अमेरिका में मंदी के आसार-वर्ल्ड टैरिफ वार में अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 0.3 फ़ीसदी की गिरावट से जोरदार झटका-भारत को अवसर की उम्मीद | Naya Sabera Network

अमेरिका में मंदी के आसार-वर्ल्ड टैरिफ वार में अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 0.3 फ़ीसदी की गिरावट से जोरदार झटका-भारत को अवसर की उम्मीद  | Naya Sabera Network


विश्लेषकों की राय में अमेरिकी विकास में महत्वपूर्ण मंदी है,परंतु अमेरिका में मंदी की आशंका नहीं है 

अमेरिकी व्यापार नीति में आए बड़े बदलाव से उत्पन्न अनिश्चितता ने बाजारों को हिला दिया है,जिससे वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ी-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 

नया सवेरा नेटवर्क

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर हम पिछले कुछ महीनो से देख रहे हैं की टैरिफ वार से पूरी दुनियाँ में खलबली मची हुई है अमेरिका द्वारा अनेक देशों पर रेसिप्रोकल टैक्स लगाने से अर्थव्यवस्थाओं पर फर्क पड़ गया है, इसबीच अमेरिका व चीन के बीच टेरिफ़ वार के चलते बाकी देशों पर रेसिप्रोकल टैक्स को 90 दिनों के लिए रोक दिया गया है परंतु चीन अमेरिका टेरिफ़ पर डटे हुए हैं। अमेरिका के 145 परसेंट के जवाब में चीन ने 125 पेर्सेंट टैक्स लगाई है, आज हम यह मुद्दा फिर से इसलिए याद दिला रहे हैं क्योंकि इस टैरिफ वार के चलते अमेरिका में आर्थिक मंदी के बादल मंडरा रहे हैं, क्योंकि 1 मई 2025 को आई रिपोर्ट की करें तो, 3 वर्षों मैं पहली बार अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 0.3 फ़ीसदी की गिरावट से जूझ रहा है जो संकेत है कि, हो सकता है मंदी की शुरुआत हो परंतु एक रेटिंग एजेंसी ने दावा किया है कि यह अर्थव्यवस्था के लिए गिरावट है परंतु अमेरिका में मंदी के आसार नहीं है। वैसे बता दें कि दिनांक 1 मई 2025 को अमेरिका यूक्रेन का खनिज संपदा पर समझौता हो गया है जो यूक्रेन के रिस्ट्रक्चर के लिए फंड बनाने सहित अनेको शर्तों बातों को शामिल किया गया है, इसलिए अमेरिका को भी लाभ मिल सकता है। परंतु कुल मिलाकर अमेरिकी टैरिफ ने अनेक देशों को हिलाकर रख दिया है, परंतु खुद भी अछूता नहीं रहा है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, अमेरिका में मंदी के आसार, वर्ल्ड ट्रेड वॉर में अमेरिका की अर्थव्यवस्था को 0.3 फ़ीसदी की गिरावट से जोरदार झटका, भारत को अवसर की उम्मीद! 

साथियों बात अगर हम अमेरिकी अर्थव्यवस्था में 0.3 फ़ीसदी की गिरावट की करें तो  बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, मार्च तिमाही में यूएस इकॉनमी 0.3 फीसदी सिकुड़ी है,जिसके बाद आमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ गई है।अमेरिकी राष्ट्रपति की टैरिफ पॉलिसी ने दुनियाभर में हलचल मचाई और इस बीच खुद अमेरिका पर भी इसका असर दिखा. एक ओर जहां टेरीफ वार के बीच अमेरिकी शेयर बाजार ने तगड़ा गोता लगाया, तो अब यूएस इकॉनमी पर भी इसका असर दिखा है।जी हां, तीन साल में पहली बार अमेरिकी अर्थव्यवस्था में गिरावट दर्ज की गई है और मार्च तिमाही में ये 0.3 फीसदी गिरी है।इससे पहले साल 2024 की चौथी तिमाही में यूएस इकॉनमी 2.4 परसेंट की दर से आगे बढ़ी थी. ट्रंप 2.0 की शुरुआत के साथ ही रेसिप्रोकल टैरिफ के चलते छिड़ी ट्रेड वॉर के बीच अमेरिका को ये बड़ा झटका लगा है।बता दें कि इस टैरिफ की जंग में सबसे ज्यादा दो बड़ी आर्थित ताकतों यूएस-चाइना के बीच ट्रेड वार चरम पर नजर आया है और इससे ग्लोबल अनिश्चितता बढ़ी है।एक रिपोर्ट की मानें तो अमेरिका की जीडीपी में गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण आयात में की जाने वाली भारी बढ़ोतरी है, इसमें एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि टैरिफ वॉर के बीच अमेरिकी कंपनियों ने भारी मात्रा में आयात किया है और इससे जीडीपी का आंकड़ा फिसला है। एक रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत दिए गए हैं, उपभोक्ता खर्च घटा, मंदी की आशंका बढ़ीअमेरिका के बढ़ते आयात की वजह से आर्थिक विकास में भी 5 फ़ीसदी अंक की गिरावट आई है। दूसरी तरफ उपभोक्ता खर्च भी तेजी से घटा है। विशेषज्ञ के मुताबिक अमेरिकी की अर्थव्यवस्था की हालत बिगड़ने के पीछे ट्रम्प की नीतियां बड़ी वजह हैं?उपभोक्ता खर्च अमेरिका की जीडीपी का 70 पेर्सेंट हिस्सा है, अगर लोग डर के मारे खरीदारी बंद कर दें, तो स्थिति गंभीर हो सकती है।अर्थशास्त्री के मुताबिक, अगले 12 महीनों में अमेरिका में मंदी की संभावना 55 परसेंट है।

