Article: विश्व में न्यायपालिकाओं का पावर-पीएम से लेकर एक आम नागरिक तक को कानून का उल्लंघन करने पर न्यायिक शक्तियों का डर एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है?
थाईलैंड की पीएम व डोनाल्ड ट्रंप,नेतन्याहू,इंदिरा गांधी सहित अनेकों अंतरराष्ट्रीय हस्तियों को न्यायपालिका के फैसलों का सामना करना पड़ा है
न्यायपालिकाओं की न्यायिक प्रक्रिया में खास से आम तक सभी व्यक्तियों को एक समान संहिता से लागू होकर सजा या बरी होना खूबसूरती है- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
नया सवेरा नेटवर्क
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर सभी जानते हैं कि लोकतंत्र के प्रेस को मिलाकर चार स्तंभ होते हैं। विधायिका कार्यपालिका न्यायपालिका व मीडिया, जो अपने-अपने स्तरपर अपने-अपने कार्यक्षेत्र में पावरफुल होते हैं, परंतु अक्सर हम देखते हैं कि न्यायपालिका के पावरक्षेत्र में पंचायत समिति सदस्य से लेकर पार्षद व विधायक से लेकर संसद तथा मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री व स्टेट मंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री व पूरी मीडिया के प्लेटफॉर्म्स आते हैं,यांने अगर किसी भी कार्यक्षेत्र में कोई गड़बड़ी कानून का को तोड़ना उलंघन करना, भ्रष्टाचार करना या मानवाधिकार का हनन संविधान का उल्लंघन करते हैं तो न्यायिक क्षेत्र के पावर में आ जाते हैं। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र, यह मानता हूं कि साफ सुथरे ईमानदार व्यक्ति को डरने घबराने की जरूरत नहीं, परंतु भ्रष्टाचार गलत आचरण से तो न्यायिक दायरे में आना ही पड़ेगा। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्यों के मंगलवार 1 जुलाई 2025 को थाईलैंड की पीएम को वहां के न्यायालय की संविधान पीठ ने7/2 के बहुमत से 1 जुलाई 2025 से पीएम पद के कार्य से निलंबित कर दिया है,जब तक संवैधानिक पीठ अपना फैसला नहीं सुनाती। पूरी दुनियाँ के प्रशासकीय व राजनीतिक क्षेत्र में खलबली मच गई है, क्योंकि यह एक बहुत बड़ी बात है। हालांकि विश्व के अनेक बड़े नेता डोनाल्ड ट्रंप, नेतन्याहू, इंदिरा गांधी सहित अनेको नेताओं को इन न्यायिक़ शक्तियों का सामना करना पड़ा है जिसकी चर्चा हम नीचे पैराग्राफ में करेंगे।न्यायालय की न्यायिक प्रक्रिया में खास से आम तक सभी व्यक्तियों को एक समान संहिता लागू होकर सजा या बरी होना खूबसूरती है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्धजानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, विश्व में न्यायालय का पावर,पीएम से लेकर एक आम नागरिक तक को कानून का उल्लंघन करने पर न्यायिक शक्तियों का डर एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।
साथियों बात अगर हम थाईलैंड की पीएम को संविधान पीठ द्वारा 7/2 बहुमत से पद से निलंबित करने की करें तो, संवैधानिक न्यायालय ने पीएम पाइतोंग्तार्न शिनावात्रा को उनके पद से सस्पेंड कर दिया है।उनपर आरोप है कि उन्होंने कंबोडिया के नेता हुन सेन से फोन पर बातचीत की थी। इस बातचीत में उन्होंने थाई सेना के कमांडर की आलोचना की थी। इसे थाईलैंड में गंभीर मामला माना जाता है, क्योंकि सेना का वहां काफी प्रभाव है।इस बातचीत के लीक होने के बाद देशभर में गुस्सा फैल गया था। कोर्ट ने 7-2 के अंतर से पीएम को पद से हटाया कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ शिकायत की जांच की जाएगी। अगर वह दोषी पाई गईं तो उन्हें हमेशा के लिए पद से हटाया जा सकता है।पीएम ने खिलाफ नैतिकता के उल्लंघन का मामला स्वीकार कर लिया है और अब जांच पूरी होने तक वह पीएम के पद पर काम नहीं कर सकेंगी। जब तक इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं होता, तब तक डिप्टी पीएम फुमथम वेचायाचाई सरकार चलाएंगे।किसी देश के पीएम को पद पर रहते हुए उसे निलंबित करना अपने आप में बहुत बड़ी बात होती है।
