दुनियाँ के अखाड़े में दो आर्थिक महारथियों का टैरिफ दंगल-चीन के 125 परसेंट पर अमेरिका ने 245 परसेंट टैरिफ ठोका | Naya Sabera Network

Tariff battle between two economic giants in the world arena- America imposed 245 percent tariff on China's 125 percent | Naya Sabera Network

दो हाथियों रूपी अमेरिका चीन दिग्गजों की लड़ाई में टैरिफ़ रूपी चक्की में पिसती दुनिया!

टैरिफ़ वार से ग्लोबल सप्लाई चैन बाधित होने से पूरी दुनियाँ सांसत में!-जो सामान कई देशों के जॉइंट प्रोडक्ट से बनता है वह बाधित होंगे-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी  गोंदिया महाराष्ट्र 

नया सवेरा नेटवर्क

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत में बड़े बुजुर्गों द्वारा कहीगई कहावतें सटीक बैठती है,जो हम भारत में ही नहीं पूरी दुनियाँ में हर बार देखते हैं, महसूस करते रहते हैं।भारत में कहावत है कि दो हाथियों की लड़ाई में तीसरा पक्ष पिसता है, जो सटीक सिद्ध हो रहा है।वैसे तो ट्रंप के टैरिफ दंश ने पूरी दुनियाँ को सांसत में डाल दिया है, परंतु मेरा ऐसा मानना है कि यह टैरिफ एक हथियार का काम करते जा रहा है, यानें जो देश अमेरिका के कहे अनुसार चलेगा उसपर टैरिफ रूपी रस्सी की ढील दी जाएगी, तथा जो उसके अनुसार नहीं चलेगा उसपर टेरिफ़ रूपी रस्सी को फंदा बना दिया जाएगा? इसकी सटीकता का प्रमाण हमें देखने को मिल रहा है कि, चीन हिम्मत दिखाकर 125 परसेंट टैरिफ अमेरिका पर ठोका,तो दूसरे पक्षने मंगलवार देर रात्रि 245 परसेंट टैरिफ की घोषणा कर दी व दूसरे देश पर लगाए गए टैरिफ को फिलहाल 90 दिनों के लिए रोक दिया गया है। यानें चीन इकलौता ऐसा देश होगा जिसपर 245 परसेंट टैरिफ होगा जो पूरी दुनियाँ की सप्लाई चैन को बाधित कर महंगाई व क्वालिटी को प्रभावित कर सकता है। चूँकि करीब करीब सभी सामान किसी एक देश में निर्मित नहीं होते, यानें उसके पार्ट्स कहीं ना कहीं किसी न किसी देश से बुलाने पड़ते हैं जिसको असेंबल कर वह प्रोडक्ट बनाया जाता है जो मोबाइल से लेकर अनेकों इलेक्ट्रॉनिक सामानों मे देखा जा सकता है, इसलिए सप्लाई चैन का भारी झटका लग सकता है, जिसका प्रभाव महंगाई के रूप में आम जनता को चुकाना पड़ सकता है। दूसरे एंगल से हम देखें तो इस सप्लाई चैन बाधित में अवसर भी देखा जा सकता है, क्योंकि अगर चीन पर भारी टैरिफ लगा है तो दूसरे देश खासकर भारत के लिए अवसर ही साबित हो सकता है क्योंकि चीनी सामानों की आपूर्ति बाधित होने से अमेरिका व सहयोगी देश वह पार्ट्स या समान भारत से मंगा सकते हैं, जो भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।चूँकि दो हाथियों की लड़ाई में टेरिफ़ रूपी चक्की में पिसती दुनियाँ है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, दुनियाँ के अखाड़े में दो आर्थिक महारथियों का टैरिफ दंगल,चीन के 125 परसेंट टैरिफ पर अमेरिका ने 245 परसेंट टैरिफ ठोका। 