साथियों बात अगर हम अमेरिका में मंदी की संभावना की करें तो, मंदी आर्थिक गतिविधि में गिरावट की अवधि है, जिसे आम तौर पर आर्थिक संकुचन की कम से कम दो लगातार तिमाहियों द्वारा परिभाषित किया जाता है। हालांकि इसका अनुभव करना मुश्किल है, लेकिन मंदी आर्थिक चक्र का एक सामान्य हिस्सा है।उपरोक्तपरिभाषा के अनुसार, अमेरिका वर्तमान में मंदी में नहीं है। हालाँकि 2025 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था सिकुड़ गई, लेकिन आर्थिक विश्लेषण ब्यूरो ने अनुमान लगाया कि 2024 की अंतिम तिमाही में अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2.4 पेर्सेंट बढ़ेगी। समय ही बताएगा कि 2025 की दूसरी तिमाही में क्या होगा। यदि हम नकारात्मक आर्थिक वृद्धि की एक और अवधिका अनुभव करतेहैं,तो संभवतगर्मियों तक अमेरिका आधिकारिक तौर पर मंदी की स्थिति में होगा। क्या मंदी आ रही है?कई अर्थशास्त्री, वित्तीय विशेषज्ञ और निवेश बैंक निकट भविष्य में अमेरिका में मंदी की बढ़ती संभावना का अनुमान लगा रहे हैं। गोल्डमैन सैक्स के मंदी की 45 पेर्सेंट संभावना के अनुमान के अलावा,अन्य प्रमुख खिलाड़ी भी इसी तरह कीसंभावनाएँ जारी कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, दुनिया के सबसे बड़े निवेश बैंक, जेपी मॉर्गन ने हाल ही में मंदी की अपनी अनुमानित संभावना को 40 पेर्सेंट से बढ़ाकर 60 पेर्सेंट कर दिया है, और सीएनबीसी फेड सर्वे के अनुसार , मंदी का जोखिम जनवरी में 23 पेर्सेंट से बढ़कर मार्च में 36 परसेंट हो गया।किसी भी अनिश्चितता की तरह, आसन्न मंदी की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि आप किससे पूछ रहे हैं। लेकिन भले ही मंदी का पूरी सटीकता से पूर्वानुमान लगाना असंभव हो, लेकिन निम्नलिखित मीट्रिक कुछ संकेत दे सकते हैं::उपभोक्ता भावना: उपभोक्ता भावना के माप अक्सर अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य से संबंधित होते हैं, और उपभोक्ता भावना में गिरावट अक्सर मंदी से पहले होती है। वर्तमान में, उपभोक्ता भावना कम है: एक व्यावसायिक सदस्यता समूह, द कॉन्फ्रेंस बोर्ड के एक माप से पता चलता है कि मार्च में उपभोक्ता भावना 12 साल के निचले स्तर पर आ गई।नीति अनिश्चितता: सामान्य अनिश्चितता अर्थव्यवस्था को कई तरह से प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए, यह भर्ती, निवेश और खर्च में कमी ला सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था धीमी हो सकती है। प्रशासन में बदलाव से बहुत अनिश्चितता आ सकती है, और हाल ही में उद्घाटन कोई अपवाद नहीं था - खासकर टैरिफ और व्यापार के संबंध में।मुद्रास्फीति: मंदी मुद्रास्फीति के दौर के बाद भी आ सकती है, जिसका सामना अमेरिका पिछले कुछ सालों से कर रहा है। मुद्रास्फीति के कारण बैंक ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं, जिससे उधार लेने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है और सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था में भी गिरावट आ सकती है। इसके परिणामस्वरूप छंटनी, खर्च में कमी, बेरोजगारी में वृद्धि और संभावित रूप से मंदी हो सकती है। 