साथियों बात अगर हम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कोर्ट को शक्तियों की प्रक्रिया का सामना करने की करें तो,अब तक अमेरिकी अदालतों ने ट्रम्प प्रशासन के कम से कम 180 कार्यकारी आदेशों और नीतियों पर स्थाई या अस्थायी तौर पर रोक लगाई है। साथ ही, ट्रम्प ने खुद 11 प्रमुख फैसलों पर यू-टर्न लेते हुए पलटा है।रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने जन्मसिद्ध नागरिकता खत्म करने, संघीय कर्मचारियों की सामूहिक बर्खास्तगी और विदेशी सहायता रोकने जैसे आदेशों को अवैध या असंवैधानिक ठहराया है।वहीं, ट्रम्प ने फेडरल फंडिंग फ्रीज, अंतरराष्ट्रीय छात्र वीजा और टैरिफ नीतियों जैसे फैसलों को कई बार बदला या वापस लिया है।ट्रम्प के वो आदेश जिन्हें कोर्ट ने बदला ट्रंप ने वॉयस ऑफ अमेरिका को खत्म करने का फैसला लिया था, जिसे कोलोराडो की अदालत ने अवैध ठहराया। पर्यावरण नियमों को कमजोर करने वाले आदेशों को भी कैलिफोर्निया की अदालत ने रोका। वजह- वे क्लीन एयर एक्ट का उल्लंघन करते थे वाशिंगटन की अदालत ने गैर अमेरिकियों के लिए मतदान प्रतिबंध को असंवैधानिक माना। अप्रैल 2025 में एक हफ्ते में 11 मुकदमों में ट्रम्प प्रशासन को हार मिली।ट्रम्प के ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य अधिकारों को सीमित करने वाले आदेश को भी न्यूयॉर्क कोर्ट ने भेदभावपूर्ण ठहराते हुए अवैध ठहराया। इसके अलावा ट्रम्प के विदेशी फंडिंग से जुड़े आदेश को भी अदालत ने गलत माना।टैरिफ व बर्थ राइट के फैसले खुद पलटने को मजबूर हुए,ट्रम्प ने जिन नीतियों को बार-बार पलटा उनमें सबसे बड़ा मामला टैरिफ से जुड़ा है। साथ ही प्रवासी बच्चों की बर्थ राइट रोकने का फैसला भी आदेश के कुछ दिनों के भीतर ट्रम्प ने रद्द कर दिया।डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी के तहत इबोला रोकथाम फंडिंग रद्द हुई, जिसे बाद में फिर बहाल किया गया।मेक्सिको-कनाडा के साथ व्यापार समझौते को रद्द करने की घोषणा की लेकिन दबाव के बाद इसे स्थगित किया।
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साथियों बात अगर हम भारत की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले का सामना करने की करें तो,राजनारायण ने इंदिरा गांधी पर सात मुख्य आरोप लगाए थे,जैसे - चुनाव में विमानों और हेलीकॉप्टरों से उड़ान भरने के लिए सशस्त्र बलों की मदद लेना, मतदाताओं में कपड़े और शराब बांटना,चुनाव में गाय और बछड़े जैसे धार्मिक प्रतीक का उपयोग, मतदाताओं को मतदान केन्द्रों तक मुफ्त में पहुंचाना और सीमा से अधिक खर्च करना, लेकिन जस्टिस सिन्हा ने इन सात में पांच आरोपों को खारिज कर दिया,उन्होंने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123 (7) के तहत इंदिरा गांधी को दो भ्रष्ट आचरण का दोषी पाया, पहला - इंदिरा ने चुनाव में बेहतर संभावना प्राप्त करने के लिए अपने निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली में राज्य के गैजेटेड अधिकारियों जैसे डीएम, एसपी और इंजीनियरों की मदद ली, दूँसरा, उन्होंने अपनी चुनावी संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए एक गैजेटेड अधिकारी यशपाल कपूर की मदद ली, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज रहे जस्टिस जगमोहन सिन्हा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण मामले में 12 जून, 1975 को अपने फैसले में इंदिरा के चुनाव को अयोग्य करार दिया था।
साथियों बात अगर हम इज़राइल के पीएम नेतन्याहू को इंटरनेशनल कोर्ट के फैसले का सामना करने की करें तो, आईसीसी के न्यायाधीशों ने इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के साथ-साथ हमास के सैन्य कमांडर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं. एक बयान में कहा गया है कि एक प्री-ट्रायल चैंबर ने अदालत के अधिकार क्षेत्र में इजरायल की चुनौतियों को खारिज कर दिया था और बेंजामिन नेतन्याहू और योआव गैलेंट के लिए वारंट जारी किए थे.
