Article: सरकार का निशाना, समोसा जलेबी कचोरी नहीं बल्कि खाद्य पदार्थों में छिपे, अतिरिक्त चीनी व तेल केहानिकारक सेवन के विकल्प से जागरूक कराना है

Article: The government's target is not to create awareness about samosa, jalebi, kachori but to make people aware of the harmful alternatives to excess sugar and oil hidden in food items

सभी मंत्रालयों,विभागों, स्वायतः संस्थानों को निर्देश जारी-समोसा कचोरी फ्रेंच फ्राइज इत्यादि में कितना तेल व शुगर है,बोर्ड लगाकर दर्शाएं 

भारत में जीवनशैली से जुड़ी तेजी से बढ़ती बीमारियों व मोटापे से निपटने के लिए केंद्र सरकार की नई पहल- दिशानिर्देश जारी -एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 

नया सवेरा नेटवर्क

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर दुनियाँ के हर देश के विद्वान से लेकर साधारण आम व्यक्ति को यह मानना पड़ेगा कि अर्ध सत्य, झूठ से भी अधिक खतरनाक व हानिकारक होता है इसीलिए किसी भी आदेश/निर्देश/जानकारी या बातचीत क़ा पूरा सत्य, इसका उद्देश्य,पारदर्शिता जानना हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं,क्योंकि पिछले तीन दिनों से मैं एडवोकेटकिशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र, सोशल इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया में लगातार आर्टिकल्स, डिबेट विश्लेषण देख सुन व पढ़ रहा हूं कि समोसा जलेबी कचोरी फ्रेंच फ्राइज बहुत नुकसान कारक हैं,उससे बीमारियां होती है केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इन खाद्य उत्पादों पर चेतावनी निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है इसलिए मैं पिछले दो दिनों से लगातार इसपर रिसर्च कर अपना यह आर्टिकल तैयार किया हूं। असल में यह बात शुरू हुई है पीएम की अपील से हुई, उन्होंने 28 जनवरी 2025 को देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन समारोह में फिट इंडिया मूवमेंट की बात करते हुए नागरिकों से अपील की थी कि वे तेल की खपत में 10 पेर्सेंट की कमी करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। उन्होंने अपने कार्यक्रम 'मन की बात' में भी यह संदेश दिया था कि भारत को 'स्वस्थ भारत' बनाना है और यह बदलाव आम लोगों की आदतों से ही आएगा। फिर ग्लोबल बर्डन आफ डिजीज (जीबीडी) रिपोर्ट 2025 में भी बताया गया कि भारत में 2021 में 18 करोड़ वयस्क मोटापे के शिकार थे जो यह आंकड़ा 2050 में बढ़कर 44.9 करोड़ तक पहुंच सकता है? हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जून 2025 में सभी स्कूलों/दफ्तरों/ संस्थानों में खाने-पीने की लोकप्रिय चीजों जैसे पिज़्ज़ा बर्गर समोसा वडा पाव कचोरी इत्यादि में मौजूद तेल में चीनी की मात्रा दिखाने वाले बोर्ड लगाने का प्रस्ताव/निर्देश दिया था। फिर 14 मई 2025 को शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाने का निर्देश दिया था अब यह उसको विस्तारित कर तेल बोर्ड लगाने का निर्देश 2 दिन पूर्व ही दिया है। यानी कुल मिलाकर यह पूरी कवायत खाद्य पदार्थों में,चीनी तेल की मात्रा को रेखांकित कर उसका विकल्प चुनकर खाने व अपनीं जीवनशैली से जुड़ी तेजी से बढ़ती हुई बीमारियों व मोटापे को नियंत्रण में रखना व निपटने का एक सुझाव मात्र है, नाकि कोई जोर जबरदस्ती है, यदि इस सुझाव को पढ़ने वाला उसे नहीं मानता तो, उसकी मर्जी है। बस! यही इस मुद्दे का सार है। परंतु इसे मीडिया के माध्यम से विवादित बनाया जा रहा है,ऐसा मेरा मानना है। चूँकि भारत में जीवनशैली से जुड़ी तेजी से बढ़ती बीमारियों व मोटापे से निपटने के लिए केंद्र सरकार की नई पहल आई है,इसके निर्देश जारी कर दिए गए हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी क़े सहयोग से,इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, सरकार का निशाना, समोसा जलेबी कचोरी नहीं बल्कि खाद्य पदार्थों में छिपे,अतिरिक्त चीनी व तेल केहानिकारक सेवन के विकल्प से जागरूक कराना है। 

