Article: हमारी तो बड़े बड़ों से जान पहचान है
नया सवेरा नेटवर्क
एक कवि हैं मिस्टर गिरिराज *फालतू*फेसबुक आदि सोशल मीडिया पर समझ लीजिए कि एक छत्र राज है।जब देखो तो बड़े बड़े सेलिब्रिटी के साथ उनकी फोटो और रचना देखने व पढ़ने को मिलती है।भले ही रचना में दम न हो मगर फोटो दमदार रहती है। कहीं शूट में तो कहीं जाकिट में खूब सजे धजे मिलते हैं।वो उस पर ये लिखना नहीं भूलते कि ये देखो अमिताभ बच्चन के साथ ,ये देखो अक्षय कुमार के साथ,ये देखो सागर सरहदी के साथ,ये देखो प्रधानमंत्री मोदीजी के साथ,ये देखो शैलेश लोढ़ा के साथ,देखो मशहूर शायर सागर त्रपाठी के साथ मंच साझा करते हुए।ये देखो ट्रम्प के साथ आदि आदि।यही फोटो लोगों को दिखाकर हर सोशल मीडिया पर रौब झाड़ते रहते हैं।जिस भी महफ़िल में जाते हैं तो सभा के अनुरूप बातें न करके अपनी विदेश यात्रा पर विशेष फोकस रखते हैं।
एकबार की बात है,लोग इनका सोशल मिडिया पर प्रचार प्रसार देखकर पर्यावरण पर बोलने के लिए मुख्य वक्ता व कवि के रूप में आमंत्रित कर लिए। क्योंकि सोशल मीडिया पर इन्होंने खुद को खूब चमकाया था।ये महोदय गये।आयोजक ने खूब प्रचार प्रसार कर भीड़ भी जुटाई।और इनसे निवेदन भी किया कि इस आयोजन में नहीं बहुत बड़ा नाम तो कम से कम किसी एक सेलिब्रिटी को जरूर आमंत्रित करिए।अब ये महाशय की हालत रंगा सियार वाली हो गई।हामी तो भर लिए।पर आयोजन के दिन इनका कोई एक भी सेलिब्रिटी आया नहीं।आयोजक समिति ने जब इनसे पूंछा तो इनकी हालत खराब।काटो तो खून नहीं।आयोजक समिति के मुखिया ने किसी तरह भीड़ को समझा बुझाकर शांत किया और इन महाशय का गुणगान करते हुए माईक इनको थमा दिया यह कहते हुए कि महोदय अब मंच आपके हवाले। तालियों की गड़गड़ाहट के बाद गिरिराज "फालतू"जी मंच पर आकर माईक के सामने खड़े हुए,और बोलना शुरू किये।जनता का और आयोजक समिति का अभिवादन आदि करके पर्यावरण पर व्याख्यान देना शुरू किए।बोले पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए स्वीटिजरलैंड को देखिए।
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मैं स्वीटिजरलैंड गया। वहाॅं पेड़ पौधे देखे। अमेरिका गया वहाॅं पेड़ देखे,मनाली गया वहाॅं पेड़ देखे, अफ्रीका में जंगल देखे।सभी विदेशी दौरों का बखान शुरू किये।उनके विदेशी दौरों का गुणगान सुनते सुनते एक व्यक्ति से नहीं रहा गया।उसने कहा फालतू जी आप अपने नामानुसार सब फालतू ही बकवास कर रहे हो।यहॉं हमलोग आपको बेवकूफ लग रहे हैं या आपकी तरह ही फालतू हैं।जो आपके विदेशी दौरों का हिसाब जानने आये हैं।आप फेसबुक पर अमिताभ बच्चन के साथ कैप्शन में फोटो डालकर तुर्रमखान बने रहते हो।यही आपकी असलियत है। फेसबुक पर तो खूब शेखी बघारते हो।यही आपकी विद्वता है।आपसे तो बढ़िया घुरहू को कहे होते तो पर्यावरण पर सुन्दर व्याख्यान दे देते।अब फालतू जी अपने को सम्हालने के लिए जैसे ही मुंह खोले भीड़ ने वापस जाओ के नारे लगाना शुरू कर दी।किसी तरह आयोजन समिति ने लोगों को सम्हाला और इनसे पूंछा कि ये क्या है। उन्होंने जवाब दिया,ये सब मैं खुद को चमकाने के लिए अपना स्टेटस बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर करते रहता हूॅं।असल में मेरी किसी से न कोई जान पहचान है न कोई मुझे जानता है। मैं इसीलिए फालतू हूॅं। गिरिराज "फालतू"
पं.जमदग्निपुरी
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