को सबसे पहले गरीबों के कल्याण के लिए योजना बनानी चाहिए। लेकिन मुंबई के फेरीवालों के मामले में मनपा इसके उलट काम कर रही है। केंद्र और राज्य की सरकार को जल्द ही फेरीवालों के मामले में एक मानवीय कदम उठाना चाहिए।

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