साथियों बात अगर हम तेल चीनी बोर्ड लगाने के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश/निर्देश को समझनें की करें तो स्वास्थ्य मंत्रालय के मुख्य सचिव ने सभी विभागों को "तेल और चीनी बोर्ड" लगाने के आदेश जारी किए हैं। यह आदेश, स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने और मोटापे तथा गैर-संचारी रोगों से निपटने के लिए, देश भर के केंद्रीय संस्थानों में लागू किया जाएगा। इन "तेल और चीनी बोर्डों नाश्ते में मौजूद वसा और चीनी की मात्रा को दर्शाया जाएगा, जिससे लोगों को जंक फ़ूड के बारे में जानकारी मिल सके।उद्देश्य:-इस पहल का मुख्य उद्देश्य, लोगों को उनके दैनिक भोजन में मौजूद वसा और चीनी की मात्रा के बारे में जागरूक करना है, ताकि वे स्वस्थ जीवनशैली अपना सकें।कार्यान्वयन:-ये बोर्ड, स्कूलों, कार्यालयों, सार्वजनिक संस्थानों और कैंटीन में लगाए जाएंगे, ताकि लोगों को इन खाद्य पदार्थों के हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी मिल सके।डिजिटल डिस्प्ले:-कुछ संस्थानों में, इन बोर्डों को डिजिटल रूप से प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक यह जानकारी पहुंच सके।अन्य उपाय:-इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों और विभागों को आधिकारिक स्टेशनरी और प्रकाशनों पर स्वास्थ्य संदेश छापने का भी निर्देश दिया है, ताकि मोटापे से लड़ने के लिए दैनिक अनुस्मारक दिया जा सके।स्वस्थ भोजन को बढ़ावा:- मंत्रालय ने कार्यालयों में स्वस्थ भोजन विकल्पों को बढ़ावा देने और शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने के लिए भी कदम उठाए हैं, जैसे कि सीढ़ियों का उपयोग करने और पैदल चलने के मार्गों की सुविधा प्रदान करना फिट इंडिया मूवमेंट:-यह पहल,फिट इंडिया मूवमेंट का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य नागरिकों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

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साथियों बात अगर हम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारासभी मंत्रालयों को लिखे पत्र की करें तो, केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों को हाल ही में लिखे एक पत्र में कहा की, हम विभिन्न स्थानों पर स्वस्थ आहार संबंधी आदतों को बढ़ावा देने के लिए चीनी और तेल बोर्ड पहल का प्रदर्शन करने का प्रस्ताव दिए जा रहे हैं। ये बोर्ड स्कूलों, कार्यालयों, सार्वजनिक संस्थानों आदि में रोज़मर्रा के खाद्य पदार्थों में छिपे वसा और चीनी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदर्शित करते हुए दृश्य व्यवहारिक संकेत के रूप में काम करेंगे। यह अभियान सबसे पहले नागपुर में शुरू किया जा रहा है, जहाँ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) इस पहल के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में काम करेगा।स्वस्थ विकल्पों को प्रोत्साहित करते हुए,सरकारी विभागों से मोटापे से लड़ने के दैनिक अनुस्मारक को सुदृढ़ करने के लिए सभी आधिकारिक स्टेशनरी और प्रकाशनों पर स्वास्थ्य संदेश छापने का अनुरोध किया। अपने पत्र में, स्वास्थ्य सचिव ने द लैंसेट में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन का हवाला दिया, जिसमें अनुमान लगाया गया था कि 2050 तक लगभग 45 करोड़ भारतीय अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हो सकते हैं। इसका मतलब है कि सदी के मध्य तक, चीन के बाद, भारत में दुनिया में दूसरे सबसे अधिक अधिक वजन और मोटे लोग होने की संभावना है। नागपुर में अब लोकप्रिय फ़ूड स्टॉल्स के पास कैलोरी काउंट पोस्टर लगा होगा, जिसमें चीनी, वसा और ट्रांस-फ़ैट की मात्रा के बारे में स्पष्ट जानकारी होगी। इसमें बार-बार सेवन से होने वाले दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिमों की रूपरेखा होगी। ये चेतावनियाँ प्रत्यक्ष और जागरूकता पैदा करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। इसका उद्देश्य संयम को बढ़ावा देना है, प्रतिबंध को नहीं। इस अभियान का इस साल के अंत में अन्य शहरों में विस्तार होने की उम्मीद है और हमें उम्मीद है कि यह कदम लोगों को अधिक सोच-समझकर भोजन चुनने के लिए प्रोत्साहित करेगा।समोसे, पकौड़े, चाय-बिस्कुट या जलेबी में कितना तेल, चीनी और ट्रांस फैट मौजूद है? इसकी जानकारी अब आपको मिलेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी सरकारी विभागों से अपने कैफेटेरिया, लॉबी और मीटिंग रूम में ऐसी जानकारी प्रदर्शित करने के निर्देश दिए है। यह जानकारी लोकप्रिय भारतीय स्नैक्स के स्वास्थ्य जोखिमों को उजागर करने के लिए है, खासकर ऐसे समय में जब देश भर में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ तेजी से बढ़ती जा रही हैं।

