भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वित्तीय व कूटनीतिक दबाव बढ़ाया | Naya Sabera Network

India increased financial and diplomatic pressure against terrorism. Naya Sabra Network

आईएमएफ,एपीजी,7 प्रतिनिधि मंडल के बाद अब 25 जून 2025 की एफएटीएफ मीटिंग पर लाबिंग  

आतंकवादी संगठनों की टेररफंडिंग रुकेगी तो आतंकवाद का अंत निश्चित है

भारत का उद्देश्य आतंकवाद के वित्तीय स्रोतों को अंतरराष्ट्रीय स्तरपर उजगार कर टेरर फंडिंग को रोकना है -एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 

नया सवेरा नेटवर्क

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ आतंकवाद के दंश से पीड़ित है, दुनियाँ के करीब- करीब हर देश में किसी ने किसी रूप या भेष में आतंकवाद सर उठाए खड़ा है जो उसे देश की उन्नति प्रगति व विकास में बाधा उत्पन्न कर रहा है,चूँकि कि हर देश की प्राथमिकता अपने देश में लॉ एंड ऑर्डर कायम रखकर अपने देश के नागरिकों का जीवन भय मुक्त बनानाहै, इसीलिए हर देश को आतंकवाद समाप्त करने में योगदान देना जरूरी है। भारत भी उन पीड़ित देशों में से एक है, लेकिन अब भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ा जनजागरण अभियान छेड़ दिया है, व घोषणा कर दी है कि आतंकवाद व उनके आकाओं में अब हम फर्क नहीं समझेंगे, पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत द्वारा पाक को ऋण पर आपतित दर्ज कराई, फिर 7 प्रतिनिधिमंडल  जिसमें 59 से अधिक सदस्य हैं, उनको पूरी दुनियाँ में आतंकवाद के खिलाफ जन जागरण करने भेजा है, अब भारत सरकार एशिया पेसिफिक ग्रुप (एपीजी) के साथ 25 जून 2025 को 40 सदस्यों वाली एफएटीएफ की मीटिंग में पक्ष रखेगी कि कैसे उनके द्वारा उपलब्ध कराई गई वित्तीय सहायता को टेरर फंडिंग में उपयोग करते हैं। चूँकि आतंकवादी संगठनों की टेरर फंडिंग रुकेगी तो आतंकवाद का अंत होना निश्चित है, इसलिए आज मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,भारत ने आतंकवाद के खिलाफ़ वित्तीय व कूटनीतिक दबाव बढ़ाया आईएफएफ एपीजी,7 प्रतिनिधि मंडलों के बाद अब 25 जून 2025 को को होने वाली एफएटीएफ मीटिंग पर लॉबीग करेगा। 

साथियों बात अगर हम टेरर फंडिंग रोकने आईएमएफ, 7 प्रतिनिधिमंडलों के बाद अब एपीजी व 25 जून 2025 को होने वाली एफएटीएफ मीटिंग में लॉबिंग करने की करें तो,भारत ने हाल ही में कई देशों में एक कूटनीतिककोशिशें शुरू की हैं ताकि पाक की आतंकवाद की भूमिका को वैश्विक मंचों पर उजागर किया जा सके, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और बहरीन जैसे देशों में सात प्रतिनिधिमंडल सक्रिय रूप से वैश्विक नेताओं, थिंक टैंकों और नीति निर्धारक संस्थाओं से चर्चा कर रहे हैं, इन टीमों में विभिन्न राजनीतिक दलों और समुदायों के सदस्य शामिल हैं, जो भारत का एक संयुक्त नजरिया दुनियाँ के सामने पेश कर रहे हैं, इस पहल का मकसद पाक को फ़िर एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डालना है। अक्टूबर 2022 में,एफएटीएफ ने चार सालों की निगरानी के बाद पाक को ग्रे लिस्ट से हटाया था, लेकिन भारत का दावा है कि पाक ने इस दौरान आतंकवाद के समर्थन में अपने कदमों में सुधार नहीं किया, भारत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं जैसे आईएमफ और विश्व बैंक से मांग कर रहा है कि वे पाकिस्तान द्वारा विदेशी सहायता के दुरुपयोग की जांच करें। 

यह भी पढ़ें | अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी द्वारा विश्व खतरा आकलन रिपोर्ट 2025 ज़ारी  | Naya Sabera Network

साथियों बात अगर हम पाक को एफएटीएफ की होने वाली मीटिंग में लॉबिंग कर पाक़ को ग्रे लिस्ट में डलवाने की कवायत की करें तो, भारत ने पाकिस्तान को दोबारा एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ में डालने की प्रक्रिया तेज कर दी है।यह कदम आतंकवादी वित्त पोषण पर लगाम लगाने और पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है। मीडिया में आई रिपोर्ट के अनुसार,भारत सरकार ने एक विस्तृत डोजियर तैयार कर लिया है जिसमें पाकिस्तान के हालिया आतंकी फंडिंग ट्रेल,और जम्मू- कश्मीर में हुई घटनाओं से जुड़ा वित्तीय नेटवर्क उजागर किया गया है। ध्यान रहे कि भारतीय कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से ऑपरेशन सिन्दूर सैन्य अभियान चला कर पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया था। 

यह भी पढ़ें | UP News: दुष्कर्म का आरोपित चढ़ा पुलिस के हत्थे, कई दिनों से थी तलाश  | Naya Sabera Network

