आतंकवाद वैश्विक समस्या- आतंकवाद के खिलाफ़ जीरो टॉलरेंस बेहतर दुनिययाँ की गारंटी | Naya Sabera Network
वैश्विक स्तरपर आतंक को वित्त पोषित करने वाले देशों पर सख़्त पाबंदियाँ लगाना समय की मांग
वैश्विक मंचोंपर अब दुनियाँ की आतंक सरपरस्त सरकारों और उनके आकाओं को आतंकवाद के खिलाफ़ जीरो टॉलरेंस की संधियों समझौता में सख़्ती व कठोरता से बांधना ज़रूरी- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
नया सवेरा नेटवर्क
गोंदिया- वैश्विक स्तरपर आतंकवाद पूरी दुनियाँ के हर देश के लिए गंभीर समस्या बन चुका है,तो उसका पर्याय भ्रष्टाचार भी एक गंभीर समस्या है,क्योंकि यह दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं,आतंकवाद को वित्त पोषण भी एक भ्रष्टाचार का ही रूप है, जिसक़े सहयोग से आतंकवाद उत्पन्न होता है और फलता फूलता है,यानें अस्तित्व में आता है। वैसे तो दशकों से आतंकवाद व भ्रष्टाचार का चोली दामन का साथ है, क्योंकि वित्त पोषण यानें भ्रष्टाचार नहीं होगा तो, आतंकवाद पनपता ही नहीं। वैसे तो आतंकवादियों द्वारा बड़ी-बड़ी घटनाएं धमाकों को अंजाम दिया गया है, जिसमें हजारों लाखों लोगों की जान चली गई है, जिसके अनेक उदाहरण है जिसका अभी सटीक उदाहरण भारत में 22 अप्रैल 2025 को फिर देखने को मिला जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई जिसमें विशेष बात यह रही कि उनका धर्म जाति पूछकर मारा गया, जिसमें भयंकर तनातनी ड्रोन मिसाइल चली संभवतः सैकड़ो निर्दोष लोगों की मृत्यु हुई होगी जिसका सीज़फायर 10 मई 2025 को दोपहर 3.35 पर हुआ जो 5 बजे से लागू हुआ,व इस संबंध में पहली बार भारतीय पीएम ने 12 मई 2025 को रात्रि 8 बजे राष्ट्र के नाम संदेश में 22 मिनट में विभिन्न विषयों पर चर्चा के साथ आतंकवाद पर भी अति सख़्ती दिखाई जिसकी चर्चा हम नीचे पैराग्राफ में करेंगे। चूँकि वैश्विक स्तरपर आतंकवाद को वित्त पोषण करने वाले देशों पर सख्त पादपबंदियां लगाना समय की मांग है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोगसे इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, वैश्विक मंचों पर अब दुनियाँ की आतंक सरपरस्त सरकारों और उनक़े आकाओं को आतंकवाद के खिलाफ़ जीरो टॉलरेंस की संधियों समझौता में सख़्ती व कठोरता से बांधना ज़रूरी है।
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साथियों बात अगर हम दिनांक 12 मई 2025 को माननीय भारतीय पीएमद्वारा रात्रि 8 बजे अपने 22 मिनट के राष्ट्र के नाम संबोधन में आतंकवाद पर प्रहार की करें तो, उन्होंने आतंकियों को सख़्त संदेश दिया कि भारत में आतंकी गतिविधि करने पर उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। वहीं, पाकिस्तान को साफ किया कि उसे आतंकवाद को पनाह देना बंद करना पड़ेगा।वहीं, दुनियाँ से कहा कि पाकिस्तान से किसी तीसरे विषय पर बात नहीं होगी।उन्होंने दुनियाँ को साफ शब्दों में यह संदेश दिया कि पाकिस्तान से किसी अन्य मुद्दे पर बात नहीं होगी। पाकिस्तान से बात सिर्फ आतंकवाद और पीओके पर होगी। उन्होंने कहा हमारी घोषित नीति रही है। पाकिस्तान से बात होगी तो आतंकवाद पर ही होगी। पाकिस्तान से बात पीओके पर ही होगी।उन्होंने बताया कि पाकिस्तान से सिर्फ इसी शर्त पर समझौता हुआ है कि, वह आतंकियों को भारत में भेजना बंद करेगा और भारत पर कोई हमला नहीं करेगा। उन्होंने पाकिस्तान को साफ संदेश दिया कि टेरर और टॉक, टेरर और ट्रेड एक साथ नहीं चल सकते। पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते। पाकिस्तान को बचना है तो उसे अपने टेरर इंफ्रास्ट्रक्चर का सफाया करना ही होगा।इसके अलावा शांति का कोई रास्ता नहीं है।पीएम ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद हर आतंकी जान चुका है कि हमारी बहन बेटियों के माथे से सिंदूर हटाने का अंजाम क्या होता है।
आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा था, इसलिए भारत ने उनके ठिकाने उजाड़ दिए। पीएम ने साफ किया कि भारत में आतंकियों के लिए कोई जगह नहीं है। अगर आतंकी भारत को नुकसान पहुंचाएंगे तो भारत दुनिया के किसी भी कोने में उन्हें ढूंढ़कर मारेगा।पीएम ने देश को भरोसा दिलाया कि जब तक सब एकजुट हैं, तब तक ऐसे मजबूत फैसले लिए जाते रहेंगे और देश किसी भी मुश्किल से निपटने में समर्थ है। उन्होंने यह भी साफ किया कि भारत अब आतंकवाद को और नहीं सहेगा।हर आतंक वादी घटना के खिलाफ लड़ने में देश सक्षम है और इसके लिए प्रतिबद्ध है। इस लड़ाई में देश में बने स्वदेशी हथियार सेना और सुरक्षाबलों को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने देशवासियों को बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने किस तरह सीमा पार आतंकियों का खात्मा किया। उन्होंने यह भी बताया कि जब पाकिस्तान ने आतंकवादियों के समर्थन में भारत पर हमला किया तब भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने आतंकियों, पाकिस्तान और दुनिया को लेकर साफ संदेश भी दिए।
