है शोरोग़ुल चारों तरफ़

There is noise all around

"स्याही का सिपाही"कवि संतोष कुमार झा, सीएमडी कोंकण रेलवे , मुंबई 

नया सवेरा नेटवर्क

है शोरोग़ुल चारों तरफ़

और हंगामा ओ दहशत

सन्नाटा है ख़ौफ़ का 

कोई कुछ नहीं बोलता

यूँ बोलते से 

मालूम होते हैं सब 

मगर सुनाई नहीं पड़ती

कोई आवाज़ अब 



ज़िंदगी अपनी चाल से 

सरकती, चलती, दौड़ती 

चली जा रही है दिशाहीन

एक ही ओर

शिकार अन्याय,अनीति के

भेड़चाल में हाँके जा रहे 

मदांध शासक कोड़े बरसा रहे 

ख़ामोश पीठों पर मजबूर 

नियति को स्वीकार रहे



फैली हुई है चारों तरफ़ 

स्याही सन्नाटे की

स्याही ख़ौफ़ की

स्याही नाइंसाफ़ी की

 स्याही मजबूरी की

स्याही मायूसी की 

स्याही नाउम्मीदी की 

स्याही ख़ामोशी की

स्याही भीतरी शोरोग़ुल की

जिसमें कुछ सुनाई पड़ता नहीं 

जिसमें कुछ दिखाई पड़ता नहीं



एक सिपाही ऐसे में अचानक 

ओढ़कर स्याह चादर 

हो गया है खड़ा सामने 

भीड़ को चीर कर 

एकल योद्धा 

समेटने लगा है स्याही  

उभरने लगी है एक तस्वीर स्याही में



बनाकर आवाज़ स्याही को 

 तोड़कर सन्नाटा 

वह बोलने लगा है 

बनाकर स्याही को लेखनी 

वह लिखने लगा है 

बदल रहा है वो

स्याही को रौशनाई में 

लिख रहा है वो 

स्याही पर 

सुर्ख़ रौशनाई से 



शोरोग़ुल अचानक 

ख़त्म होने लगा है 

आवाज़ सिपाही की

सुनाई पड़ने लगी है 

शब्दों की ताक़त 

असर दिखाने लगी है 



फैला रहा है वो 

स्याह पन्नों पर उजाला

जगा रहा है लोगों को

पाट रहा है 

यथार्थ और सपने के 

बीच की खाई को 

कह रहा है 

ग़लत को ग़लत

सही को सही 

वो है 

स्याही का सिपाही।

Admission Open 2025-26: ANJU GILL ACADEMY | Katghara, Sadar, Jaunpur  | Naya Sabera Network
विज्ञापन



नया सबेरा का चैनल JOIN करें