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साथियों बात अगर हम संभावित मंदी से निपटने की तैयारी की करें तो,चाहे हम मंदी की ओर बढ़ रहे हों या नहीं, तैयारी करने में कोई बुराई नहीं है। मुश्किल समय में सामान्य वित्तीय स्वास्थ्य बहुत काम आता है, इसलिए अपने वित्त को व्यवस्थित करने के लिए निम्नलिखित सुझावों का उपयोग करें:अपना आपातकालीन कोष बनाएँ: आपातकालीन स्थितियों के लिए नकदी बचाना हमेशा समझदारी भरा काम होता है, लेकिन जब मंदी आती है तो आपातकालीन कोष रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नकदी उपलब्ध होने से आप कर्ज में डूबने और खुद को बचाए रखने के बीच अंतर कर सकते हैं। यदि आपके पास उच्च-उपज बचत खाते में कम से कम छह महीने के लिए ज़रूरी खर्चों के लिए पैसे नहीं हैं , तो इसे प्राथमिकता दें। अपने खर्च का ऑडिट करें: आर्थिक अनिश्चितता आपके खर्च का ऑडिट करने का एक अच्छा संकेत है, जो मंदी आने पर आपको अपने खर्च पर लगाम लगाने में मदद कर सकता है। अपने बैंक और क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट की समीक्षा करें ताकि अनावश्यक खर्च, भूले हुए सब्सक्रिप्शन और बिलों की पहचान की जा सके, जिन पर आप बातचीत कर सकते हैं।उच्च ब्याज वाले ऋण का भुगतान करें: मासिक ऋण भुगतान करने से आपके बजट में एक और बिल जुड़ जाता है,जो कठिन वित्तीय समय के दौरान अवांछित तनाव बढ़ा सकता है। यदि संभव हो, तो किसी भी अतिरिक्त पैसे को उच्च ब्याज वाले ऋण ,जैसे क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत ऋण का भुगतान करने में लगाएं। जितनी जल्दी आप ऋण का भुगतान करेंगे, उतनी ही जल्दी आपके पास बचत या अन्य लक्ष्यों के लिए अधिक नकदी होगी।बड़े खर्चों के लिए योजना बनाएं: मंदी के समय बड़े खर्चे अचानक आपके ऊपर हावी हो सकते हैं, जैसे कि सालाना बीमा प्रीमियम या टायरों का नया सेटइत्यादि अनेक़।खुद पर एहसान करें और पहले से योजना बनाएं। अपने बजट में कोई भी बड़ा, अनियमित खर्च जोड़ें और हर महीने उसके लिए बचत करें। हर महीने $100 बचाना, किसी बड़े बिल के आने पर $1,200 जुटाने की कोशिश करने से कहीं ज़्यादा आसान है।घबराएँ नहीं:अगर आर्थिक अनिश्चितता और संभावित मंदी की बात आपको परेशान करती है, तो आप अकेले नहीं हैं। वित्तीय कठिनाई के खतरे के प्रति चिंता और डर स्वाभाविक प्रतिक्रियाएँ हैं। लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी भावनाओं को कठोर वित्तीय निर्णयों की ओर न ले जाएँ, जैसे कि अपने सभी निवेशों को बेचना। आम तौर पर, अपने वित्त के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि आप शांत रहें और अपने रास्ते पर बने रहें। 

साथियों बात अगर हम अमेरिका में मंदी की आशंका  के बीच एक रेटिंग एजेंसी एस एंड पी की रिपोर्ट की करें तो, एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने 2025 के लिए अमेरिकी जीडीपी पूर्वानुमान को 50 आधार अंकों से घटाकर 1.5 प्रतिशत कर दिया है, जबकि मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को बढ़ा दिया है। 2026 के लिए, अमेरिकी विकास अनुमान को 20 आधार अंकों से घटाकर 1.7 प्रतिशत कर दिया गया है।हालांकि सभी क्षेत्रों में गिरावट का जोखिम बढ़ा है, लेकिन एसएंडपी को विकास में कोई बड़ी मंदी की आशंका नहीं है। उसने कहा,हमें विकास में बड़ी मंदी दिख रही है, लेकिन इस समय अमेरिका में मंदी की आशंका नहीं है। 

साथियों बात अगर हम अमेरिका में मंदी से भारत में अवसरों की करें तो ऐतिहासिक रूप से अक्सर ऐसा होता है कि जब अमेरिका की अर्थव्यवस्था धीमी होती है तब भी भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ती है। बर्नस्टीन के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ अमेरिका में तेज संकुचन से पहले ही नीचे की ओर जाती है,बर्नस्टीन के अनुसार, अमेरिका के बाजारों पर भारत की सीमित निर्भरता उसके पक्ष में काम कर सकती हैफार्मास्यूटिकल्स,आईटी सेवाएं, आभूषण और पेट्रोलियम उत्पादों जैसे प्रमुख निर्यात अमेरिका में मंदी से अपेक्षाकृत अछूते रहते हैं। ऑटो कम्‍पोनेंट और परिधानों पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन, भारत के कुल निर्यात में उनकी हिस्सेदारी इतनी कम है कि व्यापक अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अमेरिका में मंदी के आसार-वर्ल्ड टैरिफ वार में अमेरिका की अर्थव्यवस्था में 0.3 फ़ीसदी की गिरावट से जोरदार झटका-भारत को अवसर की उम्मीद।विश्लेषकों की राय में अमेरिकी विकास में महत्वपूर्ण मंदी है,परंतु अमेरिका में मंदी की आशंका नहीं है।अमेरिकी व्यापार नीति में आए बड़े बदलाव से उत्पन्न अनिश्चितता ने बाजारों को हिला दिया है,जिससे वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ी।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425

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