साथियों बात अगर हम वैश्विक स्तर पर अधिकतम देश आतंकवाद से पीड़ित होने की करें तो,वर्तमान समय में अधिकतम देश आतंकवाद और भ्रष्टाचार की त्रासदी से पीड़ित हैं क्योंकि अनेकों छोटे देशों से लेकर पूर्णविकसित देशों में भी आतंकवाद और भ्रष्टाचार ने सशक्त होकर तीव्रता से पैर पसारे हैं और आश्चर्यजनक एवंअविश्वसनीय खतरनाक मिशन को अंजाम दिया जाता है, जिसमें हमने आम जनमानस सहित अनेकों वैश्विक हस्तियों को खोया है इसलिए अब डिजिटल युग में समय आ गया है कि आतंकवाद और भ्रष्टाचार को जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाकर उनकी जड़ों को काटा जाए जिससे उनके पनपने और कल्पवृक्ष धारण करने के रास्ते समाप्त हो जाएंगे तो आतंकवाद और भ्रष्टाचार रूपी वृक्ष सूख कर गिर जाएगा। वैश्विक स्तरपर आतंकवाद पूरी मानव जाति को प्रभावित कर रहा है, क्योंकि आतंकवाद का कोई जाति धर्म मज़हब नहीं होता है इसलिए इसका मुकाबला करने सारी दुनियाँ को एक मंच पर लिए गए निर्णय को मिलकर क्रियान्वयन करना ज़रूरी है, क्योंकि यह समस्या किसी एक आतंकी की नहीं है कि उससे निपट लिया जाए यह आतंकवाद है, इसकी जड़ें अनेकों देशों तक फैली हुई है जो छोटे देशों ही नहीं परंतु बड़े बड़े विकसित देशों तक फैली हुई है। अमेरिका का 9/11 भारत का मुंबई बम धमाका, संसद अटैक, ताजमहल होटल अटैक से लेकर अनेकों वारदातों के अंजाम भुगतकर आज भी हम आतंकवाद से पीड़ित हैं इसीलिए इसे समाप्त करने के लिए सबसे पहले इनकी जड़ें काटना जरूरी है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण जड़ों में से एक वित्तपोषण है जिसे समाप्त करने के लिए पूरी दुनिया को एकजुट होना अत्यंत ही जरूरी है।
साथियों बात अगर हम आतंकवाद को समाप्त करने की करें तो,जब तक उसके फलने फूलने के रास्तों को ढूंढ कर उन्हें नष्ट नहीं करेंगे, तब तक यह समस्या यूं ही फलती फूलती रहेगी और मुंह फाड़े नुकसान पहुंचाती रहेगी इसलिए इसकी सबसे महत्वपूर्ण जड़ कोई है तो वह टेरर कैंप,डर्टी माइंड, ब्रेनवाश बेरोजगारी,हेट स्पीच जैसीअनेकों जड़े हैं और इन जड़ों के पनपने का एक महत्वपूर्ण रास्ता है वित्तपोषण याने टेरर फंडिंग इसलिए यदि इसकी इस मूल जड़ को ही काटा जाए तो इसके सहभागी जड़ों पर अपने आप विपरीत प्रभाव पड़ जाएगा और समाप्ति की ओर कदम बढ़ जाएंगे इसलिए नो मनी फॉर टेरर पर वैश्विक एकता बनाकर कार्य योजना तैयार कर उसे सख्ती से क्रियान्वयन करने का की आवश्यकता को रेखांकित करना वर्तमान समय की मांग है
साथियों बात अगर हम भारत में आतंकवाद की करें तो भारत ने तीन दशकों से अधिक अवधि में कई प्रकार के आतंकवाद और इसके वित्तपोषण का सामना किया है, इसलिए वह इस तरह से प्रभावित राष्ट्रों के दर्द और आघात को समझता है। शांतिप्रिय राष्ट्रों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के मामले में निरंतर सहयोग के लिए एक पुल बनाने में मदद करने हेतु, भारत नें दो वैश्विक कार्यक्रमों - दिल्ली में इंटरपोल की वार्षिक आम सभा और मुंबई एवं दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी कमेटी के एक विशेष सत्र - की मेजबानी की थी। नो मनी फॉर टेरर (एनएमएफटी) विभिन्न राष्ट्रों के बीच समझ और सहयोग विकसित करने के हमारे प्रयासों को आगे बढ़ाएगा।'नो मनी फॉर टेरर' बातचीत में होने वाली चर्चा आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण के वैश्विक रुझानों, आतंकवाद के लिए धन के औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों के इस्तेमाल, उभरती प्रौद्योगिकियों और आतंकवाद के वित्तपोषण और संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए अपेक्षित अंतरराष्ट्रीय सहयोग होगी।
अतः अगर हम अपलोड पूरे होने का अध्ययन करें इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आतंकवाद वैश्विक समस्या- आतंकवाद के खिलाफ़ जीरो टॉलरेंस बेहतर दुनिययाँ की गारंटीवैश्विक स्तरपर आतंक को वित्त पोषित करने वाले देशों पर सख़्त पाबंदियाँ लगाना समय की मांगवैश्विक मंचोंपर अब दुनियाँ की आतंक सरपरस्त सरकारों और उनके आकाओं को आतंकवाद के खिलाफ़ जीरो टॉलरेंस की संधियों समझौता में सख़्ती व कठोरता से बांधना ज़रूरी हैँ।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425
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