साथियों बात अगर हमबांग्लादेश की पूर्व पीएम को 6 माह की कंटेंप्ट आफ कोर्ट की सजा की करें तो बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की प्रमुख शेख हसीना को अदालत की अवमानना के मामले में छह महीने की कारावास की सजा सुनाई है। यह सजा सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक ऑडियो क्लिप के आधार पर दी गई, जिसमें कथित तौर पर शेख हसीना को न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करते और ट्राइब्यूनल को धमकी देते सुना गया था। तीन सदस्यीय ट्राइब्यूनल की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति गोलाम मुर्तुजा माजुमदार ने यह फैसला सुनाया।
सथियों बात अगर हम भारत में पीएम को हटाए जाने के प्रावधानों की करें तो,किसी देश के प्रधानमंत्री को पद पर रहते हुए उसे निलंबित करना अपने आप में बहुत बड़ी बात होती है, ऐसे में यहां हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या भारत में भी इस तरह से पीएम को लेकर कोई कार्रवाई संभव है?मभारत में प्रधानमंत्री का कार्यकाल पांच साल के लिए रहता है। पीएम के कार्यकाल के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है, इसीलिए एक पदस्थ पीएम अनिश्चित काल तक प्रधानमन्त्री पद पर बना रह सकता है, बशर्ते कि राष्ट्रपति को उस पर विश्वास हो,इसका अर्थ यह है कि एक व्यक्ति केवल तबतक पीएम पद पर बना रह सकता है, जब तक लोकसभा में बहुमत का विश्वास उसके विपक्ष में न हो,लेकिन अन्य परिस्थितियों में पीएम का कार्यकाल पांच साल से पहले भी खत्म हो सकता है,भारत में भी निलंबित किए जा सकते हैं पीएमभारत किसी भी कारणवश लोकसभा, प्रधानमंत्री के विरोध में अविश्वास प्रस्ताव पारित करे और किसी कारणवश,प्रधानमंत्री की संसद की सदस्यता शून्य हो जाती है तो उस वक्त पीएमअपने पद का त्याग कर सकता है और राष्ट्रपति को लिखित में त्यागपत्र सौंप सकता है। लेकिन भारत में प्रधानमंत्री को निलंबित करने जैसा कोई नियम नहीं है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि विश्व में न्यायपालिकाओं का पावर-पीएम से लेकर एक आम नागरिक तक को कानून का उल्लंघन करने पर न्यायिक शक्तियों का डर एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है? थाईलैंड की पीएम व डोनाल्ड ट्रंप, नेतन्याहू,इंदिरा गांधी सहित अनेकों अंतरराष्ट्रीय हस्तियों को न्यायपालिका के फैसलों का सामना करना पड़ा है न्यायपालिकाओं की न्यायिक प्रक्रिया में खास से आम तक सभी व्यक्तियों को एक समान संहिता से लागू होकर सजा या बरी होना खूबसूरती है।
-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9359653465
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