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साथियों बात अगर हम अमेरिका द्वारा चीन पर 245 परसेंट टैरिफ लगाने की करें तो,व्हाइट हाउस के अनुसार, यह कदम चीन की प्रतिशोधात्मक व्यापार नीतियों के जवाब में उठाया गया है। इससे पहले, चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 125 पेर्सेंट तक टैरिफ बढ़ाया था, जिसके बाद अमेरिका ने यह प्रतिक्रिया दी है।यह टैरिफ वृद्धि चीन के लिए एक गंभीर आर्थिक चुनौती बन सकती है, क्योंकि इससे चीनी उत्पादों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।इस कदम को अमेरिका की अमेरिका फर्स्ट व्यापार नीति के तहत देखा जा रहा है, जिसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों की सुरक्षा और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है।विशेषज्ञों का मानना है कि यह व्यापार युद्ध वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर भी असर डाल सकता है, जिससे अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। इस स्थिति में, चीन को अपने व्यापारिक दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव को कम किया जा सके। अमेरिका राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय व्हाइट हाऊस ने कहा है कि चीन को अपनी जवाबी कार्रवाई के कारण अब अमेरिका में आयात पर 245 प्रतिशत तक शुल्क का सामना करना पड़ेगा। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ट्रूथ पर मंगलवार को अलग से दी जानकारी में कहा कि चीन ने बड़े बोइंग सौदे के तहत विमानों को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है। ये उन खबरों की पुष्टि करता है जिसमें दावा किया गया था कि चीन ने अपनी विमान कंपनियों से अमेरिका विमान विनिर्माता कंपनी बोइंग से विमानों की आपूर्ति न लेने को कहा है। ट्रंप ने इस खबर की जानकारी देते हुए चीन जैसे अपने विरोधियों के साथ व्यापार युद्ध में अमेरिका और उसके किसानों की रक्षा करने का संकल्प लिया। व्हाइट हाऊस ने मंगलवार को जारी तथ्य पत्र में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने आयातित प्रसंस्कृत महत्वपूर्ण खनिजों तथा उनसे बने उत्पादों पर अमरीकी निर्भरता से उत्पन्न राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों की जांच शुरू करने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। चीन एकमात्र ऐसा देश है जिसने अमेरिका की शुल्क नीति के खिलाफ जाते हुए जवाबी शुल्क लगाया है। 

साथियों बात अगर हम आपसी बातचीत कर मामला सुलझाने में दबाव के एंगल से देखें तो, मंगलवार देर शाम को व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ''मुक्ति दिवस पर अमेरिका ने उन सभी देशों पर 10 परसेंट टैरिफ लगाया, जो अमेरिका से ज्यादा टैक्स वसूलते हैं, 75 से ज्यादा देशों ने नए व्यापार सौदे पर बातचीत करने के लिए अमेरिका के साथ संपर्क किया, इसलिए इन पर लगाए गए टैरिफ को फिलहाल रोक दिया गया, सिवाय चीन के, जिसने जवाबी कार्रवाई की, इसी जवाबी कार्रवाई के नतीजे के रूप में अमेरिका में चीनी सामानों के आयात पर 245 परसेंट टैरिफ लगाया जा रहा है, इस बीच, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के साथ व्यापार समझौता करने के लिए तैयार हैं, लेकिन बीजिंग को पहले कदम उठाना चाहिए। ट्रंप के बातचीत वाले बयान के बाद चीन ने अमरीका के साथ शुल्क को लेकर जारी विवाद के बीच नया शीर्ष अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वार्ताकार बुधवार को नियुक्त किया। अमेरिका के राष्ट्रपति के उस बयान के बाद यह कदम उठाया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि शुल्क गतिरोध को समाप्त करने के लिए समझौता करने की जिम्मेदारी अब चीन पर है। चीनी वाणिज्य मंत्रलय के अनुसार, ली चेंगगांग को वांग शॉवेन की जगह नियुक्त किया गया है। शॉवेन ने चीन और अमरीका के बीच 2020 के व्यापार समझौते के लिए व्यापार वार्ता में चीन का प्रतिनिधित्व किया था। एक तरफ अमेरिका का चीन से कहना है कि वे अपने राष्ट्रपति से अनुरोध करें कि वह ट्रंप से बात करें, जबकि चीन ने टैरिफ वॉर से पीछे न हटने का मन बना लिया है।एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 2010 से 2018 तक चीन के वाइस फाइनेंस मिनिस्टर रह चुके झू गुआंगयाओ ने कहा है,अगर अमेरिका चाहता है कि चीन अमेरिकी प्रस्ताव को पूरी तरह से स्वीकार कर ले,अमेरिकी शर्तों को स्वीकार कर ले, तो मुझे लगता है कि फिर कोई बातचीत नहीं होगी। हालांकि, उन्होंने दोनों देशों के अधिकारियों के लगातार संपर्क में रहने की भी जानकारी दी और कहा कि टैरिफ पर बातचीत के दौरान दोनों के हितों का ख्याल रखना चाहिए। बार-बार टैरिफ बढ़ाए जाने के मुद्दे पर चीन ने अमेरिका की कड़ी आलोचना की है, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा,अगर अमेरिका वाकई में बातचीत के जरिए इस मसलने को सुलझाना चाहता है तो उसे अधिक दबाव डालने की अपनी ये रणनीति छोड़नी होगी।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि दुनियाँ के अखाड़े में दो आर्थिक महारथियों का टैरिफ दंगल-चीन के 125 परसेंट पर अमेरिका ने 245 परसेंट टैरिफ ठोका।दो हाथियों रूपी अमेरिका चीन दिग्गजों की लड़ाई में टैरिफ़ रूपी चक्की में पिसती दुनिया!टैरिफ़ वार से ग्लोबल सप्लाई चैन बाधित होने से पूरी दुनियाँ सांसत में!- जो सामान कई देशों के जॉइंट प्रोडक्ट से बनता है वह बाधित होंगे।

-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425


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