साथियों बात अगर हम वर्तमान खास परिवेश के संबंध में डब्लूएचओ के विचारों की करें तो, एक नए अध्ययन से पता चलता है कि भारत में मधुमेह का प्रमुख कारण अति-प्रसंस्कृत और फास्ट फूड का सेवन है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि वर्तमान खाद्य परिवेश, जिसमें बहुत से लोग रहते हैं, काम करते हैं और अपना दैनिक जीवन व्यतीत करते हैं, में अत्यधिक प्रसंस्कृत और आसानी से उपलब्ध खाद्य पदार्थ शामिल हैं जिनमें अस्वास्थ्यकर वसा, शर्करा और सोडियम की मात्रा अधिक होती है। इनमें से कई खाद्य पदार्थों का विपणन भी बहुत अधिक होता है और वे अपेक्षाकृत सस्ते भी होते हैं।परिणामस्वरूप, उपभोक्ताओं को अक्सर स्वस्थ भोजन से संबंधित निर्णय लेने में चुनौती का सामना करना पड़ता है। अस्वास्थ्यकर आहार अब वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम में अग्रणी, मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर सहित गैर-संचारी रोगों में योगदान दे रहा है। 

साथियों बात अगर हम सीबीएसई द्वारा अपने सभी स्कूलों में तेल बोर्ड लगाने के आदेश की करें तो, देश में बढ़ते मोटापे को देखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने एक बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को सीबीएसई के निदेशक ने सभी स्कूल प्रमुखों को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि वे अपने स्कूलों में ‘ऑयल बोर्ड’ लगाएं और छात्रों के बीच स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा दें। यह कदम 14 मई 2025 को जारी ‘शुगर बोर्ड’ से संबंधित सर्कुलर का ही विस्तार है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पर्यावरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि -सरकार का निशाना, समोसा जलेबी कचोरी नहीं बल्कि खाद्य पदार्थों में छिपे,अतिरिक्त चीनी व तेल केहानिकारक सेवन के विकल्प से जागरूक कराना है,सभी मंत्रालयों, विभागों, स्वायतः संस्थानों को निर्देश जारी-समोसा कचोरी फ्रेंच फ्राइज इत्यादि में कितना तेल व शुगर है, बोर्ड लगाकर दर्शाएं,भारत में जीवनशैली से जुड़ी तेजी से बढ़ती बीमारियों व मोटापे से निपटने के लिए केंद्र सरकार की नई पहल- दिशानिर्देश जारी।

-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9359653465

*🚀🚀 प्रवेश प्रारम्भ /सत्र: 2025-26 🚀🚀  श्रीचन्द जी महाविद्यालय पिलखिनी, गौराबादशाहपुर, जौनपुर  ▪️  (सम्बद्ध-वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर)  ☎️ सम्पर्क सूत्र- 8299102292, 6387205662, 8707736153, 9161672000, 8957741376   📚 संचालित कोर्स- बी.एड. सीट-100 | बी.ए. |  एम.ए. | बी.बी.ए.  | बी.सी.ए.   सुविधाएं- * छात्र/छात्राओं के लिए छात्रावास  * छात्राओं के लिए कामन रूम  * छात्र/छात्राओं के लिए खेल का मैदान  * कम्प्यूटर कक्ष की व्यवस्था   संस्थापक/प्रबन्धक: . रवीन्द्र प्रताप सिंह | 📲 9415207158*
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