महर्षि पाराशर पंचांग | Naya Sabera Network
नया सवेरा नेटवर्क
***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
दिनांक:-03/05/2025,शनिवार
षष्ठी, शुक्ल पक्ष,
वैशाख
""""""""""""""""""""""""""""""""""""(समाप्ति काल)
तिथि------------- षष्ठी 07:51:17 तक
पक्ष------------------------ शुक्ल
नक्षत्र--------- पुनर्वसु 12:33:06
योग------------- शूल 25:39:39
करण---------- तैतुल 07:51:17
करण-------------- गर 19:28:28
वार---------------------- शनिवार
माह--------------------- वैशाख
चन्द्र राशि----- मिथुन 06:36:00
चन्द्र राशि----------------- कर्क
सूर्य राशि------------------- मेष
रितु------------------------ ग्रीष्म
आयन-------------------उत्तरायण
संवत्सर---------------- विश्वावसु
संवत्सर (उत्तर)------------- सिद्धार्थी
विक्रम संवत---------------- 2082
गुजराती संवत-------------- 2081
शक संवत----------------- 1947
कलि संवत----------------- 5126
वृन्दावन
सूर्योदय-------------- 05:39:39
सूर्यास्त-------------- 18:52:50
दिन काल------------ 13:13:10
रात्री काल------------ 10:46:03
चंद्रोदय-------------- 10:34:18
चंद्रास्त---------------- 24:53:56
लग्न---- मेष 18°37' , 18°37'
सूर्य नक्षत्र----------------- भरणी
चन्द्र नक्षत्र---------------- पुनर्वसु
नक्षत्र पाया------------------ रजत
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
हा---- पुनर्वसु 06:36:00
ही---- पुनर्वसु 12:33:06
हु---- पुष्य 18:33:18
हे---- पुष्य 24:36:37
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= मेष 18°40, भरणी 2 लू
चन्द्र= मिथुन 29°30 , पुनर्वसु 3 हा
बुध =मीन 24°52 ' रेवती 3 च
शु क्र= मीन 07°05, उ o फाo' 2 थ
मंगल=कर्क 12°30 ' पुष्य ' 3 हो
गुरु=वृषभ 27°30 मृगशिरा, 2 वो
शनि=मीन 03°88 ' पू o भा o , 4 दी
राहू=(व) मीन 00°55 पू o भा o, 4 दी
केतु= (व)कन्या 00°55 उ oफा o 2 टो
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🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 🚩💮🚩
राहू काल 08:58 - 10:37 अशुभ
यम घंटा 13:55 - 15:35 अशुभ
गुली काल 05:40 - 07: 19अशुभ
अभिजित 11:50 - 12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 07:25 - 08:18 अशुभ
वर्ज्यम 20:34 - 22:11 अशुभ
प्रदोष 18:53 - 21:03 शुभ
💮चोघडिया, दिन
काल 05:40 - 07:19 अशुभ
शुभ 07:19 - 08:58 शुभ
रोग 08:58 - 10:37 अशुभ
उद्वेग 10:37 - 12:16 अशुभ
चर 12:16 - 13:55 शुभ
लाभ 13:55 - 15:35 शुभ
अमृत 15:35 - 17:14 शुभ
काल 17:14 - 18:53 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
लाभ 18:53 - 20:14 शुभ
उद्वेग 20:14 - 21:34 अशुभ
शुभ 21:34 - 22:55 शुभ
अमृत 22:55 - 24:16* शुभ
चर 24:16* - 25:37* शुभ
रोग 25:37* - 26:57* अशुभ
काल 26:57* - 28:18* अशुभ
लाभ 28:18* - 29:39* शुभ
💮होरा, दिन
शनि 05:40 - 06:46
बृहस्पति 06:46 - 07:52
मंगल 07:52 - 08:58
सूर्य 08:58 - 10:04
शुक्र 10:04 - 11:10
बुध 11:10 - 12:16
चन्द्र 12:16 - 13:22
शनि 13:22 - 14:28
बृहस्पति 14:28 - 15:35
मंगल 15:35 - 16:41
सूर्य 16:41 - 17:47
शुक्र 17:47 - 18:53
🚩होरा, रात
बुध 18:53 - 19:47
चन्द्र 19:47 - 20:41
शनि 20:41 - 21:34
बृहस्पति 21:34 - 22:28
मंगल 22:28 - 23:22
सूर्य 23:22 - 24:16
शुक्र 24:16* - 25:10
बुध 25:10* - 26:04
चन्द्र 26:04* - 26:57
शनि 26:57* - 27:51
बृहस्पति 27:51* - 28:45
मंगल 28:45* - 29:39
🚩उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
मेष > 04:40 से 06:14 तक
वृषभ > 06:14 से 07:58 तक
मिथुन > 07:58 से 10:38 तक
कर्क > 10:38 से 12:52 तक
सिंह > 12:52 से 15:08 तक
कन्या > 15:08 से 17:24 तक
तुला > 17:24 से 19:36 तक
वृश्चिक > 19:36 से 22:04 तक
धनु > 22:04 से 00:16 तक
मकर > 00:16 से 01:54 तक
कुम्भ > 01:54 से 03:14 तक
मीन > 03:14 से 04:36 तक
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🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट--------- जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट------ अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट------------ मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट--------बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54-----जैसलमेर -15 मिनट
नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान-------------पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
6 + 7 + 1 = 14 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
बुध ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
6 + 6 + 5 = 17 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभा रूढ़ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
*श्री रामानुजाचार्य जयंती
*श्री गंगा सप्तमी
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
विद्वान् प्रशस्यते लोके विद्वान्सर्वत्र गौरवम् ।
विद्यया लभते सर्व विद्या सर्वत्र पूज्यते ।।
।। चा o नी o।।
विद्वान् व्यक्ति लोगो से सम्मान पाता है. विद्वान् उसकी विद्वत्ता के लिए हर जगह सम्मान पाता है. यह बिलकुल सच है की विद्या हर जगह सम्मानित है.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -:श्रद्धात्रयविभागयोग :- अo-17
सत्कारमानपूजार्थं तपो दम्भेन चैव यत्।,
क्रियते तदिह प्रोक्तं राजसं चलमध्रुवम्॥,
जो तप सत्कार, मान और पूजा के लिए तथा अन्य किसी स्वार्थ के लिए भी स्वभाव से या पाखण्ड से किया जाता है, वह अनिश्चित ('अनिश्चित फलवाला' उसको कहते हैं कि जिसका फल होने न होने में शंका हो।,) एवं क्षणिक फलवाला तप यहाँ राजस कहा गया है॥,18॥,
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