उसके बाद से भारत इस मुददे पर पाकिस्तान को हर मोर्चे पर और हर स्तर पर घेर रहा है। एक प्रसिद्ध प्रिंट मीडिया के अनुसार  यह डोजियर जून 2025 में होने वाली एफएटीएफ प्लेनरी मीटिंग में पेश किया जाएगा। भारत का दावा है कि पाकिस्तान ने 2022 में ग्रे लिस्ट से हटने के बाद जिन शर्तों का पालन करने का वादा किया था, उनका लगातार उल्लंघन किया है। पाकिस्तान को 2022 में ग्रे लिस्ट से बाहर निकाला गया था,सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ आतंकी फंडिंग के आरोपों को उठाएगा ताकि उसे वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ में वापस डाला जा सके। सूत्रों ने बताया कि भारत खास तौर पर उन कानूनी प्रावधानों का पालन न करने की ओर ध्यान दिलाएगा, जिनका पालन करने का वादा पाकिस्तान ने 2022 में ग्रे लिस्ट से बाहर आने पर किया था। सरकार इस पर विचार कर रही है। इसके अलावा, भारत जून में पाकिस्तान को विश्व बैंक की ओर से दी जाने वाली वित्तीय सहायता की समीक्षा पर भी आपत्ति जताएगा। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार एफएटीएफ में इस बात पर विचार कर रही है कि पड़ोसी देश को आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता देने वाले वित्तीय प्रवाह पर अंकुश लगाया जाए। भारत को कश्मीर में अवैध धन प्रवाह कम करने में मदद मिली, पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया गया था, और अक्टूबर 2022 में इसे हटाए जाने तक “बढ़ी हुई निगरानी” का सामना करना पड़ा। 

यह भी पढ़ें | Jaunpur News: ट्रिपल हत्याकांड को लेकर शोकाकुल परिवार से मिला लोजपा का प्रतिनिधिमंडल | Naya Sabera Network

इस सूची में होने से एफडीआई और पूंजी प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, क्योंकि व्यवसायों को अधिक परिश्रम करना पड़ता है। सरकारी अधिकारियों ने पहले कहा था कि इससे पाकिस्तान से भारत में, खासकर जम्मू-कश्मीर में अवैध धन प्रवाह को कम करने में मदद मिली है। भारत ने इस महीने की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की बोर्ड बैठक में पाकिस्तान के लिए जुलाई 2024 से शुरू होने वाले 7 अरब डॉलर के सहायता पैकेज के तहत धनराशि जारी करने पर आपत्ति जताई थी, जिसमें पड़ोसी देश द्वारा नापाक गतिविधियों और आतंकवादी हमलों के लिए धन का दुरुपयोग करने का हवाला दिया गया था।जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के लिए ‘ग्रे लिस्ट’ का दर्जा मांगने के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू करने के लिए भारत को एफएटीएफ के अन्य सदस्य देशों के समर्थन की आवश्यकता होगी। दरअसल प्लेनरी एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय है, जो साल में तीन बार, आमतौर पर फरवरी, जून और अक्टूबर में मिलता है। गौरतलब है कि एफएटीएफ के 40 सदस्य हैं, और 200 से ज़्यादा अधिकार क्षेत्र एफएटीएफ -शैली क्षेत्रीय निकायों के ज़रिए एफएटीएफ की सिफ़ारिशों के लिए प्रतिबद्ध हैं। पाकिस्तान एफएटीएफ का सदस्य नहीं है,बल्कि एशिया पैसिफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्ड्रिंग (एपीजी) का सदस्य है, जो एफएटीएफ -शैली का सबसे बड़ा क्षेत्रीय निकाय है। भारत एपीजी के साथ-साथ एफएटीएफ का भी सदस्य है।भारत का यह कदम एक रणनीतिक व कूटनीतिक दबावविश्लेषकों का कहना है कि भारत का यह कदम एक रणनीतिक व कूटनीतिक दबाव है, जिसका उद्देश्य आतंकवाद के वित्तीय स्रोतों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर करना है। पाकिस्तान पहले ही आर्थिक मंदी और विदेशी कर्ज संकट से जूझ रहा है-ऐसे में एफएटीएफ की निगरानी दोबारा शुरू होना उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि और निवेशकों के भरोसे को और नुकसान पहुंचा सकता है।एफएटीएफ की अगली प्लेनरी मीटिंग जून 2025 में होने वाली है। भारत पाकिस्तान के खिलाफ अन्य सदस्य देशों से समर्थन जुटाने के लिए सक्रिय रूप से लॉबिंग कर रहा है। अगर पर्याप्त समर्थन मिला, तो पाकिस्तान को फिर से निगरानी सूची में डाला जा सकता है, जिससे उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ेगा। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वित्तीय व कूटनीतिक दबाव बढ़ाया- आईएमएफ,एपीजी,7 प्रतिनिधि मंडल के बाद अब 25 जून 2025 की एफएटीएफ मीटिंग पर लाबिंग आतंकवादी संगठनों की टेररफंडिंग रुकेगी तो आतंकवाद का अंत निश्चित है।भारत का उद्देश्य आतंकवाद के वित्तीय स्रोतों को अंतरराष्ट्रीय स्तरपर उजगार कर टेरर फंडिंग को रोकना है।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9359653465

Gahna Kothi Bhagelu Ram Ramji Seth | Kotwali Chauraha Jaunpur | 9984991000, 9792991000, 9984361313 | Olandganj Jaunpur | 9838545608, 7355037762, 8317077790 And RAJDARBAR A FAMILY RESTAURANT in RajMahal Jaunpur
Ad


नया सबेरा का चैनल JOIN करें