Poetry: कुण्डलियाॅं
नया सवेरा नेटवर्क
कुण्डलियाॅं
अधिकारों की होड़ में, आगे हैं श्री मान।
पर अपने कर्तव्य पर, तनिक नहीं है ध्यान।
तनिक नहीं है ध्यान, दान में पीछे हटते।
अगर कहीं कुछ मिले, वेग से जा कर सटते।
कहत "पथिक" कविराय, है धिक् धिक् मतिमारों की।
हुये अधिक बेशर्म, दौड़ में अधिकारों की।।
अधिकारों से प्रथम है, सबका निज कर्तव्य।
क्रियाशील होते नहीं, देते बस वक्तव्य।
देते बस वक्तव्य, हाँ कते ऊंची ऊंची।
रखते अपने पास, सिर्फ बातों की पूंजी।
कहत "पथिक" कविराय, अरे लालच के मारो।
कर के निज कर्तव्य बढ़ आगे अधिकारो।।
कवि
जनार्दन प्रसाद अष्ठाना 'पथिक'
जौनपुर।